मादा पशु जननांगों की जानकारी

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गाय का जनन तंत्र (Reproductive system of Cow)

गाय का जनन तंत्र अधिक विशिष्ट एवं जटिल होता है क्योंकि इसमें अण्डाणु (Ova) बनने के अतिरिक्त बच्चे के पोषण एवं बढ़ने के लिए भी स्थान होता है। इस तंत्र को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है-

(अ) मुख्य लैंगिक अंग (Primary/Essential Sex organs) जैसे- अण्डाशय (Ovary)।
(ब) सहायक लैंगिक अंग (Secondary/ Accessory Sex organs)

  1. गर्भाशय नाल (Fallopian tube/oviduct)
  2. गर्भाशय (Uterus)
  3. गर्भाशय ग्रीवा (Cervix)
  4. योनि (Vagina)
  5. भग एवं अगशेफ(Vulva & Clitoris)

(अ) मुख्य लैंगिक अंग (Primary/Essential Sex organs)

1. अण्डाशय (OVARY)

यह मादा जनन तंत्र का मुख्य अंग है। ये संख्या में दो होती हैं तथा पृथुस्नायु(Broad ligament) के साथ जुड़ी रहती है। ये अण्डाकार(Oval) या गोल (Rounded) होती हैं। परन्तु ग्राफी पुटक (Graafian follicle) या पीतकाय (Corpus luteum) की उपस्थिति में इनका आकार बदल जाता है।

गाय में अण्डाशय की लम्बाई 2.5 – 3.7 सेमी. (1 7 1.5 इंच) होती है। यह अण्डाशय जनन एपीथीलिएम (Germinel epithelium) की परत से घिरी होती है। जनन एपीथीलियम (Germinal epithelium) की दीवारों से पुटक (Follicles) बनती हैं और कई व्यवस्थाओं के पश्चात् इनका परिपक्व (Maturation) होता है तथा अण्ड जनन की क्रिया के द्वारा अण्ड (Ovum) का प्रादुर्भाव होता है। इस अण्ड को अण्डाशय से बाहर निकलने की प्रक्रिया को अण्डोत्सर्ग (Ovulation) कहते हैं। अण्डोत्सर्ग के पश्चात् अण्डाशय के उक्त स्थान पर एक अस्थाई रचना बन जाती है जिसे पीतकाय (Corpus luteum) कहते हैं।

अण्डाशय के दो मुख्य कार्य हैं

  1. अण्डाणु का उत्पादन (Production of Ovum): इनको मादा लैंगिक कोशायें/युग्मक (Female Sex cells/gamete) कहते हैं।
  2. हार्मोन (अंतस्त्रावी रसायन का) का उत्पादन (Production of hormones): इन रसायनों द्वारा प्रजनन पथ(Reproductive tract) को तैयार किया जाता है। समसूत्री (Mitosis) तथा अर्द्धसूत्री
और देखें :  पशु के ब्याने के पश्चात गर्भाशय का संक्रमण: (प्यूरपेरल मेट्राइटिस)

(Meiosis) विभाजन के द्वारा जनन उपकला (Germinial epitheleiem) की दीवारों से एक अण्ड की उत्पत्ति होती है। यह अण्डपुटक (Follicle) में बढ़ता है। इस पुटक में एक तरल पदार्थ भरा रहता है जिसे पुटक तरल (Follicular fluid) कहते हैं। अण्डाशय के अन्दर वाले भाग में रूधिर वाहिनियां (Blood vesseles) और तंत्रिकायें (Nerves) पायी जाती हैं।

(ब) सहायक लैंगिक अंग (Secondary Sex Organs)

1. गर्भाशय नाल (Fallopian tube/oviduct)

यह एक पतली लम्बी नली है जो अण्डाशय के निकट एक कीप (Funnel) के रूप में परिवर्तित हो जाती है। जिसको इंफडीबुलम (Fimbrieted end) कहते हैं। इंफडीबुलम (Fimbrieted end), अण्डाशय के बाहरी भाग को घेरे रहता है। परन्तु अण्डाशय के साथ जुड़ा नहीं होता है। अण्डाशय से जो अण्ड (Ovum) बाहर निकलता है वह शीघ्र ही इस कीपाकार इंफडीबुलम में आ जाता है। इंफडीबुलम के निकट गर्भाशय संकरी होती है जिसे तनुयोजी (Isthmus) कहते हैं। परन्तु यह आगे चलकर गर्भाशय श्रंग (Apex of Uterine horn) के निकट चौड़ी होकर ऐम्पुला (Ampullae) कहलाती है। ऐम्पुला के भीतर ही अण्ड का निषेचन (Fartilization) होता है।

2. गर्भाशय (Uterus)

गर्भाशय के आगे की ओर दो मुड़े हुए श्रंग (horns) होते हैं। गर्भाशय की दीवारें तीन परतों (स्तरों) की बनी होती है। बाहरी परत को बाह्य कला (Serosa) मध्य परत को पेशी स्तर (Muscularis) तथा आन्तरिक परत/स्तर को श्लेष्म कला (Mucousa) कहते हैं। आन्तरिक परत से गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय ग्रन्थियां बनती हैं जिनके द्वारा आरिम्भक भू्रण के पोषण के लिए एक विशेष प्रकार का तरल निकलता है जिसे गर्भाशय दुग्ध (Uterine milk) कहते हैंं।

3. गर्भाशय ग्रीवा (Cervix)

गर्भाशय का सबसे पीछे वाला भाग ग्र्रीवा (Cervix or Neck of the womb) कहलाता है। जोकि प्रजनन पथ का एक मोटी दीवार वाला भाग होता है और गर्भाशय (Uterus) तथा योनि (Vagina) के मध्य रहता है। गाय के ब्याने या ऋतुकाल (Oestrus) के समय खुल जाता है अन्यथा बन्द रहता है। इसमें एक प्रकार का प्रतिरोधी श्लेष्म द्रव (Mucous) निकलता है जोकि मद काल (Oestrum) के समय भग (Vulva) से बाहर निकलता है। ग्रीवा का एक भाग योनि में बदल जाता है जोकि एक छिद्र के रूप में होता है और उसे योनि छिद्र कहते हैं।

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गाय में ग्रीवा की लम्बाई 10 सेमी. (4 इंच) और व्यास 2.5 सेमी (1 इंच) होता है और इसके द्वारा शुक्राणु (Sperms) गर्भाशय में पहंुचते हैं।

4. योनि(Vagina)

योनि (Vagina), गुदा (rectum) और मूत्राशय (Urinay bladder) के नीचे स्थित होती है। इसकी बनावट तथा कार्य बहुत ही सामान्य होता है। यह तीन स्तरों क्रमशः श्लेष्मकला (Mucousa), पेशीस्तर (Muscularis) और बाह्यकला (Serosa) की बनी होती है। योनि के मध्य में एक झिल्ली (Membrane) होती है जिसे योनिच्छद (hymen) कहते हैं। योनि की दीवारें बहुत पतली, कड़ी परन्तु लचीली होती है और इनके द्वारा श्लेष्म(Mucous) का स्त्राव (Secretion) होता रहता है। गाय में योनि की लम्बाई 20 से 25 सेमी ( 8 से 10 इंच) तक होती है।

5. भग एवं भगशेफ (Vulva & Clitoris)

भग (Vulva) मादा जनन पथ (Female reproductive tract) का सबसे बाहर खुलने वाला भाग है। जब मादा पशु गाय/भैंस ऋतु (Heat) में आती है उस समय भग फूल जाता है एवं इसका व्यास (Diameter) योनि की अपेक्षा अधिक हो जाता है।

भग में दो भगओष्ठ (Vular lips) होते हैं जिनके ऊपर स्पर्श रोम (Tactile hairs) होते हैं दोनों ओष्ठ (lips) मिलकर ऊपर की ओर पृष्ठीयसमायिक (Dorsal Commissure) एवं नीचे की ओर अधरसमायिल (Vertral Commissures) बनाते हैं। अधर समामिल के ऊपर ऊतकों (Erectile tissues) का उभार सा होता है। जिसे भगशेफ (Clitoris) कहते हैं।

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योनि में मूत्राशय से एक छिद्र खुलता है जिसके द्वारा मूत्र इसमें आता है, इसे प्रधाण (Vestibule) कहते हैं और यह योनिच्छद (hymen) से पीछे होता है।

पृथु स्नायु (broad ligament) कई प्रकार के आधार ऊतकों (Supporting tissues) से मिलकर बना होता है जो अण्डाशय (ovary), गर्भाशय नाल (fallopian tube) तथा गर्भाशय (Uterus) के कुछ भाग को घेरता है, जिन्हें क्रमशः मोजोवेरियम, मीसोसैलपिंक्स एवं मीसोमेट्रियम कहते हैं। इसमें रूधिर वाहिनियां (blood vessels) एवं तंत्रिकायें (Nerves) आकर मिलती हैं।

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