व्याख्यान श्रृंखला के शुभारम्भ में बोले आर.के. सिन्हा- गाय पुरे विश्व की माता

5
(650)

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया, 14 अगस्त तक चलने वाले इस व्याख्यान श्रृंखला में कई प्रख्यात व्यक्तित्व अपना व्याख्यान पेश करेंगे। इस व्याख्यान श्रृंखला का शुभारंभ सोमवार को बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के प्रांगण में हुआ जिसमे मुख्य वक्ता के तौर पर राज्यसभा के पूर्व सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

अपने अभिभाषण में श्री सिन्हा ने परम्परागत कृषि, स्वास्थ्य और भोजन व्यवस्था, सॉइल हेल्थ, पर्यावरण और देशी गौवंश पर प्रमुखता से बातें किया, उन्होंने कहा की नए-नए शोध पद्धतियों से पैदा हो रहे गायों जिसे ए-वन ब्रीड कहा जाता है, उनमे जर्सी, और अन्य क्रॉस ब्रीड गाय इत्यादि शामिल है के दूध पिछले सत्तर सालो में उत्पन्न कई खतरनाक बीमारियों का कारक है। इन गायों के दूध से डायबिटीज, हाइपरटेंशन, मेन्टल डिसऑर्डर, गर्भस्त में पल रहे शिशुओं में विकार और कैंसर जैसी बीमारियों उत्पन्न हो रही है। उन्होंने “गावो विश्वस्य मातरम्” का वर्णन किया और कहा की गाय पुरे विश्व की माता है, इस बात को कहने के पीछे का उद्देश्य बहुत गहरा है और बहुत प्रामाणिक है, माँ का दूध जिस प्रकार मनुष्य के लिए अमृत है ठीक उसी प्रकार गाय के दूध का भी महत्व है। माँ के दूध और गाय के दूध में किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं है यह शोध में पाया गया है, गाय के दूध का सेवन पुरे विश्व में किया जाता है इसलिए गाय पुरे विश्व की माँ है।

और देखें :  लम्पी स्किन डिजीज (LSD)- गांठदार त्वचा रोग

उन्होंने कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा की कृषि हमारे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, भारत का  ट्रांसपोर्टेशन इंडस्ट्रीज फ़ूड ग्रेन्स के ट्रांसपोर्टेशन पर ही फल-फूल रहा है। गोबर और गौ-मूत्र के उपयोग से कृषि पर उन्होंने विशेष जोर दिया, उन्होंने कहा की मिट्टी में गोबर का प्रयोग कर खेती करने से रसायन के ग्रहण से तो बचा ही जा सकता है साथ ही यह मिट्टी को भुरभुरा बनाकर वाटर होल्डिंग कपैसिटी को बढ़ता है जिससे भू-जल में पानी की उपलब्धता बरक़रार रहेगी और जल संचयन किया जा सकता है। उन्होंने देशी गायों पर निर्भरता बढ़ाने पर विशेष बल दिया।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा की किसी प्रयोग या कार्य की एडवोकेसी करने वाले बहुत मिलेंगे मगर खुद पर उपयोग करने वाले लोग कम है, जो खुद में लागु कर पते है वही चीज़ो को धरातल में हूबहू उतार पाते  है, जैसा श्री सिन्हा ने गौ-पालन कर किया है और प्रयोग किया है। उन्होंने कहा की अपने देश के प्रदेश के गौवंश का संवर्धन करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि जो जिस परिवेश में जन्म लेते है वहीं बेहतर उत्पादकता देते है।

और देखें :  बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में अन्तराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

कार्यक्रम के शुरुआत में निदेशक स्नातकोत्तर शिक्षा डॉ. वीर सिंह राठौड़ ने स्वागत भाषण दिया वहीं कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ.जे.के. प्रसाद ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. (कैप्टेन) आनंद गोपाल बंद्योपाध्याय, निदेशक प्रसार डॉ. ए.के. ठाकुर, डीन मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज डॉ. वेद प्रकाश सैनी, कार्यक्रम के आयोजन सचिव विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क पदाधिकारी सत्य कुमार, डॉ. अचर्ना सहित तीनों अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षक, छात्र व् कर्मचारी उपस्थित रहे।

और देखें :  ग्याभिन गाय-भैंस की देखभाल

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 5 ⭐ (650 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*