बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज, पटना और भा.कृ.अ.प. के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में औषधीय पौधे और उनका पशु और मनुष्य के जीवन में भूमिका विषयक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार को बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में हुआ।
औषध और विष विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में 63 प्रशिक्षार्थी को 7 विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया। इस कार्यशाला में यूनानी चिकित्सा के विशेषज्ञों ने भी अपने बातें रखी। विशेषज्ञ के तौर पर जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के डॉ. हिफज़ुल कबीर, डॉ. मो. वजीहउल कमर, लार्ड बुद्धा कोशी फार्मेसी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ) सरफ़राज़ हुसैन, डॉ. संतोष कुमार विश्वकर्मा, डॉ. रमन रंजन और बिहार पशुचिकित्सा कॉलेज के डॉ.निर्भय कुमार, डॉ. बिपिन कुमार, डॉ. कौशलेन्द्र ने व्याख्यान दिया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शोधकर्ता, स्नातकोत्तर विद्यार्थियों और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को औषधियों पौधों पर अनुसंधान के लिए प्रेरित करना और उसके लिए प्रशिक्षित करना है। कोरोना के समय से लोगों का आयुर्वेदा और औषधीय पौधों पर निर्भरता बढ़ा है, और भारत अपने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए जाना जाता रहा है जिनमे यूनानी,आयुर्वेद और सिद्धा शामिल है, इस सभी चिकित्सा पद्धतियों को एक मंच में लाकर कैसे मानव और पशु हित पर काम किया जा सकता है इसपर चर्चा हुई।
निदेशक अनुसन्धान डॉ. रविंद्र कुमार के निर्देशन में आयोजित इस प्रशिक्षण में डॉ. निर्भय कुमार, हेड,औषध और विष विज्ञान विभाग, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय ने आयोजन सचिव के रूप में योगदान दिया साथ ही डॉ. अर्चना को-ऑर्डिनेटर की भूमिका में रहीं।
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