वेटरनरी विश्वविद्यालय बीकानेर के तृतीय दीक्षान्त समारोह में 669 उपाधियों और 31 स्वर्ण पदकों से किया विद्यार्थियों को अलंकृत

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8 अगस्त 20 19: वेटरनरी विश्वविद्यालय बीकानेर के तृतीय दीक्षान्त समारोह में गुरूवार को पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान के 669 छात्र-छात्राओं को उपाधियों और 30 को स्वर्ण पदक तथा 1 कुलाधिपति स्वर्ण पदक से अलंकृत किया। विश्वविद्यालय परिसर में सेना बैंड की स्वरलहरियों के बीच राजुवास कुलसचिव श्री अजीत सिंह के नेतृत्व में दीक्षांत शोभा यात्रा के पंडाल में प्रवेश के बाद दीक्षांत समारोह शुरू हुआ। दीक्षांत समारोह में स्नातक योग्यता प्राप्त कर लेने वाले 433 छात्र-छात्राओं को उपाधियां, स्नातकोत्तर स्तर के 198 को उपाधियां तथा 38 को विद्यावाचस्पति उपाधियां प्रदान की गई। 31 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदकों से और सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्रा गायत्री गुर्जर को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से अंलकृत किया गया। माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह के दीक्षांत संदेश का पठन कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने किया।

पशुचिकित्सकों के लिए मूकप्राणियों और पशुपालकों की सेवा की चुनौती: पशुपालन मंत्री श्री कटारिया
समारोह के मुख्य अतिथि कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राज्य का पशुधन किसानों की सामाजिक आर्थिक संपन्नता का प्रतीक है। यह किसानों की जीवन रेखा है। मानसून के रूठने, अकाल और ओलावृष्टि जैसी परिस्थितियों में भी पशुओं ने किसानों का साथ दिया है, क्योंकि वह उन्हें परिवार के रूप में पालता है। मूक प्रणियों की सेवा और कम-पढ़े लिखे पशुपालकों की सेवा का दायित्व पशुचिकित्सकों के समक्ष एक चुनौती के रूप में है। पशुचिकित्सक पूरी संवेदनशीलता के साथ अच्छी नस्लों के विकास और पशुधन उत्पादन के कार्य में जुटेंगे तो निष्चय ही सकारात्मक परिणाम आयेंगे। अगले वर्षों में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर पशुचिकित्सक की सेवाएं सुलभ करवाने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। पशुपालन मंत्री ने देश में एक उत्कृष्ट संस्थान के रूप में वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा राज्य में पशुधन और किसान-पशुपालकों के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए उम्मीद जताई कि यहां से निकलने वाले पशुचिकित्सा छात्र-छात्राएं देश और दुनिया में अपना नाम रोशन करेंगे।

समारोह के विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि समारोह दीक्षांत होने के साथ-साथ दीक्षित होने का उत्सव है। यह समारोह समापवर्तन संस्कार है और जो कुछ सीख-समझ कर पाया और अनुभव किया है उसे अब कसौटी पर करने करने का सही समय प्रारंभ होता है। उच्च शिक्षा आजीविका हेतु योग्यता और उत्तम  ज्ञान प्राप्त करना है तथा इससे रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध होते हैं। वेटरनरी विश्वविद्यालय के क्रियाकलापों से राज्य में पशुचिकित्सा शिक्षा और पशुपालन के क्षेत्र में एक नई क्रांति सी आ गयी है। शैक्षणिक, अनुसंधान और प्रसार शिक्षा की प्रभावी सेवाओं के साथ-साथ पशु रोग निदान और उपचार की आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग राज्य के पशुधन और पशुपालकों के हित में किया जा रहा है। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने कहा कि पशुचिकित्सा व्यवसाय में आपका चयन पशु और जीवों की सेवा के साथ ही खाद्य सुरक्षा व विभिन्न मानव में फैलने वाले पशुजन्य रोगों की रोकथाम के कार्यों के लिए किया गया है। उन्होंने बताया कि अपनी सर्वोत्कृष्ट शिक्षा और अनुसंधान के कारण अब वेटरनरी विश्वविद्यालय देश के अग्रणी संस्थानों की रैकिंग में शामिल हो गया है। राज्य में वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान और प्रसार शिक्षा कार्यों के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। पशुपालकों एवं किसानों की वर्तमान में जरूरत को देखते हुए विश्वविद्यालय जैविक पशुपालन उद्यमिता विकास को अपनी प्राथमिकता देगा।

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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के चैयरमैन प्रो. ए.के. मिश्रा ने दीक्षांत भाषण में कहा कि पशुचिकित्सा एक महान पेशा है जिसमें पालतू व वन्य जीवों और पक्षियों जैसे मूक प्राणियों का रोग निदान और उपचार करना होता है। इसके लिए पूर्ण ज्ञान और कुशलता की जरूरत होती है। पशुचिकित्सकों के लिए औषद्यीय और जैव प्रौद्योगिकी, पशुआहार, मीट, डेयरी जैसे उद्यमों में कार्य करने के अच्छे अवसर हैं। ‘वन हैल्थ‘ मिशन के तहत पशुचिकित्सकों को नई भूमिका के लिए भी तैयार होना है। अवगीकृत पशुनस्लों से सुधार, गुणवत्तायुक्त जर्मप्लाज्म कृत्रिम गर्भाधान, पशुरोगों की रोकथाम और टीकाकरण जैसे उपायों को तेजी से लागू करके उत्पादन क्षमता को बढाया जा सकता है। खाजुवाला विधायक श्री गोविंदराम ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय की राज्य में पशुचिकित्सा शिक्षा और पशुरोग निदान और उपचार की विशिष्ट सेवाओं से राज्य का पशुधन और किसान व पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने इन्दिरा गांधी नहर क्षेत्र में हरा चारा उत्पादन कर चारा बैंक स्थापित किए जाने की आवश्यकता जताई।

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समारोह में तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच.डी. चारण, राजुवास के पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत, वरिष्ठ चिकित्सक प्रो. धनपत कोचर, सहित विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। इसके पहले दीक्षांत समारोह को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर सीधा प्रसाारित किया गया जिसे देश-विदेश में बैठे लोगों ने भी देखा। समारोह स्थल पर भी एल.ई.डी. की बड़ी स्क्रीन पर दीक्षांत समारोह का सीधा प्रसारण किया गया।

31 विद्यार्थियों को मिले स्वर्ण पदक
पशुचिकित्सा विज्ञान और पशुपालन में स्नातक मनस्विनी शर्मा, शिवांगी पाण्डेय, रोहित कुमार शर्मा, स्नातकोत्तर परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले पशुचिकित्सा विद्यार्थियों यथा उमेश कुमार प्रजापत, सविता, विक्रमजीत सिंह, मुकेश कुमार मीणा, लोकेश टाक, प्रतीक्षा मिश्रा, प्रमोद कुमार गोेदारा, कुलदीप कुमार, दिवाकर, नीलम कुमारी फरान, सतीश कुमार, ममता सैनी, नाजनीन अटवाल, गायत्री गुर्जर, सुभाष कुमार, परमा राम गोरछिया, प्रज्ञा नाथिया, गरिमा चौधरी, सतीश कुमार, पूजा पटेल, अर्चिता सिंह, राकेश पुनिया, हितेश्वर सिंह यादव, विद्यावाचस्पति में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले राहुल यादव, विजय कुमार अग्रवाल, प्रियंका, सोनल ठाकुर को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।

विश्वविद्यालय के 8 प्रमुख प्रकाशनों का अतिथियों द्वारा विमोचन
समारोह में अतिथियों ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों द्वारा पशुपालन उपयोगी 8 विभिन्न प्रकार के प्रकाशनों राजस्थान की धरोहर देशी गौ-वंश, सेवण घास- पर्यावरण संरक्षण एवं चारागाह विकास में आज की आवश्यकता, रेबीज, बकरी के दुग्ध उत्पाद बने लाभकारी, कौशल विकास की एक पहल: पशु आहार का निर्माण, उन्नत पशुपालन, पशुपालन-नये आयाम, ई-प्रैक्टिकल मैनुअल प्रकाशनों का विमोचन किया।

सुपर स्पेशलिटी ब्लाॅक का उद्घाटन
पशुपालन मंत्री श्री लालचन्द कटारिया, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्री भवर सिंह भाटी और विधायक गोविंदराम ने और कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग में सुपर स्पेशलिटी ब्लाॅक का उद्घाटन किया। इस ब्लाॅक में सी.टी. स्केन इकाई, सोनोग्राफी इकाई, लैप्रोस्कोपी इकाई, लेजर सर्जरी इकाई, नेत्र रोग इकाई, आर्थोपेडिक इकाई तथा दंत रोग इकाईयां हैं। इन सभी इकाईयों में पशुचिकित्सा में काम आने वाले अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किये गये हैं। इन उपकरणों की सहायता से सभी प्रकार के पशुओं के विभिन्न रोगों का निदान व उपचार किया जायेगा, जिसका सीधा लाभ पशुपालकों व किसानों को मिलेगा। इस अवसर पर प्रो. राकेश राव, प्रो. आर.के. धूड़िया, प्रो. टी.के. गहलोत व डाॅ. प्रविण बिश्नोई सहित डीन-डाॅयरेक्टर उपस्थित थे।

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