24 जुलाई 2019: केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने नई दिल्ली स्थित पूसा में गुणवत्ता दुग्ध कार्यक्रम विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित किया; किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि के साथ पशुपालन पर बल दिया।
केन्द्रीय मत्स्यपालन, पुशपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज कहा कि पशुपालन के साथ कृषि के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने से संबंधित प्रधानमंत्री के विजन को पूरा किया जा सकता है। फसल से होने वाली आय मौसमी है जबकि डेयरी से पूरे साल भर आय प्राप्त होती है और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन भी होता है। लगभग 8 करोड़ ग्रामीण परिवार दुग्ध उत्पादन में कार्यरत है। इनमें भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों की संख्या सबसे अधिक है। श्री सिंह ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है लेकिन दुग्ध सहकारी समितियों को दूध की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने एफएसएसएआई और बीआईएस से मिलावटी दूध के मामले में कड़ाई से नियमों का पालन करने का आग्रह किया। दुग्ध सहकारी समितियों को भी मिलावटी दूध नहीं खरीदना चाहिए। समितियों को गुणवत्तापूर्ण दुग्ध उत्पादन के लिए किसानों के कल्याण, पशुचारे और अवसंरचना पर ध्यान देना चाहिए।
मत्स्यपालन, पुशपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा आज नई दिल्ली के पूसा में गुणवत्तापूर्ण दुग्ध कार्यक्रम विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है। केन्द्रीय मत्स्यपालन, पुशपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, जबकि राज्यमंत्री श्री संजीव कुमार बल्यान विशिष्ट अतिथि थे। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि आजादी से लेकर अब तक सरकार द्वारा किसानों की उपेक्षा की गई है लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को महत्व और सम्मान प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि सही प्रौद्योगिकी के उपयोग से गुणवत्तापूर्ण तथा बड़े पैमाने पर दूध उत्पादन के लिए भारतीय किसान सक्षम है।
दुग्ध उत्पादन में हुई वृद्धि पर श्री सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले चार सालों के दौरान भारत के दूध उत्पादन में 6.4 प्रतिशत वार्षिक की दर से वृद्धि हुई है, जबकि विश्व स्तर पर दुग्ध उत्पादन वृद्धि दर मात्र 1.7 प्रतिशत है। पशुपालन विभाग ने राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) के तहत 313 डेयरी प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाने की मंजूरी दी है ताकि दूध में किसी भी प्रकार की मिलावट का पता लगाया जा सके। पहले चरण के अंतर्गत 18 राज्यों में केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के निर्माण की मंजूरी दी गई है। अगले चरण के तहत गांव स्तर पर सहकारी समितियों को दूध मिलावट की जांच करने से संबंधित सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के विश्वास को मजबूत किया जा सके।
डेयरी संयंत्रों में प्रयोगशालाओं को सशक्त बनाने से सुरक्षित दूध की खपत सुनिश्चित करने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। विश्व डेयरी निर्यात बाजार में भारत केवल 0.01 प्रतिशत का निर्यात करता है। डेयरी संयंत्रों में प्रयोगशालाओं को सशक्त बनाने से सुरक्षित दूध की खपत सुनिश्चित करने और वीडब्ल्यूडब्ल्यूटीओ और सीओडीई जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों में भारत की स्थिति का बचाव करने तथा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के संदूषित पदार्थों और दूध के संघटकों के बारे में उचित डेटाबेस तैयार करने में मदद मिलेगी।
दूध का उत्पादन और गोजातीय पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत भ्रूण अंतरण प्रौद्योगिकी, लिंग पृथक्कृत वीर्य उत्पादन सुविधा के सृजन और जीनोमिक चयन को प्रोत्साहन देने जैसे अनेक प्रयास किये गये हैं। इन उपायों से भारतीय डेयरी पशुओं की उत्पादकता में निश्चित रूप से वृद्धि होगी, जो वर्तमान में केवल प्रतिवर्ष प्रति पशु 1806 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत प्रतिवर्ष प्रति पशु 2310 किलोग्राम है। दुग्ध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार विभिन्न डेयरी विकास योजनाओं का कार्यान्वयन कर रही है, जिनमें डेयरी सहकारी समितियों जैसी खेत के स्तर की गुणवत्तापूर्ण दुग्ध अवसंरचना से लेकर जिला/राज्य स्तर के प्रसंस्करण संयंत्रों तक को मजबूत बनाने का प्रावधान है।
विभाग का लक्ष्य देश में दुग्ध और दुग्ध उत्पादों तथा साथ ही डेयरी उत्पादों की खरीद के संबंध में उपभोक्ताओं को निर्णय लेने में सहायता देने के लिए प्रमाणन की प्रक्रिया हेतु एकल मानक की शुरूआत करना है। इसका लक्ष्य खेत, प्रसंस्करण संयंत्र और दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों के विपणन के स्तर पर स्वच्छता के मापदंडों की प्रमाणन की प्रक्रिया के लिए एकल मानक तैयार करना है। उत्पादों के प्रमाणन में सामंजस्य स्थापित होने के बाद सहकारी समितियों और साथ ही साथ निजी डेयरियों द्वारा बेचे जाने वाले दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के लिए आईएसआई के निशान के संयोजन में क्वालिटी मार्क लोगो का उपयोग किया जाएगा।
दूध को जमने से बचाने के लिए 4.530 बल्क मिल्क कूलर और 35,436 स्वचालित दूध संग्रह इकाइयों को उपलब्ध कराया गया है। विभाग ने डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पहले से ही बल्क मिल्क कूलर, डेयरी प्रसंस्करण संयंत्र और कूलिंग प्लांट आदि को मंजूरी दे दी है। डीआईडीएफ के तहत 7 राज्यों में 26 परियोजनाओं के लिए 3681.46 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। इससे दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के विनिर्माण करने के लिए प्रसंस्करण प्रणाली में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
Be the first to comment