अन्तिम छोर पर बैठे पशुपालकों को मिले पशुपालन के नवीनतम ज्ञान का लाभ- राज्यपाल श्री कलराज मिश्र

4
(47)

राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि पशुओं से गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त करने के लिए उन्हें अच्छा पोषण भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि पशुधन संरक्षण के लिए समाज में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। राज्यपाल श्री मिश्र गुरूवार को यहां राजभवन में राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के चतुर्थ दीक्षांत समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पशुओं को परिवार के सदस्य के रूप में मानते हुए उन्हें पालना शुरूआत से ही हमारी संस्कृति का अंग रहा है। यहां तक कि देवी-देवताओं का वाहन पशु-पक्षियों को माना गया है तो इसके पीछे उद्देश्य यही है कि प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों के प्रति हिंसा नहीं की जाये।

राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि पशुपालन के उन्नत तरीकों, उन्नत पोषाहार की नवीनतम तकनीकों, पशु चिकित्सा से संबंधित आधुनिक ज्ञान-विज्ञान, पशुधन संरक्षण और चिकित्सा से जुड़े नये आयामों की सार्थकता तभी है जब इनका लाभ राज्य के अन्तिम छोर पर बैठे पशुपालकों को मिल सके। उन्होंने कहा कि पशु विज्ञान केन्द्रों को गांव-ढाणी तक किसानों और पशुपालकों को पशुपालन से जुड़ी नवीनतम जानकारी उनकी अपनी भाषा और समझ के अनुरूप उन तक पहुंचाने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे पशुपालकों की समस्याओं के स्थानीय स्तर पर समाधान और अनुसंधान की नई दृष्टि विकसित होगी।

और देखें :  शीत ऋतु/सर्दियों में दुधारू एवं नवजात पशुओं का प्रबंधन

राज्यपाल श्री मिश्र ने स्वदेशी गौवंश की नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन, जैविक पशु उत्पाद व प्रमाणीकरण, पेटेन्ट हासिल करने की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की। राज्यपाल श्री मिश्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से निर्मित विश्वविद्यालय के तीन मंजिला नवीन परीक्षा भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क प्रकोष्ठ द्वारा तैयार विश्वविद्यालय के नियमों एवं परिनियमों की पुस्तिका का भी विमोचन किया।

पशुपालन

कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने कहा कि प्रदेश में लघु एवं सीमान्त किसानों की आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार द्वारा कृषकों एवं पशुपालकों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करने के प्रयास किये गए हैं। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य से मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना की शुरूआत के साथ पशु चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ बनाने और इनके आधुनिकीकरण के पर्याप्त प्रावधान राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में किये गए हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. त्रिलोचल महापात्र ने कहा कि राजस्थान में कृषि के साथ बागवानी, पशुपालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन को अपना कर समेकित कृषि पद्धति को बढ़ावा देना चाहिए ताकि किसानों और पशुपालकों की आय दुगनी करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। उन्होंने प्रदेश में स्थानीय नस्ल की गाय, बकरी, भेड़ों के अभिसंकरण द्वारा अधिक उत्पादन देने वाली नई नस्लें तैयार करने पर जोर दिया।

और देखें :  किसान-पशुपालक अपने शुद्ध उत्पाद सीधे ग्राहक तक पहुंचाकर आमदनी बढ़ाएं -कृषि मंत्री

कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा किये गए नवाचारों और उपलब्धियों की जानकारी दी। कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल श्री मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कत्र्तव्यों का वाचन करवाया। समारोह में विभिन्न संकायों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्याथिर्ंयों को स्वर्ण पदक और पीएचडी धारकों को उपाधियां प्रदान की गईं। समारोह के दौरान राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्दराम जायसवाल सहित अधिकारीगण, शिक्षकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4 ⭐ (47 Review)

और देखें :  बेसहारा गाय से बदली अपनी आर्थिकी

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*