Shri Radha Mohan Singh inaugurates seminar in Anand

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10 September 2018: The development of dairy sector is imperative for the prosperity of farmers. Minister of Agriculture and Farmers’ Welfare Shri Radha Mohan Singh, at the inauguration ceremony of the seminar “Role of Technology in Doubling Dairy Farmers’ Income” in Anand, Gujarat, today praised the National Dairy Development Board (NDDB) for playing a crucial role in the implementation of National Dairy Plan (NDP) and Dairy Processing and Infrastructure Development Fund (DIDF). Since the beginning, the NDDB has implemented several major dairy development programs including ‘Operation Flood’. As a result, India has become self-sufficient to meet the demand of milk.

The Minister emphasized the role of technology for improvement in productivity and reduction in cost of production. In the wake of this, under the Rashtriya Gokul Mission, for the production of more female animals, 10 semen centers have been identified for the production of Sex Sorted Semen. Proposal for two centers (Uttarakhand and Maharashtra) have also been approved. Also, 20 Embryo Transfer Technology (ETT) centers are being set up for the production of high genetic merit bulls of indigenous bovine breeds, of which proposal of 19 centers have been approved. Besides, INDUSCHIP has been developed for genomic selection of indigenous breeds and 6000 dairy animals have been genetically evaluated using INDUSCHIP.

According to the Minister, indigenous breeds are being promoted to reduce risks in production. For improving the breed of milch cattle, especially indigenous breeds, 1831 bulls have been produced so far against the target of 2200. Similarly, 6500 MAITRIs have been trained and deployed at the village level to provide doorstep AI services. Apart from this, for the conservation of indigenous breeds, two National Kamdhenu Breeding Centres, one in Andhra Pradesh at Chintaladevi and other in Madhya Pradesh at Itarsi are being established under which 41 cow and buffalo breeds are being conserved. The centre in AP has been completed and work is under progress at Itarsi, MP.

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He also informed that the e-Pashuhaat portal is a landmark initiative, launched in 2016 in Animal Husbandry sector. It is playing an important role in connecting breeders and farmers. So far, the portal has information on 104570 animals, 8.32 crore semen doses and 364 embryos.

10 सितम्बर 2018: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आनंद, गुजरात में ” डेरी द्वारा किसानो की आय दोगुनी करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका”  पर कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में कहा कि किसानों की समृद्धि के लिए डेयरी सेक्टर का विकास अनिवार्य है। साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी योजना (एनडीपी) और डेयरी प्रसंस्करण और डेरी प्रसंस्‍करण एवं बुनियादी ढ़ांचा विकास निधि (डीआईडीएफ) के क्रियान्वयन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने ‘श्वेत क्रांति’ सहित कई प्रमुख डेयरी विकास कार्यक्रमों को लागू किया है। नतीजतन, आज भारत दूध की मांग को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर हो गया है।

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने उत्पादकता में सुधार और उत्पादन लागत में कमी के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका पर बल दिया।राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत नर पशुओं की संख्या नियंत्रित कर मादा पशुओं की संख्या में वृद्धि करना तथा देशी उच्च नस्ल के पशुओं का संरक्षण व संवर्धन करने के उद्देश्य से देश में दस सेक्स सॉर्टेड वीर्य केंद्रों की पहचान की गई है। उत्तराखंड और महाराष्ट्र के दो केंद्रों के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी गई है। इसके अलावा, स्वदेशी गौ वंशीय नस्लों के उच्च अनुवांशिक गुणवत्ता के सांड की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु, बीस भ्रूण प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी (ईटीटी) केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से 19 केंद्रों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा, INDUSCHIP को स्वदेशी नस्लों के जीनोमिक चयन के लिए विकसित किया गया है और वर्तमान तक  6000 डेयरी जानवरों का आनुवंशिक रूप से INDUSCHIP का उपयोग करके मूल्यांकन किया गया है। इसके अलावा, स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए, दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र, चिनतालदेवी आंध्र प्रदेश में और इटारसी मध्य प्रदेश में स्थापना की जा रही है, जिसके अंतर्गत 41 गाय और भैंस नस्लों को संरक्षित किया जा रहा है। आंध्र प्रदेश में केंद्र पूरा हो चुका है और मध्य प्रदेश में कार्य प्रगति पर है।

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उन्होंने यह भी बताया कि e-Pashuhaat पोर्टल एक ऐतिहासिक पहल है, जिसे 2016 में पशुपालन क्षेत्र में लॉन्च किया गया था। यह Breeders और किसानों को जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब तक, पोर्टल में 104570 जानवरों, 8.32 करोड़ वीर्य और 364 भ्रूण की जानकारी उपलब्ध है।

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