गाय भैंस खरीदते समय पशुपालक को पशुओं में आयु का अनुमान लगाना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि गाय भैंस पालन का मुख्य उद्देश्य दूध उत्पादन से लाभ प्राप्त करना होता है। जैसे जैसे पशु की उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे पशु का दुग्ध उत्पादन कम होता जाता है। पशुपालक को पशु खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की गाय या भैंस पहली या दुसरे ब्यांत की होनी चाहिए। पशुपालक पशु खरीदते समय पशु की उम्र के सम्बन्ध में कई बार धोखा खा जाते हैं, क्योंकि विक्रेता द्वारा दी गयी जानकारी हमेशा विश्वसनीय नहीं होती है। इस वजह से पशुपालक को डेरी व्यवसाय में हानि उठानी पड़ सकती है।
पशुओं की उम्र ज्ञात करने की विधियाँ
- अभिलेखों द्वारा: अगर डेरी फार्म में वैज्ञानिक तरीकों से अभिलेखों का रख रखाव किया जा रहा है तो अभिलेखों से गाय भैंस की सही उम्र पता की जा सकती है। परन्तु इस प्रकार के अभिलेख केवल सरकारी डेरी फार्मों तथा कुछ जागरूक पशुपालकों के पास ही उपलब्ध रहते हैं। अगर पशुपालक अपने पशुओं के अभिलेखों को रिकॉर्ड के रूप में अंकित करके रखते हैं तो, न केवल पशुओं की उम्र बल्कि पशुओं से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे व्यांत, दुग्ध उत्पादन इत्यादि के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- पशुओं की शारीरिक बनावट द्वारा: पशुओं की शारीरिक बनावट के आधार पर पशुओं की उम्र का लगभग अनुमान लगाया जा सकता है, सही उम्र पता करना मुश्किल होता है। युवा पशु का आकार छोटा होता है, थन छोटे होते है, त्वचा खिची हुई तथा बाल मुलायम होते हैं वहीं प्रौड़ पशु का शारीर बड़ा, थन पूरी तरह विकसित, त्वचा ढीली तथा बाल खुरदुरे और मोटे होते हैं। युवा पशु के खुर छोटे तथा मुलायम होते है और प्रौड़ पशु के खुर मोटे तथा खुरदुरे होते हैं।
- सींग द्वारा: सींगों पर बने गोल छल्लों की गिनती कर के भी पशुओं की उम्र का पता लगाया जा सकता है। परन्तु यह गणना ज्यादा सटीक नहीं होती है, तथा आजकल पशुओं को बचपन में ही सींगरोधन कर दिया जाता है जिससे सींग देखकर पशुओं की उम्र का पता नहीं किया जा सकता है। सींगों के ऊपर बने गोल छल्लों में दो की संख्या जोड़ने से उस पशु की आयु का अनुमान लगाया जाता है, जैसे कि यदि किसी पशु के सिंगों के ऊपर 4 छल्ले हैं तो उस पशु की उम्र लगभग 6 वर्ष होगी।
दांतों द्वारा: यह पशुओं की आयु निर्धारण का सबसे प्रचलित तथा विश्वसनीय तरीका है। दांतों सहायता से न केवल वयस्क पशु की उम्र का पता किया जा सकता है, बल्कि बछड़े की उम्र का भी पता किया जा सकता है, जिससे यह भी ज्ञात हो जाता है की गाय या भैंस कितने दिन की ब्याहि हुई है।
बछड़ो में अस्थाई दूध के दांत होते है, नीचे के जबड़े में 4 जोड़े कर्तनी दांत (incisors) होते हैं, तथा दोनों जबड़ो में 3 जोड़े अग्र दाढ़ (pre-molar) होते हैं। ऊपर के जबड़े में कर्तनी दांत नही होते हैं।
प्रौढ़ गाय व भैंस में पक्के दांत होते है, नीचे के जबड़े में 4 जोड़े कर्तनी दांत (incisors) होते हैं, तथा दोनों जबड़ो में 3 जोड़े अग्र दाढ़ (pre-molar) व 3 जोड़े दाढ़ (molar) होते हैं। गायों व भैंसों में ऊपर के जबड़े में कर्तनी दांत नही होते हैं। गायों एवं भैंसों के मुँह में नीच के जबड़े के कर्तनी दांतो को देखकर उनकी उम्र का पता लगाया जाता है, क्योंकि उनको आसानी से देखा भी जा सकता है।
कर्तनी दांतों से बछड़े की आयु का निर्धारण
जन्म के समय बछड़ो के अस्थाई दूध के 2 कर्तनी दांत (Deciduous Incisors)होते हैं, 1 सप्ताह की उम्र में 4 कर्तनी दांत (Deciduous Incisors)होते हैं, 2 सप्ताह की उम्र में 6 कर्तनी दांत (Deciduous Incisors)होते हैं, 4-5 सप्ताह की उम्र में 8 कर्तनी दांत (Deciduous Incisors)होते हैं। 10 महीने की उम्र तक कर्तनी दूध के दांत पूरे आठ एवं स्थिर व ठोस रहते हैं। दूध के दांतों का रंग दूधियापन लिये होता है। उसके पश्चात् दांत घिसने लगते हैं। पहले बीच के दो दांत घिसने लगते हैं, 17-21 महीने की उम्र में दूध के दांत ढीले होने शुरू हो जाते हैं व ये कुछ लम्बे, टेड़े मेढे हो जाते हैं। दांतों के बीच की दूरी बढ़ जाती है। इस दौरान दांतों का दूधियापन भी कम हो जाता है।
पक्के कर्तनी दांतों से गाय व भैंस की आयु का निर्धारण
पक्के कर्तनी दांतों की घिसने की उम्र
मध्यम कर्तनी दांतों का जोड़ा 6-7 वर्ष उम्र में ऊपर से घिसा हुआ दिखाई देने लगता है।
दूसरा कर्तनी दांतों का जोड़ा 7-8 वर्ष उम्र में ऊपर से घिसा हुआ दिखाई देने लगता है।
तीसरा कर्तनी दांतों का जोड़ा 8-9 वर्ष उम्र में ऊपर से घिसा हुआ दिखाई देने लगता है।
चौथा कर्तनी दांतों का जोड़ा 9-10 वर्ष उम्र में ऊपर से घिसा हुआ दिखाई देने लगता है।
इस प्रकार से पशुपालक गाय भैंस की सही उम्र आसानी से ज्ञात कर सकते है तथा अपने लिए सही उम्र की गाय भैंस खरीद सकते हैं। लगभग 4-5 उम्र की तथा पहली या दुसरे ब्यांत की गाय भैंस लेना काफी फायदेमंद होता हैं जिससे कि अगले कई सालों तक दूध के लिए और पशु खरीदने की जरूरत ना पड़े तथा डेरी व्यवसाय से मुनाफा कमाया जा सके। आपको इस लेख में दी गयी जानकारी यदि उपयोगी लगे तो नीचे कमेन्ट करना न भूलें।
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