समाचार

उत्तराखण्ड में सेल्फी विद पेट प्रतियोगिता के विजेताओं एवं प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया

पशुपालन समाचार

आज उत्तराखण्ड के पशुपालन निदेशालय मोथरोवाला के प्रांगण में आयोजित एक कार्यक्रम में  विभागीय मंत्री >>>

केंद्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के पशुओं में लम्पी रोग (एलएसडी) के बढ़ते मामलों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया

पशुपालन समाचार

मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के पशुपालकों की चिंताओं को दूर करने के लिए तत्परता से कार्य कर रहा है। पशुओं की यह विनाशकारी बीमारी भैंस और अन्य पशुओं को अपना शिकार बनाती है। >>>

आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में विश्व पशु चिकित्सा दिवस- 2023 का आयोजन किया

पशुपालन समाचार

आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में भारतीय पशु चिकित्सा परिषद के सहयोग से पशुपालन और डेयरी विभाग ने आज (29 अप्रैल, 2023) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में विश्व पशु चिकित्सा दिवस-2023 का आयोजन किया। पशु और मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी में पशु चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने और उसे स्वीकारने पर आधारित था। >>>

रोगाणुरोधी प्रतिरोध: थनैला एवं लेवटी के अन्य रोगों का घरेलु उपचार

पशुओं की बीमारियाँ

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial resistance) एक बहुत ही महत्वपूर्ण जनस्वास्थ्य समस्या है होने के साथ-साथ यह महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्वास्थ्य समस्या भी है जिसे आमतौर पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध कहा जाता है। और वास्तव में, अब हम जानते हैं कि हमारी कई मानवीय गतिविधियों और इंजीनियर पद्दतियां, रोगाणुरोधी प्रतिरोध के स्तर को बढ़ाने में योगदान कर रही हैं। >>>

पर्यावरण को प्रदूषित करती शोथहारी, पीड़ाहारी एवं ज्वरनाशक औषधियां

पशुओं की बीमारियाँ

जब भी हमें दर्द, ज्वर या सूजन (शोथ) होती है तो इनको हरने के लिए औषधी लेने में तनिक भी देरी नहीं करते हैं। इसी प्रकार जब भी पशु को रोग चाहे जो भी, लेकिन इन औषधीयों का उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है। पशु के मरणोपरान्त जब गिद्ध इनका भक्षण करते हैं तो उनकी जान को खतरा बढ़ जाता है। >>>

अत्यधिक दूध उत्पादक पशुओं में बायपास वसा (Bypass Fat) का महत्व

पशुपोषण

आमतौर पर, ताजे ब्यांत और अधिक दूध देने वाले पशुओं के आहार में उर्जा की कमी पाई जाती है। पशु के कम खाने एवं दूध उत्पादन बढने से इस उर्जा का अभाव और अधिक बढ़ जाता है। ऐसा देखा गया है, कि ब्यांत के बाद पशुओं में 80 से 100 किलो के आसपास शरीर का वजन कम होना आम बात है। >>>

स्वच्छ दूध का उत्पादन

डेरी पालन

खेती के पूरक व्यवसाय में दूध का व्यवसाय प्राचीनकालसेहि पारंपरिक चलता आ रहा महत्त्व का व्यवसाय हैं। दूध व्यवसाय के लिए मुख्य रूप से संकर गायों, देसी गायों , दुधारूं गायों और दुधारूं भैंसो को पाला जाता हैं। दुधारूं पशु पालना एक अच्छी बात है परन्तु स्वच्छ दूध का उत्पादन बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। दूध उत्तम किस्म के प्रोटीन तथा कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत है वही अस्वच्छ दूध कई बीमारियोंका वाहक भी होता है। >>>

पशुओं में विटामिन A का महत्व

पशुपोषण

कई क्रियाओं के संचालन के लिये विटामिन ‘A’ बहुत जरूरी है। इसकी कमी होने पर अंधापन, चमड़ी सूख कर सख्त हो जाती है। खुरचन उतरती रहती है प्रजनन क्षमता में कमी तथा नवजात बछड़ों में जन्मजात विकृतियां पैदा हो जाती है। >>>

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भेड़ बकरी पालन

उत्तर प्रदेश के विंध्यांचल क्षेत्र में पाली जाने वाली सोनपरी बकरी के लक्षण

पशुपालन देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसका कृषि जीडीपी में 27-32% योगदान है। पशुपालन के माध्यम से गरीबी उन्मूलन, पोषण सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार, महिला सशक्तिकरण आदि मुद्दों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। >>>

पशुपालन समाचार

उत्तराखण्ड में सेल्फी विद पेट प्रतियोगिता के विजेताओं एवं प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया

आज उत्तराखण्ड के पशुपालन निदेशालय मोथरोवाला के प्रांगण में आयोजित एक कार्यक्रम में  विभागीय मंत्री >>>

पशुपालन

ग्रीष्म ऋतु में दुधारू पशुओं की देखभाल

भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु अधिक लम्बे समय तक रहती है तथा तापमान 45 से 47 ℃ तक पहुँच जाता है जिसके कारण पशु तनाव की स्थिति में रहते हैं। >>>

पशुपालन समाचार

केंद्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के पशुओं में लम्पी रोग (एलएसडी) के बढ़ते मामलों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया

मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के पशुपालकों की चिंताओं को दूर करने के लिए तत्परता से कार्य कर रहा है। पशुओं की यह विनाशकारी बीमारी भैंस और अन्य पशुओं को अपना शिकार बनाती है। >>>

कुक्कुट पालन

बटेर पालन: एक लाभकारी व्यवसाय

बटेर पालन का व्यवसाय मुर्गी पालन से काफी मिलता जुलता है। लेकिन मुर्गी पालन की तुलना में कम खर्च, कम मेहनत और ज्यादा मुनाफा देने वाला होता है। बटेर का मांस और अंडा दोनों ही सेहत के द्रष्टि से अत्यंत लाभकारी है। इन गुणों के अलावा बटेर के मांस की बाज़ार में मांग उसके स्वाद के कारण है। >>>

पशुपालन समाचार

आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में विश्व पशु चिकित्सा दिवस- 2023 का आयोजन किया

आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में भारतीय पशु चिकित्सा परिषद के सहयोग से पशुपालन और डेयरी विभाग ने आज (29 अप्रैल, 2023) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में विश्व पशु चिकित्सा दिवस-2023 का आयोजन किया। पशु और मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी में पशु चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने और उसे स्वीकारने पर आधारित था। >>>

पशुपालन समाचार

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में मनाया गया वर्ल्ड वेटरनरी डे

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अंगीभूत बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में वर्ल्ड वेटेरिनेरी डे मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-कृषि तकनीक एवं अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना (अटारी) के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार, कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह, डीन डॉ. जे.के. प्रसाद, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. ए.के ठाकुर ने किया। कार्यक्रम के शुरुआत में डॉ. सह-संयोजक डॉ. बिपिन कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

एल.एस.डी. या गांठदार/ ढेलेदार त्वचा रोग/ लंपी स्किन डिजीज

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में तकनीकी सलाहकार (राष्ट्रीय गोकुल मिशन) के पद पर कार्यरत डॉ. चंद्रशेखर गोदारा ने बताया कि लंपी स्किन बीमारी या ढेलेदार त्वचा रोग एक वायरल बीमारी है (एलएसडी) >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ मे ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर)

दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक (उपापचयी) रोग है जिसे अंग्रेजी में मिल्क फीवर रोग कहा जाता है, जो गाय या भैंस में ब्याहने से दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। परन्तु कुछ पशुओं में यह रोग ब्याने के पश्चात 15 दिन तक भी हो सकता है। मिल्क फीवर पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। मिल्क फीवर ज्यादातर अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस में होता है परन्तु यह रोग भेड़ बकरियों की दुधारू नस्लों में भी हो सकता है। >>>

पशुपालन समाचार

केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण नियमावली, 2023 अधिसूचित की

केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत और पशु जन्म नियंत्रण ( कुत्ता ) नियमावली, 2021 के अधिक्रमण के बाद दिनांक 10 मार्च, 2023 के जीएसआर 193 ( ई ) के द्वारा पशु जन्म नियंत्रण नियमावली, 2023 अधिसूचित कर दी है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में जननहीनता के कारण एवं लक्षण

जननहीनता पशुओं में प्रजनन की क्षमता कम हो जाती है। कारण 1. शरीर रचना संबंधी कारक (अ) शरीर रचना संबंधी आनुवांशिक कारण 1. अनुपस्थिति डिम्बाशय 2. अल्पविकसित डिम्बाशय 3. अंतर्लिगंता 4. श्वेत ओसर >>>

पशुपालन समाचार

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय मे भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से पैदा हुई बाछी

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के ईटीटी एवं आईवीएफ  प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से गायों मे भ्रूण प्रत्यारोपण कर सफलता पायी है। ज्ञात हो की इसी प्रयोगशाला में पिछले वर्ष बिहार में पहली बार भ्रूण-प्रत्यारोपित बाछी “नंदिनी” का जन्म हुआ था। >>>

डेरी पालन

देशी घी के रंग को प्रभावित करने वाले कारक

खाद्य पदार्थों की पसंद को प्रभावित करने वाले कारकों में से उनके रंगों का महत्वपूर्ण स्थान है। दूध के संवेदी गुण जैसे कि दिखावट, बनावट, रंग, स्वाद और सुगंध आदि उत्पाद की गुणवत्ता और उपभोक्ता स्वीकृति >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ मे ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर)

दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक (उपापचयी) रोग है जिसे अंग्रेजी में मिल्क फीवर रोग कहा जाता है, जो गाय या भैंस में ब्याहने से दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। परन्तु कुछ पशुओं में यह रोग ब्याने के पश्चात 15 दिन तक भी हो सकता है। मिल्क फीवर पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। मिल्क फीवर ज्यादातर अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस में होता है परन्तु यह रोग भेड़ बकरियों की दुधारू नस्लों में भी हो सकता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में अंत: परजीवी रोग, उपचार एवं बचाव

अपना देश भारत दुग्ध उत्पादन में विगत कई वर्षों से विश्व में प्रथम स्थान पर है परंतु हमारे देश में प्रति पशु उत्पादकता अत्यंत न्यून है। किसी भी पशु की उत्पादकता को बनाए रखने के लिए उसका स्वस्थ होना नितांत आवश्यक है। >>>

डेरी पालन

गाय व भैंसों के लिए सन्तुलित आहार

शरीर को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है, जो उसे आहार से प्राप्त होता है। अन्य जीवधारियों की तरह गाय व भैंसों को भी जीवन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। गाय व भैंस शाकाहारी होते हैं एवं चारा ही इनका मुख्य भोजन होता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

बकरियों में होने वाली प्रमुख बीमारियाँ, कारण, लक्षण, रोकथाम एवं चिकित्सा उपचार

बकरियों में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ होती हैं। बीमारियाँ उत्पन्न होने का कारण कई प्रकार के जीवाणु विषाणु एव कीटाणु होते हैं जो शरीर के अन्दर एवं बाहर विद्यमान रहते हैं। जब बकरी की शारीरिक क्षमता कम हो जाती है तो यही शरीर में प्रवेश कर व्याधियाँ उत्पन्न करते हैं। >>>

पशुपालन

आइये दुधारू पशुओें के व्यवहार को समझें

हमारा देश भारत दूध उत्पादन में शीर्ष पर है और इसका उत्पादन प्रति वर्ष 185 मिलियन टन से अधिक हो चूका है, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (2018.19)। दुधारू पशु मुख्यता छोटे एवं मध्यम वर्गी किसानो द्वारा रखे जाते है जिनके पास सीमित भूमि और उन पर खर्च करने की समता काफी कम रहती है। >>>

पशुपालन

कृत्रिम गर्भाधान द्वारा वीर्य को उपयुक्त स्थान पर पहुंचाने संबंधी जानकारी

कृत्रिम गर्भाधान इस विधि में स्वस्थ नर पशु के वीर्य (semen) को कृत्रिम विधि से स्वच्छतापूर्वक एकत्रित करके यन्त्रों की सहायता से मादा जननेन्द्रियों में स्वच्छतापूर्वक ऋतु के उचित समय (Proper time >>>

पशुओं की बीमारियाँ

शीत ऋतु/सर्दियों में दुधारू एवं नवजात पशुओं का प्रबंधन

सर्दियों में पशुओं के रहन-सहन और उनके आहार का समुचित प्रबंधन करना नितांत आवश्यक है। यदि पशुओं के रहन-सहन और आहार का उचित प्रबंध इस प्रतिकूल मौसम में नहीं किया जाए तो पशु के स्वास्थ्य एवं दुग्ध >>>

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