बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में दूध और दूध प्रसंस्करण में प्रगति” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालय संजय गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजी, पटना में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के तहत तीन दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका समापन गुरुवार को हुआ। “दूध और दूध प्रसंस्करण में प्रगति” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ मंगलवार को हुआ था, जिसमे देश के कई प्रख्यात डेयरी वैज्ञानिकों और डेयरी विशेषज्ञों ने अपना व्याख्यान दिया। दुग्ध एवं दुग्ध प्रस्सकरण में नवीनतम प्रयोग और विकास से अवगत कराने के उद्देश्य से आयोजित इस सेमिनार में छात्र-छात्राओं, संकाय सदस्यों को ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा गया।

कार्यक्रम के पहले दिन झारखंड राज्य दुग्ध उत्पादक सहकारी महासंघ, राँची (मेधा) के प्रबंध निदेशक एवं इंडियन डेयरी एसोसिऐसन (पूर्वी क्षेत्र) के अघ्यक्ष डा॰ सुधीर कुमार ने कोविड-19 के परिपेक्ष्य में ग्रामीण स्तर पर उत्पादित अतिरिक्त दुग्ध का मूल्य संवर्धन के द्वारा किसानों की आय में वृृद्धि विषय पर व्याख्यान दिया तथा विस्तार से कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति में डेयरी कोआपरेटिव एवं डेयरी किसानों के समस्याओं एवं समाधान के बारे में भी अपना अनुभव साझा किया। एक अन्य लेक्चर में गुरू अंगदेव पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना के  डा॰ सुनील कुमार नेे दुग्ध प्रसंस्करण एवं दुग्ध उत्पाद निर्माण में मेेमब्रेन की उपयोगिता पर अपना व्याख्यान दिया साथ ही लोगों को अपने अनुसंधान अनुभव से अवगत कराया।

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कार्यशाला के दूसरे दिन राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिक डा॰ प्रदीप बहरे ने  किण्वित दुग्ध पदार्थो में सुरक्षा के विभिन्न पहलूओ पर व्याख्यान दिया तथा किण्वित दुग्ध पदार्थ के सुक्ष्म मानकों के आकलन की विभिन्न विधियों पर प्रकाश डाला। एक अन्य व्याख्यान में आनंद कृृषि विश्वविद्यालय , आनंद, गुजरात के सहायक प्राध्यापक डा॰ सुब्रोतो हाठी ने दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थो की सुरक्षा अवधि बढ़ाने  में जैव परिसंरक्षकों की भूमिका पर व्याख्यान दिया, जिसमे उन्होनें सुक्ष्म जैव परिसंरक्षकों के द्वारा दुग्ध के विभिन्न पदार्थो के सुरक्षा अवधि बढ़ाने हेतू वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की। उन्होंने भारत में उत्पन्न स्वदेशी दुग्ध उत्पादकों जैसे छेना, पनीर, खोवा, चीज इत्यादि में भी जैव परिसंरक्षकों के सफल प्रयोग पर कई महत्वपुर्ण जानकारी दी।

कार्यशाला के तीसरे दिन हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के सेवानिवृत प्रोफेसर एवं कुलसचिव डा॰ आर॰ एस॰ दलाल ने डेयरी उधोग में उद्यमिता विकास पर व्याख्यान दिया। डा॰ दयाल ने सरकार के द्वारा डेयरी उधोग को बढ़ावा देने हेतू विभिन्न योजनाओ के बारे में विस्तार से अवगत कराया।

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एक अन्य लेक्चर में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के डेयरी रसायन विभाग के पुर्व अध्यक्ष डा॰ वाई॰ एस॰ राजपूत ने दुग्ध प्रसंस्करण मे गुणवता पर महत्वपुर्ण व्याख्यान दिया। डा॰ राजपुत ने दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थ के विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर अनुशंसित विभिन्न दुग्ध पदार्थो के बारे बताया। साथ ही  दुग्ध में उपयोग की जानेवाली विभिन्न मिलावटी तत्व, परिसंरक्षक की जाँच की आधुनिक तकनीकों को उल्लेख किया साथ ही दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थो में सुक्ष्म मात्रा में उपलब्ध एंटीबायोटिक एवं पेस्टीसाइड अवशेषों के मूल्यांकन की विभिन्न आधुनिक एवं त्वरित परीक्षण के बारे में अवगत कराया जो आज के परिपेक्ष्य में महत्वपुर्ण हैं।

कार्यशाला में लगभग पचहतर डेयरी एवं पशुचिकित्सा के छात्र-छात्राओं एवं संकाय सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम की रूपरेखा संजय गाँधी गव्य प्रौधोगिकी संस्थान, पटना के डीन डा॰ बलवीर सिंह बेनीवाल एवं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के निदेशक अनुसंधान डा॰ रविन्द्र कुमार के द्वारा तैयार किया गया था। सेमिनार में डा॰ संजीव कुमार एवं डा॰ सोनिया कुमारी कोऑर्डिनेटर के भूमिका में मौजूद रहे।

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