पशुओं की बीमारियाँ

एल.एस.डी. या गांठदार/ ढेलेदार त्वचा रोग/ लंपी स्किन डिजीज

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में तकनीकी सलाहकार (राष्ट्रीय गोकुल मिशन) के पद पर कार्यरत डॉ. चंद्रशेखर गोदारा ने बताया कि लंपी स्किन बीमारी या ढेलेदार त्वचा रोग एक वायरल बीमारी है (एलएसडी) >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ मे ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर)

दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक (उपापचयी) रोग है जिसे अंग्रेजी में मिल्क फीवर रोग कहा जाता है, जो गाय या भैंस में ब्याहने से दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। परन्तु कुछ पशुओं में यह रोग ब्याने के पश्चात 15 दिन तक भी हो सकता है। मिल्क फीवर पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। मिल्क फीवर ज्यादातर अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस में होता है परन्तु यह रोग भेड़ बकरियों की दुधारू नस्लों में भी हो सकता है। >>>

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खुरपका-मुँहपका रोग तथा दुग्ध एवं मांस उद्योग पर इसका दुष्प्रभाव: संक्षिप्त अंतर्दृष्टि तथा नियंत्रण व निवारण

खुरपका-मुँहपका एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है, जो पशुओं के विभिन्न प्रकार जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी और शूकर में फैलता है। यह रोग पशुओं के संक्रमण दर तक पहुंच सकता है और बछड़ों में 20% तक मृत्यु की दर हो सकती है। >>>

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पशुओं में संक्रमण: दुग्ध उत्पादन पर प्रभाव

वे रोग जो बैक्टीरिया, वाइरस तथा प्रोटोजोआ द्वारा फैलते हैं, संक्रामक रोग कहलाते हैं। छूत से फैलने वाले सभी रोग संक्रामक रोग होते है। प्रमुख संक्रामक रोग निम्न है: खुरपका मुंहपका रोग- यह एक >>>

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गौवंश की महामारी: लंपी स्किन रोग

लंपी स्किन रोग गायों और भैंसों का एक वेक्टर-जनित चेचक रोग है और त्वचा पर गांठों की उपस्थिति लंपी स्किन रोग की विशेषता है। यह रोग कई भारतीय राज्यों जैसे राजस्थान, असम, ओडिशा, महाराष्ट्र, केरल, >>>

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डेयरी पशुओं में जेर रुकने की समस्या एवं प्रबंधन

सामान्यतः गाभिन पशुओं में ब्याने के 3-6 घंटे के अंदर जेर स्वतः बाहर निकल आती है, परन्तु यदि ब्याने के 8-12 घंटे के बाद भी जेर नहीं निकला तो उस स्थिति को जेर के रुकने की स्थिति कहा जाता है। जेर की रुकने की समस्या का डेयरी पशु के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। >>>

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लंपी स्किन डिजीज

गोवंश में फैलने वाले ठेकेदार त्वचा रोग (लंपी स्किन डिजीज) का खतरा देश प्रदेश में मडराने लगा है। इसका ज्यादा प्रभाव इस समय उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान में देखने को मिल रहा है। पशुपालकों ने >>>

Scrub Typhus
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स्क्रब टाइफस: एक पशुजन्य रोग

स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी है। स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (माइट्स) के काटने से इंसानों में फैलता है। इस रोग को बुश टाइफस के नाम से भी जाना >>>

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पशुओं में जननहीनता के कारण एवं लक्षण

जननहीनता पशुओं में प्रजनन की क्षमता कम हो जाती है। कारण 1. शरीर रचना संबंधी कारक (अ) शरीर रचना संबंधी आनुवांशिक कारण 1. अनुपस्थिति डिम्बाशय 2. अल्पविकसित डिम्बाशय 3. अंतर्लिगंता 4. श्वेत ओसर >>>

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दुधारू पशुओं में पुनरावृति प्रजनन (रिपीट ब्रीडिंग) प्रजननहीनता का कारण

रिपीट ब्रीडर गाय वह गाय है जो सामान्य जननांग एवं सामान्य स्राव के साथ सामान्य मदकाल होने पर भी, रोगरहित उच्चकोटि साँड अथवा उच्चकोटि वीर्य द्वारा लगातार 3 या अधिक से बार गर्भित कराने पर गर्भ धारण >>>

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रोमन्थी पशुओ मे अफरा रोग

जुगाली करने वाले पशु जैसे की गाय, भैस बकरी एवं भेड़ मे अफरा एक आम समस्या है l इनके पेट (रुमेन) मे भोज्य पदार्थो के पाचन के दौरान गैस एवं अम्ल का बनना एक सामान्य प्रक्रिया है ओर ऐसा प्रति दिन चलते >>>

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गौ पशुओं में लंपी स्किन डिजीज: लक्षण एवं रोकथाम

लंपी स्किन डिजीज एक विषाणु जनित बीमारी है, जो पॉक्सवायरस से होती है। सितंबर 2020 में भारत में पहली बार इसका प्रसार हुआ था।इसमे मृत्यु दर लगभग 5% है परंतु इसका प्रसार काफी अधिक है। यह एक नई उभरती हुई >>>

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पशुओं में रूमिनल टिमपेनी के लक्षण एवं उपचार

अत्यधिक मात्रा में आसानी से किण्वित हो जाने वाले खाद्य पदार्थो को खाने से सामान्य से अधिक मात्रा में गैसों का उत्पादन होता है। किण्वन से बनी इन गैसों से भर जाते हैं, इस अवस्था को आफरा/टिमपेनी/ब्लोट >>>

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समय बद्ध कृत्रिम गर्भाधान हेतु ओवम सिंक्रोनाइजेशन की विधियां

समय बद्ध कृत्रिम गर्भाधान हेतु जीपीजी विधि का प्रयोग पशु चिकित्सा अधिकारी या तो स्वयं करें अथवा अपनी निगरानी में करवाएं। इस विधि का प्रयोग पशु के गर्मी पर आने के पश्चात 7 से 11 दिन के बीच प्रारंभ कर >>>