बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में राष्ट्रीय गोकुल मिशन द्वारा वित्त प्रदत परियोजना के तहत स्थापित ईटीटी और आईवीएफ का निरिक्षण पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार के राजेश कुमार सिंह, सचिव और डॉ अभिजीत मित्रा, एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर के नेतृत्व में किया। पदाधिकारियों के टीम ने विश्वविद्यालय द्वारा विगत वर्षो में इस परियोजना के तहत किये गए कार्यो की जानकारी ली।
गौरतलब है की भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण सह आईवीएफ प्रयोगशाला की स्थापना बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में की गई है, जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 10 सितंबर 2020 को वर्चुअल माध्यम से किया था। प्रयोगशाला में कार्यरत वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयास से विश्वविद्यालय ने भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से विगत दो सालों में साहिवाल नस्ल कई बछड़ा और बाछी प्राप्त करने में सफल हुए हैं, साथ ही एम्ब्रोयो बनाने में भी सफलता मिली है। इस परियोजना का उद्देश्य साहिवाल, रेड सिंधी, देशी नस्लों और उच्च छमता वाली गायों से भ्रूण- प्रत्यारोपण कर नस्ल सुधर करना है और उन्नत बुल मदर फार्म विकसित करना है। विश्वविद्यालय द्वारा इस ओर बेहतर कार्य देखा जा रहा है और कार्य अब रफ्तार पकड़ने लगा है। प्रयोगशाला मे जल्द ही आईवीएफ तकनीक के माध्यम से गर्भ के बाहर ही निषेचित मादा-भ्रूण की उपलब्धता हो सकेगी, जिसे राज्य के अन्य जिलों मे भी प्रत्यारोपित किया जा सकेगा जो कि गाय-भैंसों में नस्ल सुधार के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेशवर सिंह ने इस योजना के तहत विगत वर्षों में हुए कार्यों व भावी योजनाओं पर टीम का ध्यान आकृष्ट कराया और बताया की प्रयोगशाला पूरी तरह से क्रियाशील है तथा भ्रूण प्रत्यारोपण के सभी अहर्ताओं को पूरा कर कार्य निष्पादित किये जा रहे रहे। वैज्ञानिकों को दक्ष बनाने के लिए उचित प्रशिक्षण दिलाया गया है और लैब में प्रयाप्त सुविधाएँ मुहैया करायी गयी है। उन्होंने आगे बताया की विश्वविद्यालय अब पूर्ण रूप से तैयार है और इस तकनीक को फील्ड पर ले जाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार से सहायता की अनुरोध की गयी है। इस परियोजना को सार्थक करने की दिशा में विश्वविद्यालय के द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले सेक्स-सॉर्टेड सीमेन का उपयोग किया जा रहा है जिससे उन्नत नस्ल के पशुधन को विकसित करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जायेगा।
इस अवसर पर टीम ने विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सालय का भ्रमण किया और शरीर रचना विभाग में स्थापित वर्चुअल डिसेक्शन टेबल भी देखा, सचिव और अन्य पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय के कार्य, व्यवस्थाओं और नवीनतम तकनीक द्वारा पशुओं की चिकित्सा और पठन-पाठन पर संतोष जताया और सराहना की।
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