नवनिर्मित अकादमिक भवन, पुस्तकालय भवन व् डाटा सेंटर और राज्य के पशुपालन पदाधिकारियों के लिए आयोजित प्रथम कार्यशाला का शुभारंभ

5
(21)

प्रदेश आज कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में बिहार की छवि एक प्रगतिशील राज्य के रूप में स्थापित हुई है। हमने प्रदेश में लगातार पांचवी बार कृषि कर्मण पुरस्कार हासिल किये हैं जो एक असाधारण उपलब्धि को दर्शाता है उक्त बाते बिहार के कृषि-सह-पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा, वे बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के में बोल रहे थे। अपने ऑनलाइन सम्बोधन में उन्होंने कहा की गत वर्ष बिहार की आर्थिक वृद्धि दर स्थिर मूल्य पर 10% से ज्यादा दर्ज की गई जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रही और इस दर को हासिल करने में कृषि और खासकर पशुपालनए मत्स्य पालन और मुर्गी पालन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। बिहार सरकार कृत संकल्प है कि प्रदेश के किसानो और पशुपालकों को सभी संभव सुविधाएं और लाभ दिए जाये। पशुपालन को बढ़ावा देने हेतु कई तरह के उल्लेखनीय कदम उठाये गए हैं। प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा नस्ल सुधार को प्राथमिकता दी जा रही है। मरंगाए, पूर्णिया में नया फ्रोजेन सीमेन स्टेशन का काम लगभग पूर्ण हो चूका है जहाँ फ्रोजेन सीमेन के 50 लाख डोज़ प्रतिवर्ष पैदा किये जा सकेंगे। उन्होंने आगे कहा की प्रदेश में दूध के प्रशंस्करण को बढ़ावा देने पर भी सरकार का बल है।

विश्वविद्यालय के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा की छात्रों और शिक्षकों के लिए शिक्षण से जुड़ी सभी बुनियादी ढांचे प्रयोगशाला और अन्य सुविधाओं को पहले से ज्यादा उन्नत किया जा रहा है। इस कोरोना त्राश्दी के दौरान लॉक डाउन अवधि में भी विश्वविद्यालय में शिक्षण का कार्य नहीं रुका है, छात्रों के हित के लिए अभी तक 700 से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की गई हैं इसके अलावा 750 शिक्षण सामग्री और 400 से अधिक रिकॉर्ड किए गए व्याख्यान छात्रों के लाभ हेतु यूट्यूब पर अपलोड किए गए हैं इन शिक्षण सामग्री का उपयोग देश विदेश के कोई भी छात्र कर सकते हैं। नए परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा की राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पशुपालकों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए एक बाह्य वित्त पोषित और नौ संस्थागत अनुसंधान परियोजनाओं का परिचालन हो रहा है, बिहार सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत चार अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जो विश्वविद्यालय के विकास में सहायक सिद्ध होगी। कोरोना पर बोलते हुए उन्होंने कहा की कोरोना संक्रमण के दौर में भरी संख्या में रिवर्स माइग्रेशन हुआ है, काफी संख्या में लोग राज्य में वापस लौटे है। उनके सामने रोजगार की समस्या है जो राज्य के लिए बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन  चुनौतियों को अवसर में बदला है, एक बार पुनः इस चुनौती को अवसर में बदलना है। कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी में रोजगार की असीम संभावनाएं है। विश्वविद्यालय को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है, लोगो को ट्रेनिंग देकर रोजगारन्मुख बनाया जा सकता है।

और देखें :  चूहे के वजन से डेढ़ गुना ज्यादा वजन के ट्यूमर का सफल ऑपेरशन किया गया

 

इस अवसर पर विभाग के सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार ने कहा की शिक्षण संस्थान ई-गवर्नेंस मॉडल और ऑनलाइन कोर्सेज को बढ़ावा दे, उन्होंने अपने अभिभाषण में मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (मूक्स) का भी जिक्र किया और कहा की विश्वविद्यालय मूक्स जैसे शार्ट टर्म, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और अन्य कोर्सेज का संचालन करे जिससे फील्ड डॉक्टर्स और आम जनता जिन्हे पशुपालन के क्षेत्र में रूचि हो वो इस कोर्स से लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा की हमें “लैब टू लैंड” पर काम करने की आवश्यकता है ताकि इंटरनेशनल और नेशनल लेवल में हो रहे अनुसन्धान और खोज को तकनीक के मदद से ग्रास रुट लेवल तक लेकर जाया जा सके। उन्होंने %

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

और देखें :  ई-समाधान द्वारा होगा मत्स्य किसानों की समस्याओं का समाधान- श्री मुकेश सहनी

औसत रेटिंग 5 ⭐ (21 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author