भेड़ बकरी पालन

उत्तर प्रदेश के विंध्यांचल क्षेत्र में पाली जाने वाली सोनपरी बकरी के लक्षण

पशुपालन देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसका कृषि जीडीपी में 27-32% योगदान है। पशुपालन के माध्यम से गरीबी उन्मूलन, पोषण सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार, महिला सशक्तिकरण आदि मुद्दों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। >>>

पशुपालन

सर्पदंश

भारत में सांपो की करीब 306 प्रजातियाँ पायी जाती है, जिनमे से 85 प्रजातियाँ जहरीली हैl लेकिन इन सब में से  चार  तरह के सांप कोबरा, रसेल वाईपर, सा स्केल्ड वाईपर और करैत सबसे खरतनाक है, >>>

शोध लेख

बच्चों के सर्वांगीण विकास में माता-पिता का योगदान

आज के समय में माता-पिता बनना जितना सरल लगता है, उससे कहीं बहुत अधिक कठिन बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है। सर्वांगीण विकास से तात्पर्य बच्चों का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेदनात्मक विकास उनकी आयु के अनुरूप हो। >>>

डेरी पालन

महिला सशक्तिकरण के लिए सामाजिक सहभागिता अत्यंत आवश्यक

समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार होती है। देश के सशक्तिकरण व उन्नति के लिए गांव, समाज एवं प्रदेश का विकास आवश्यक है। गांव के विकास के लिए समुदाय व समाज व परिवार का संतुलित विकास आवश्यक है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुधन क्षेत्र में एंटीबायोटिक दवाओं का व्यापक उपयोग: पारिस्थितिकी एवं स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव

प्रतिजीवी (एंटीबायोटिक) ऐसे रसायन होते हैं जो जीवाणुओं को मारते हैं एवं जीवाणुओं के संक्रमण को रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं। वे प्रकृति में मिट्टी के बैक्टीरिया और कवक द्वारा निर्मित होते हैं। 1940 के दशक से चिकित्सा में प्रतिजीवी उपयोग की शुरुआत के बाद से एंटीबायोटिक्स आधुनिक स्वास्थ्य सेवा में केंद्रीय रहा हैं। >>>

पशुपालन

पशु प्रेम एवं पशु कल्याण का सामाजिक जीवन में महत्व

भारतवर्ष में लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि एवं कृषि संबंधी व्यवसायों पर निर्भर करती है। शहरों और गाँवों का आपस में गहरा संबंध है क्योंकि ग्रामीण आँचल में पैदा होने वाला खाद्यान एवं कच्चा माल शहरों में भेजा जाता है और आवश्यक दैनिक वस्तुएं ग्रामीण आँचल में जाती है। >>>

पशुपालन

आइये दुधारू पशुओें के व्यवहार को समझें

हमारा देश भारत दूध उत्पादन में शीर्ष पर है और इसका उत्पादन प्रति वर्ष 185 मिलियन टन से अधिक हो चूका है, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (2018.19)। दुधारू पशु मुख्यता छोटे एवं मध्यम वर्गी किसानो द्वारा रखे जाते है जिनके पास सीमित भूमि और उन पर खर्च करने की समता काफी कम रहती है। >>>

कुक्कुट पालन

वर्तमान समय में कुक्कुट पालन के सकल तरीके

“भारतवर्ष को सोने की चिड़िया कहा गया है, परन्तु जिस प्रकार कुक्कुट पालन उद्योग से अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँच रहा है तो वर्तमान में यह कहना अनुचित नही होगा की सच >>>

पशुपोषण

हाईड्रोपोनिक्स (Hydroponic)-परंपरागत हरे चारे का सही विकल्प

वर्तमान परिदृश्य में हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponic) खेती दुनिया के कृषि उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। खेती योग्य जमीन की कमी, बढती आबादी, पानी की कमी, गुणवत्ता रहित पानी व भूमि तथा जलवायु परिवर्तन ऐसे प्रमुख कारण है जो किसानों को बागवानी के वैकल्पिक तरीको की ओर प्रोत्साहित कर रहे है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी उद्योग को आर्थिक नुकसान में थनैला का योगदान: जाँच वं प्रबंधन

डेयरी गायों में थनैला (Mastitis) एक विकट समस्या हैं जो कम उत्पादन के साथ दूध की गुणवत्ता के माध्यम से महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान का कारण है। Mastitis डेयरी पशुओ की बीमारी  हैं जो एक सदी से अधिक समय से पहचानी जाती हैं और अभी भी जारी है जो डेयरी उद्योग को आर्थिक नुकसान का एक प्रमुख कारण है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

रोगाणुरोधी प्रतिरोध: थनैला एवं लेवटी के अन्य रोगों का घरेलु उपचार

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial resistance) एक बहुत ही महत्वपूर्ण जनस्वास्थ्य समस्या है होने के साथ-साथ यह महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्वास्थ्य समस्या भी है जिसे आमतौर पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध कहा जाता है। और वास्तव में, अब हम जानते हैं कि हमारी कई मानवीय गतिविधियों और इंजीनियर पद्दतियां, रोगाणुरोधी प्रतिरोध के स्तर को बढ़ाने में योगदान कर रही हैं। >>>

पशुपोषण

नवजात शिशु (बछड़े) का संतुलित आहार

पशु पालकों को चाहिए कि गाय व भैंस द्वारा जन्म देने के 1-2 घण्टे के भीतर फेनुस को या तो निकाले अथवा बछड़े को थन (छीमी) के पास ले जाकर थन (छीमी) को धीरे-धीरे उसमें >>>

पशुओं की बीमारियाँ

भैसों में प्रसवोत्तर बाँझपन अवधि एक समस्या तथा बचाने के घरेलु उपाय

भैंस को खराब गुणवत्ता वाले चारे के उत्कृष्ट परिवर्तक के रूप में जाना जाता रहा है, जो कि इन्हे कठोर वातावरण के अनुकूल बनाता है और गायों की तुलना में इन्हे उष्णकटिबंधीय रोगों जैसे- , इत्यादि, से प्रतिरोध क्षमता प्रदान करता है। >>>

पशुपोषण

पशु प्रजनन एवं दुग्ध उत्पादन में पोषण का महत्व

पशुपालन व्यवसाय में पशु आहार/प्रबन्धन एक महत्वपूर्ण कार्य है। हमारे देश में पशुओं का पोषण कृषि उपज पर निर्भर करता है। चारे व दाने की कमी के कारण पशुओं को निम्न कोटि का चारा जैसे-भूसा, कड़वी, आदि पर निर्वाह करना पड़ता है। ऐसे निम्न कोटि के चारे दाने की उपलब्धता भी पशुओं की संख्या के अनुपात में काफी कम है। >>>