फूटराट/ खुर पकना/ इनफेक्शियस पोडोडर्मेटाइटिस के कारण लक्षण एवं उपचार

4.4
(29)

यह पशुओं के खुरों का संक्रामक रोग है जिसमें खुरों के बीच में सूजन, घाव बन जाना तथा कुछ भाग मृत हो जाता है। यह लक्षण खुर के थोड़ा ऊपर वाले कोरोनरी भाग, व पीछे भी दिखाई पड़ते हैं। सामान्य भाषा में इसे खुर पकना कहते हैं। यह रोग मुख्य रूप से भेड़, बकरियों का रोग है परंतु गाय में भी पाया जाता है। यह रोग अधिकतर उन पशुओं में पाया जाता है जिनके खुर पानी, मिट्टी, दलदल व अन्य गंदगी से अधिक भीगे रहते हैं, तथा पशुशाला में पानी, गोबर, व मूत्र की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होती है। फुटराट, गर्म व नमी वाले मौसम में अधिक पाया जाता है।

कारण
यह एक जीवाणु जनित रोग है जो इसफिरोफोरस नैक्रोफॉरस, नामक जीवाणु द्वारा होता है। जिन पशुओं के खुर अधिक दिनों तक गंदे पानी, मिट्टी, गोबर आदि से सने रहते हैं उनके खुरो के बीच व आसपास की चमड़ी उखड़ जाती है। ऐसे छोटे घावों से यह जीवाणु प्रवेश कर फूटराट के लक्षण उत्पन्न करते हैं।

और देखें :  देश में 20 भ्रूण प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्‍थापना की जा रही है: श्री राधा मोहन सिंह

लक्षण
खुरों के बीच घाव, बन जाने से लंगड़ापन प्रमुख लक्षण है। पशु को हल्का बुखार, चारा कम खाना, शरीर के वजन में कमी तथा दूध में कमी होती है। खुर के बीच घाव व सूजन के कारण दर्द होता है तथा पशु बार-बार पैर उठाता है। पशु सामान्य रूप से चल नहीं पाता है तथा लंगड़ा कर चलता है। भेड़ों में इलाज न होने पर खुर के खोल उतर जाते हैं।

पशुपालक इसे खुर पका मुंह पका रोग समझने की भूल ना करें क्योंकि खुरपकामुंहपका रोग में खुरो के बीच व मुंह में छाले बनते हैं जबकि फूटराट में सिर्फ खुरों के बीच घाव होने से खुर वाला भाग गल जाता है।

प्राथमिक उपचार
ऑक्सीटेटरासाइक्लिन या पेनिसिलिन जैसी प्रतिजैविक औषधियां या सल्फ़ोनामाइड, जैसी एंटीमाइक्रोबियल्स औषधियां पशु चिकित्सक के परामर्श के अनुसार उपयोग करते हैं। खुरो को हल्के रूप से धोकर 5% कॉपर सल्फेट के घोल से धुले। घाव पर ऐसा एंटीसेप्टिक मलहम लगाएं जो मक्खियों को घाव पर  बैठने से रोके तथा घाव भरने में मदद करें जैसे लोरिकसेन अथवा टॉपिक्योर स्प्रे का प्रयोग करें। पशुओं को सूखी जगह पर रखें तथा अन्य पशुओं को 5% कॉपर सल्फेट के घोल का फूटबाथ दें।

और देखें :  पशुओ में सर्रा रोग

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.4 ⭐ (29 Review)

और देखें :  दुधारू पशुपालकों की आमदनी निर्धारित करती फैट की मात्रा एवं उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*