पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ मे ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर)

दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक (उपापचयी) रोग है जिसे अंग्रेजी में मिल्क फीवर रोग कहा जाता है, जो गाय या भैंस में ब्याहने से दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। परन्तु कुछ पशुओं में यह रोग ब्याने के पश्चात 15 दिन तक भी हो सकता है। मिल्क फीवर पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। मिल्क फीवर ज्यादातर अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस में होता है परन्तु यह रोग भेड़ बकरियों की दुधारू नस्लों में भी हो सकता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

खुरपका-मुँहपका रोग तथा दुग्ध एवं मांस उद्योग पर इसका दुष्प्रभाव: संक्षिप्त अंतर्दृष्टि तथा नियंत्रण व निवारण

खुरपका-मुँहपका एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है, जो पशुओं के विभिन्न प्रकार जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी और शूकर में फैलता है। यह रोग पशुओं के संक्रमण दर तक पहुंच सकता है और बछड़ों में 20% तक मृत्यु की दर हो सकती है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी पशुओं में जेर रुकने की समस्या एवं प्रबंधन

सामान्यतः गाभिन पशुओं में ब्याने के 3-6 घंटे के अंदर जेर स्वतः बाहर निकल आती है, परन्तु यदि ब्याने के 8-12 घंटे के बाद भी जेर नहीं निकला तो उस स्थिति को जेर के रुकने की स्थिति कहा जाता है। जेर की रुकने की समस्या का डेयरी पशु के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। >>>

पशुपालन

जलवायु परिवर्तन का मवेशियो की उत्पादकता, प्रजनन क्षमता एवं स्वास्थ्य पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन विशेष रूप से ग्लोबल वार्मिंग, पशुओ की उत्पादक क्षमता को प्रभावित करता है। गर्मी से होने वाले तनाव (हीट स्ट्रेस) को कम करने के लिए पशु अपनी उपापचय क्रिया को बदलते हुए, खाने का सेवन कम कर देते हैं, जिससे पशुओ का वजन कम होने लगता है। >>>

पशुपालन

नवजात पशुओं की देखभाल

पारम्परिक रूप से पशु पालन में डेयरी व्यवसाय कृषि की द्वितीयक स्वरूप के परे एक संगठित उद्योग के स्वरूप को प्राप्त है। आज किसान दुग्ध व्यवसाय को व्यापार व आर्थिक उन्नति का आधार बनाया है। इस कारण से आज >>>

पशुपालन

भैंसों में ग्रीष्मकालीन प्रबंधन

भैंसों में खराब थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम होता है और विशेष रूप से गर्मियों में अत्यधिक जलवायु परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। भैंस अपने काले शरीर के रंग के कारण मवेशियों की तुलना में >>>

पशुपालन समाचार

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय मे भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से पैदा हुई बाछी

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के ईटीटी एवं आईवीएफ  प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से गायों मे भ्रूण प्रत्यारोपण कर सफलता पायी है। ज्ञात हो की इसी प्रयोगशाला में पिछले वर्ष बिहार में पहली बार भ्रूण-प्रत्यारोपित बाछी “नंदिनी” का जन्म हुआ था। >>>

पशुपालन

पशुओं में जनन क्षमता को लम्बे समय तक बनाये रखना

जनन क्षमता गौ पशुओं में जनन क्षमता (यौवनारम्भ) जन्म से लेकर 24-30 माह गौ पशु में, व भैंस में 30-36 माह मे आ जाती है। जिससे दुधारु पशु के जीवन में ब्यॉत की संख्याओं का मूल्यांकन किया जाता है। जिसे >>>

कृत्रिम गर्भाधान AI
पशुपालन

कृत्रिम गर्भाधान: पशुपालको के लिए एक वरदान

रोगरहित नर पशु के उच्चकोटि वीर्य को मादा पशु के प्रजनन अंग में सही समय में सही स्थान पर कृत्रिम गर्भाधान उपकरण की मदद से डालना कृत्रिम गर्भाधान कहलाता है। कृत्रिम गर्भाधान की आवशयकता भारत के ग्राम >>>

पशुपालन

पशुओं में जनन क्षमता को लम्बे समय तक बनाये रखना

जनन क्षमता गौ पशुओं में जनन क्षमता (यौवनारम्भ) जन्म से लेकर 24-30 माह गौ पशु में, व भैंस में 30-36 माह मे आ जाती है। जिससे दुधारु पशु के जीवन में ब्यॉत की संख्याओं का मूल्यांकन किया जाता है। जिसे >>>

पशुपालन

आईवीएफ और ईटीटी से बढ़ाएं गाय और भैंस के बच्चे पैदा करने की दर

भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक (ईटीटी) भ्रूण-प्रत्यारोपण तकनीक (ईटीटी) अच्छी गाय एवं भैंस से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की तकनीक है। इस तकनीक में दाता गाय के अंडकोष से एक बार में कई अंडे बनाये जाते >>>

पशुपालन

मादा पशु जननांगों की जानकारी

गाय का जनन तंत्र (Reproductive system of Cow) गाय का जनन तंत्र अधिक विशिष्ट एवं जटिल होता है क्योंकि इसमें अण्डाणु (Ova) बनने के अतिरिक्त बच्चे के पोषण एवं बढ़ने के लिए भी स्थान होता है। >>>