गिर नस्ल की उत्पत्ति गुजरात राज्य के काठियावाड़ (सौराष्ट्र) के दक्षिण में गिर नामक जंगलो में हुई। इस नस्ल के पशु तनाव अवस्था में भी सहनशीलता बनाये रखते हैं तथा कठिन परिस्थितियो में भी दुग्ध उत्पादन कर सकती है। रोगप्रतिरोधक क्षमता, कठिन परिस्थितियो में भी उच्च दुग्ध क्षमता के कारण इस नस्ल के जानवरों को ब्राज़ील,अमेरिका,वेनेजुएला और मेक्सिको जैसे देशो में आयात किया।
इस गाय के शरीर का रंग सफेद, गहरे लाल या चॉकलेट भूरे रंग के धब्बे के साथ या कभी कभी चमकदार लाल रंग में पाया जाता है। कान लम्बे होते हैं और लटकते रहते हैं। इसकी सबसे अनूठी विशेषता उनकी उत्तल माथे हैं जो इसको तेज धूप से बचाते हैं। यह मध्यम से लेकर बड़े आकार में पायी जाती है।
गिर गाय का औसत दुग्ध उत्पादन लगभग 1500 लीटर होता है जो कि 300 दिनों तक दूध देती है। दुग्ध उत्पादन 1100 लीटर से लेकर 2000 लीटर तक होता है। ड्राई पीरियड औसतन 156 दिन का होता है तथा बच्चे देने का अंतराल लगभग 520 दिन का होता है।
भारत से ले जाई गई गिर नस्ल की गायों को ब्राज़ील में सफलतापूर्वक विकसित किया जा रहा है, वहां पर गिर गायें एक ब्यांत में 5000 लीटर तक दूध दे सकती हैं।
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