बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान: अति लाभकारी तकनीक

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कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) एक ऐसी जनन तकनीक है जिसके द्वारा चयनित एवं अच्छे नस्ल के बकरे के वीर्य का उपयोग कर बकरी उत्पादन में अधिक वृद्धि की जा सकती है। हालांकि कृत्रिम गर्भाधान (AI) तकनीक का उपयोग गाय तथा भैंस प्रजाति में व्यापक रूप से किया जा रहा है परन्तु बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान का प्रचलन अभी तक कुछ सरकारी एवं गैर सरकारी प्रक्षेत्रों तक ही सीमित है। परन्तु आशा की जाती है कि भविष्य में इस तकनीक का प्रयोग बकरी की नस्ल सुधार एवं उत्पादन बढ़ाने में विस्तृत पैमाने पर किया जाएगा।

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान: अति लाभकारी तकनीक
कृत्रिम गर्भाधान से उत्पन्न मेमने

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के लाभ

  • हिमीकृत वीर्य से अच्छी नस्ल के कम बकरों से ही अधिक से अधिक बकरियों का गर्भाधान कराया जाता है।
  • जहाँ प्राकृतिक गर्भाधान विधि से एक बार में एक बकरा सिर्फ एक बकरी को ग्याभिन कर सकता है, वहाँ कृत्रिम गर्भाधान से एक बकरे से एक बार में लिए गए वीर्य से कम से कम 15-20 बकरियों को गर्भ धारण कराया जा सकता है।
  • इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि बकरों में बीमारी की जाँच उपयोग में लाने से पहले कर ली जाती हैं, इस कारण हमेशा अच्छे किस्म के वीर्य का ही उपयोग किया जाता हैं जो प्राकृतिक गर्भाधान में सम्भव नहीं है।
  • वीर्य संरक्षण तकनीक से हिमीकृत वीर्य को बकरे के मरने के बाद भी लम्बे समय तक संरक्षित रख कर उपयोग किया जा सकता है।
  • हिमीकृत वीर्य को एक प्रदेश/देश के दूसरे प्रदेश/देश में आदान-प्रदान आसानी से किया जा सकता है।
  • प्राकृतिक गर्भाधान में विभिन्न नस्ल के बकरे एवं बकरियों के आकार में अधिक अन्तर होने की वजह से ग्याभिन करना बहुत मुश्किल होता हैं, जबकि कृत्रिम गर्भाधान में ऐसी कोई कठिनाई नहीं होती।

प्राकृतिक गर्भाधान के नुकसान

  • प्राकृतिक गर्भाधान से भयावह बीमारियाँ जैसे ब्रुसेल्लोसिस फैलने का खतरा अधिक होता है।
  • इसमें ज्यादातर किसान निम्न कोटि के बीजु बकरे का प्रयोग करते हैं।
  • अच्छे बकरे की अनुपलब्धता के कारण गर्भधारण करने में काफी समय लग जाता है।
  • किसान के पास बकरा न होने की वजह से उसे बकरी को ग्याभिन कराने में अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।
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कृत्रिम गर्भाधान के लिए बकरों का चयन

कृत्रिम गर्भाधान के लिए आवश्यक है कि एक अच्छी नस्ल व उच्च कोटि के बकरे का चयन किया जाय।

  • बकरा नस्ल के अनुसार रूप, रंग एवं कद काठ़ी का हो।
  • शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ एवं चुस्त हो।
  • स्वभाव से उत्तेजक हो।
  • दोनों अण्डकोश पूर्ण रूप से विकसित हों तथा उनमें कोई विकार न हो।
  • बकरे की मां में वांछित लक्षण हों और उसकी उत्पादकता अच्छी हो।
  • वीर्य एकत्रण के लिए 1.5-4.00 वर्ष आयु के बकरों का ही चयन करें।
  • जिस नस्ल की बकरियां हो उसी नस्ल के बकरे का चयन करना चाहिए।

बकरियों में मदकाल का पता लगाना

बकरियों में मदकाल के लक्षण निम्नवत होते है।

  • बकरी सामान्यतः विचलित होती है तथा दाना-चारा कम खाती है।
  • बकरियों का बार-बार पेशाब करना तथा बार-बार तेजी से पूंछ हिलाना।
  • मदकाल में बकरियों की योनि लाल होकर चिकनी व लसलसी हो जाती है।
  • योनिमार्ग से पारदर्शी तोड़ का गिरना।
  • झुण्ड की दूसरी मादा बकरियों पर चढ़ना तथा बकरे को इसकी स्वीकृति देना।
बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान: अति लाभकारी तकनीक
बकरी में मदकाल का पता लगाने की विधि

बकरियों के झुण्ड में मदकाल का पता लगाना

यदि बकरियों की संख्या अधिक हो तो मदकाल का पता करने के लिए एक बकरे के पेट पर कपड़ा बांधकर बकरियों के झुण्ड में प्रतिदिन सुबह-शाम घुमाने पर मदकाल में आयी बकरियों का पता चल जाता है। मदकाल में आयी बकरियां बकरे प्रति आकर्षित होती है एवं अपने ऊपर चढ़ने देती है।

बकरों से वीर्य का संग्रहण

बकरों से वीर्य संग्रह विभिन्न विधियों द्वारा किया जा सकता है। लेकिन कृत्रिम योनि विधि का अधिक प्रचलन है। कृत्रिम योनी वीर्य संग्रहण करने के लिए एक ऋतुमयी बकरी काप्रयोग किया जाता है। तत्पश्चात चुने हुए नर प्रजनक बकरे को उसके पीछे खुला छोड़ दिया जाता है। बकरा जब बकरी के ऊपर चढ़ता है तो बकरे के शिश्न को हाथ में लेकर कृत्रिम योनि के अन्दर कर देते हैं। इस तरह बकरा वीर्य का स्खलन कृत्रिम योनी के अन्दर कर देता है। कृत्रिम योनी के दूसरे सिरे पर कांच के वीर्य संग्रहण प्याले में वीर्य आ जाता है। एक बकरा एक बार में 0.5 मि.ली. से 1.5 मि.ली. वीर्य  स्खलित करता है। बकरों में वीर्य प्रदान करने की क्षमता बकरे के नस्ल, ऋतु, उम्र पर निर्भर करती है। हिमीकरण और प्रजनन के लिए अच्छी गुणवत्ता का वीर्य प्राप्त करने के लिए वीर्य का संग्रह एक दिन छोड़कर करना अच्छा रहता है। वयस्क की तुलना में युवा बकरे कम मात्रा में और निम्न श्रेणी का वीर्य प्रदान करते हैं।

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बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान: अति लाभकारी तकनीक
वीर्य संग्रहण विधि

गर्भाधान का उचित समय

बकरियां सामान्यतः 24-40 घन्टे तक मदकाल में रहती है तथा इसी सीमित अवधि में बीजू बकरे से गर्भाधान कराने पर गर्भधारण करती है। अगर बकरी सांय को मदकाल में आये तो उसे दूसरे दिन सुबह और शाम को ग्याभिन करायें अर्थात बकरियों को गर्मी में आने के 12 घंटों बाद ही ग्याभिन करायें। प्रजनन काल में बकरियों पर व्यक्तिगत ध्यान रखें तथा गर्भाधान के बाद अगर बकरी पुनः मद के लक्षण प्रकट करे तो पुनः ऊपर बताई विधि से ग्याभिन करायें।

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान विधि

कृत्रिम गर्भाधान के लिए संग्रहित तनुकृत/हिमीकृत वीर्य को तरल नाइट्रोजन से निकालकर 40 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले पानी में 40 सेकेण्ड के लिए डालकर पिघला लिया जाता है। फिर वीर्य से भरी स्ट्रा को वीर्यसेचन पिचकारी की नली में रख देते हैं, सील को काट देते है । अन्त में शीथ को उसके ऊपर रख कर सेचन कर देते हैं। वीर्य को गर्भाशय की ग्रीवा ओज पर जमा करने का प्रयास किया जाता है। वीर्य को ग्रीवा के अन्त भाग में डालने के लिए गहरी ग्रीवा वीर्य सेचन पिचकारी का इस्तेमाल करने से अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान: अति लाभकारी तकनीक
कृत्रिम गर्भाधान विधि

बकरों के वीर्य मिलने का स्थान

भा.कृ.अ.प.-केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम, फरह में उच्च कोटि के बकरों का वीर्य हिमीकृत किया जाता है तथा इस वीर्य का पुस्तक मूल्य पर बिक्रय भी किया जाता है। इच्छुक किसान भाई बकरों के हिमीकृत वीर्य को केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान से खरीद सकते हैं।

कृत्रिम गर्भाधान किससे करायें

कृत्रिम गर्भाधान सदैव पशु चिकित्सक के परामर्शानुसार करायें या कृत्रिम गर्भाधान में प्रशिक्षित व्यक्ति से करायें। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में कृत्रिम गर्भाधान पर समय-समय पर प्रशिक्षण करायें जाते हैं। इच्छुक बकरी पालक कृत्रिम गर्भाधान से सम्बन्धित जानकारी के विशय में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान के वैज्ञानिकों से सम्पर्क कर सकते हैं।

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