पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ मे ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर)

दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक (उपापचयी) रोग है जिसे अंग्रेजी में मिल्क फीवर रोग कहा जाता है, जो गाय या भैंस में ब्याहने से दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। परन्तु कुछ पशुओं में यह रोग ब्याने के पश्चात 15 दिन तक भी हो सकता है। मिल्क फीवर पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। मिल्क फीवर ज्यादातर अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस में होता है परन्तु यह रोग भेड़ बकरियों की दुधारू नस्लों में भी हो सकता है। >>>

पशुपालन

गाभिन पशु का ग्रीष्म एवं वर्षा ऋतु में पोषण एवं प्रबन्धन

भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि एवं पशु पालन भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व रखते हैं, सकल धरेलु कृषि उत्पाद में पशुपालन का 30 प्रतिशत योगदान सराहनीय है, जिसमें दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। >>>

पशुपोषण

संतुलित राशन और पशुओं में उसके लाभ

संतुलित राशनर: दिन के चौबीस घंटे की जानवर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त फ़ीड को, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, संतुलित राशन कहा जाता है। जानवरों की पोषक आवश्यकताएं न केवल >>>

पशुपालन

बोरोन- महत्वपूर्ण ट्रेस खनिज

बोरोन धातु के रूप-रंग का एक अधातु पदार्थ है जिसे रसायन विज्ञान में ‘बी’ के रूप में नामित किया गया है। जो उपभोग के विचार से शरीर में अतिसूक्ष्म मात्रा में पाया जाता है और ट्रेस/सूक्ष्म खनिज तत्व की श्रेणी में रखा गया है। >>>

पशुपालन

पशुपालकों को वर्ष पर्यंत हरा चारा उत्पादन संबंधी दिशा निर्देश

जनवरी जई, बरसीम एवं रिजका मैं आवश्यकता के अनुरूप सिंचाई करते रहना चाहिए। चारे के लिए बोई गई बरसीम एवं जई में यदि बीज लेना हो तो जई को प्रथम कटाई के बाद एवं वरसीम को तीसरी कटाई के बाद कटाई बंद कर >>>

पशुओं की बीमारियाँ

रोमन्थी पशुओ मे अफरा रोग

जुगाली करने वाले पशु जैसे की गाय, भैस बकरी एवं भेड़ मे अफरा एक आम समस्या है l इनके पेट (रुमेन) मे भोज्य पदार्थो के पाचन के दौरान गैस एवं अम्ल का बनना एक सामान्य प्रक्रिया है ओर ऐसा प्रति दिन चलते >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में रूमिनल टिमपेनी के लक्षण एवं उपचार

अत्यधिक मात्रा में आसानी से किण्वित हो जाने वाले खाद्य पदार्थो को खाने से सामान्य से अधिक मात्रा में गैसों का उत्पादन होता है। किण्वन से बनी इन गैसों से भर जाते हैं, इस अवस्था को आफरा/टिमपेनी/ब्लोट >>>

पशुपोषण

पशुओं के लिए उचित संतुलित आहार व्यवस्था

संतुलित आहार उस खाद्य मिश्रण को कहते हैं जो पशुओं के शरीर को बनाये रखने के लिए तथा उनकी उचित बढ़ोतरी व दूध उत्पादन के लिए कई तरह के खाद्य पदार्थों द्वारा बनाया जाता है, जो किसी विशेष पशु की >>>

पशुपोषण

पशुओं के लिए आहार संतुलन, का महत्वपूर्ण योगदान

अपने भारतीय परिवेश में सामान्यत: पशुओं को दिए जाने वाले आहार में एक या एक से अधिक स्थानीय रूप से उपलब्ध सांद्र मिश्रण या कंसंट्रेट, पशु खाद्य पदार्थ, घास एवं सूखा चारा होता है। इस कारण आहार में >>>

पशुपालन

पशु आहार में कच्चा रेशे (Crude Fibre) का महत्व

डेयरी उद्योग में सफलता पाने के लिए पशुपोषण में उत्तम संतुलित आहार बहुत ही जरुरी होता है। आहार में भी रेशे की गुणवत्ता का सहभाग खूब महत्वपूर्ण होता है । गाय को भरपेट तथा गुणवत्ता युक्त रेशेवाला आहार >>>

पशुपालन समाचार

यूरिया शीरा खनिज पिंड- पशुओं के लिए एक उपयोगी आहार

पशु पोषण में सबसे जरूरी तत्व है पशुओं के लिए पौष्टिक एवं संतुलित आहार की व्यवस्था । हमारे देश में हरे चारे व अच्छे दाने मिश्रण की बहुत कमी है, इसलिए फसल अवशेष ही मुख्यतः आहार के रूप में प्रयोग किये >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में यूरिया की विषाक्तता के कारण एवं निवारण:

यूरिया की खाद का प्रयोग फसलों एवं चारे की पैदावार बढ़ाने हेतु सबसे अधिक किया जाता है। जुगाली करने वाले पशुओं के लिए यूरिया प्रोटीन का सबसे सस्ता स्रोत है। पशुओं को खिलाने के लिए यूरिया का प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है >>>

poultry farmer
पशुपोषण

कुक्कुटों की आहार व्यवस्था

आहार व्यवस्था, प्रबन्धन का प्रथामिक एवं मुख्य अंग है, क्योंकि कुक्कुट उत्पादन में प्रमुख व्यय आहार पर होता है जो कि 60-70 प्रतिशत तक होता है। अतः सफल कुक्कुट उत्पादन में आहार दक्षमता मुख्य कारकों मे >>>

अफलाटॉक्सिकोसिस
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में अफलाटॉक्सिकोसिस: कारण एवं निवारण

पशुओं को बचा हुआ सड़ा,बासी खाना देना तथा कवकअफलाटॉक्सिकोसिस/ फफूंदी लगी हुई चीजें खिलाना एक आम बात है। यह कवक/ फफूंदी माइकोटॉक्सिंस उत्पन्न करती है जो मनुष्य व पशुओं के लिए अत्यंत हानिकारक है। अक्सर >>>