दुधारू पशुओं में पुनरावृति प्रजनन (रिपीट ब्रीडिंग) प्रजननहीनता का कारण

5
(444)

रिपीट ब्रीडर गाय वह गाय है जो सामान्य जननांग एवं सामान्य स्राव के साथ सामान्य मदकाल होने पर भी, रोगरहित उच्चकोटि साँड अथवा उच्चकोटि वीर्य द्वारा लगातार 3 या  अधिक से बार गर्भित कराने पर गर्भ धारण नहीं कर पाती। ऐसे पशु गर्भित कराने के बाद भी लगभग 21 दिन के अन्तराल पर मदकाल में आते है (कभी-कभी यह अन्तराल थोड़ा अधिक भी हो सकता है)।

इसके अन्य लक्षण निम्नप्रकार से है

  1. तीन या तीन अधिक से बार उच्चकोटि साँड अथवा वीर्य से गर्भित कराने के बाद भी गर्मी में वापस आ जाना।
  2. कम से कम एक बच्चा दिया हो।
  3. उम्र 10 साल से कम हो।
  4. कोई शारीरिक विकार न हो।
  5. योनि मार्ग से कोई असाधारण स्त्राव न आता हो।
  6. साधारण मदकाल अंतराल हो।
और देखें :  गाय एवं भैंस में ऋतु चक्र/ मदकाल के लक्षणों, की समुचित जानकारी द्वारा सफल गर्भाधान

रिपीट ब्रीडिंग ज्यादातर अधिक ढूध देने वालीे गायो में पाई जाती है।

अनुमानन 50 प्रतिशत से ज्यादा गाये रिपीट ब्रीडिंग की समस्या से प्रभावित है।

और देखें :  श्वानो में प्रजनन संबंधी जानकारियाँ

रिपीट ब्रीडिंग के प्रमुख कारण

  1. असफल निषेचन
  2. अल्पकालीन भ्रूण मृत्यु

रिपीट ब्रीडिंग के प्रमुख कारण को प्रभावित करने वाले कारक

  1. पशु के अंडाणु या भ्रूण में अनुवांशिक संरचनात्मक दोष।
  2. शुक्राणु या अंडाणु में कोई असामन्यता होना।
  3. पशु का किसी बीमारी से ग्रस्त होना।
  4. प्रजनन तंत्र में संक्रमण, गर्भाशय में सूजन (एंडोमेट्रैटिस, मेट्राइटिस) गर्भाशय में मवाद (पायोमेट्रा) आदि जैसे विकार होना।
  5. मादा पशु के गाभिन होने के बाद रखरखाव में किसी प्रकार की कमी या गलती या असावधानी बरतना जिससे अल्पकालीन भ्रूण मृत्यु हो सकती है ।
  6. खान पान में कमी या जरूरत से कम खिलाना या आवश्यक खनिज की कमी को पूरा न करना।
  7. कृत्रिम गर्भधान सही समय, उच्चकोटि वीर्य से एवं उचित स्थान पर न होना।
  8. गायों का वजन 250-275 किलोग्राम (स्वदेशी और जर्सी क्रॉस हेफर के लिए) और 350 किलोग्राम (एचएफ क्रॉस हेफर के लिए) से कम होना।

उपचार और सावधानी

  1. अगर पशु के अंडाणु या भ्रूण  में अनुवांशिक शारीरिक विकार है तो उस पशु को ठीक नहीं किया जा सकता है, ऐसे पशुओ को हमे प्रजनन के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए।
  2. पशु को पर्याप्त मात्रा में संतुलित आहार खाना खिलाना चाहिए जिससे उसका धनात्मक उर्जा संतुलन बना रहे और साथ ही साफ पानी भरपूर मात्रा में दे।
  3. खनिज और पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए खनिज लवण मिश्रण खिलाना चाहिए।
  4. पशुओं को साल में 3 बार कृमिनाशक एवं किलनी नाशक दवा दे।
  5. सही समय (गर्मी में आने के 12 घंटे बाद) पर कृत्रिम गर्भधान करवाए।
  6. वीर्य या सीमेन का रखरखाव एवं उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
  7. गर्भाधान के लिए उच्च कोटि के नर पशु का वीर्य उपयोग करे।
  8. इन सबके बाद भी गाभिन न हो तो हमे तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
  9. कुशल एवं दक्ष पशुचिकित्सक से ही कृत्रिम गर्भाधान करवाएं।
  10. पशु का आवास हवादार प्रकाशयुक्त होना चाइये जिससे पशु को वातावरण के परिवर्तन से बचाया जा सके।
और देखें :  “सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी” पशु प्रजनन के क्षेत्र में अगली क्रांति
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (444 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Authors

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*