बिहार में राज्य पशु आपदा प्रबंधन प्लान के निर्माण पर कार्यशाला का आयोजन

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13 अगस्त 2019: बिहार राज्य में आपदा के दौरान पशुओं के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार जल्द ही स्टेट एनिमल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान लेकर आ रही है। पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा इस प्लान को अमलीजामा पहनने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है, इस प्लान को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन और पालिसी पर्सपेक्टिव फाउंडेशन ने मिलकर तैयार किया है। इस प्लान को लागु किये जाने से पहले त्रुटियां के परिशोधन, महत्वपूर्ण बिन्दुओ को जोड़ने, तथा विशेषज्ञों द्वारा अवलोकन व सुझाव के दृष्टिकोण से एक कार्यशाला सह परिचर्चा का आयोजन बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित हुआ।

इस कार्यशाला का उद्घाटन बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वाईस चेयरमैन व्यास जी, राज्य पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव डॉ.एन विजयलक्ष्मी, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वरिष्ठ सलाहकार ए.के. सामैयार, के.एम. सिंह, पी.एन. राय, यु.के. मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

इस अवसर पर पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव डॉ.एन विजयलक्ष्मी ने कहा की आपदा के वक़्त पशुओं का ख्याल रखना उतना ही आवश्यक है जितना की मनुष्यों को बचाना। सभी जिलाधिकारियों का यह दायित्व है की आपदा के दौरान पशुओं का उचित प्रबंधन किया जाये, इस कार्य के तहत पशुओं को कैटल कैंप में रखना और उनके चारे का समुचित प्रबंध करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा की प्लान बनाना बड़ी बात नहीं है, उसका सही रूप से पालन किया जाये, राज्य में मानव संसाधन की कमी है, आपदा में पशुओं को बचने के लिए मैनपावर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। पशुओं को उचित स्थान में पहुँचाना, उनको रेस्क्यू करना जैसे कार्यों के लिए हमें प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरुरत है। बिहार की जनता का पशुओं के प्रति गहरा लगाव है इसे देखते हुए हमें उनकी रक्षा और स्वस्थ्य सम्बंधित सुविधाओं को पहुँचाने हेतु सजग रहने की जरुरत है। उन्होंने कहा की राज्य में पशुओं के टीकाकरण को बहुत गंभीरता से लिया गया है जिसके परिणाम स्वरुप पुरे राज्य में पशुओं को टीकाकरण समय सारिणी बनाकर टीका लगाया जा रहा है। बाढ़ के दौरान अंचलाधिकारी द्वारा फसल क्षति, मनुष्यों को हुई क्षति, उनके सम्पतियों को हुई क्षति का आकलन कर लिया जाता है पर पशु क्षति का आकलन नहीं हो पाता है, जिसे करने की जरुरत है। उन्होंने आपदा के दौरान पशुओं के प्रबंधन पर लोगो के बीच जागरूकता फ़ैलाने की बात कही साथ ही शारीरिक रूप से कार्य करने वाले मानव संसाधन तैयार करने पर जोर दिया। सचिव ने एनिमल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान में बर्ड फ्लू को भी जोड़ने की सलाह दी।

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा की यह पुरे राज्य के लिए ख़ुशी की बात है की राज्य सरकार आपदा प्रबंधन को सर्वोच्च स्थान दे रही है। पिछले महीने  बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा राज्य के 1180 पशुचिकित्सकों को आपदा के दौरान पशुओं के प्रबंधन पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया जो बहुत कारगर सिद्ध हुआ है। पशुधन बिहार राज्य के लिए आजीविका का साधन है, पशुधन को बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसके लिए विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करने की जरुरत है। पशुओं को बचाने के लिए एक प्लान की जरुरत है, जो मजबूत प्लान हो, जिसमे आपदा के पहले क्या करना है, आपदा के दौरान क्या किया जाना चाहिए इसका विस्तारपूर्वक वर्णन हो। राज्य में जो आपदाएं आती है उन सभी को चिन्हित करते हुए प्लान बनाने की आवश्यकता है, साथ ही सभी की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए।

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इस अवसर पर बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य पी.एन. राय ने कहा की मानव एवं पशुओं का सम्बन्ध बहुत गहरा है, बाढ़ और सुखाड़ की स्थिति में राज्य अपने जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है। हमें डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। सदस्य यु.के मिश्रा ने राष्ट्र के विभिन्न प्रतीकों पर पशुओं का महत्ता और पशुओं का मानव जीवन से लगाव पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के उद्घाटन के पूर्व बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वरिष्ठ सलाहकार ए.के.सामैयार ने अतिथियों और राज्य भर से आये हुए पशुचिकित्सकों का स्वागत किया और कार्यशाला पर संक्षिप्त विवरण पेश किया। पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के निदेशक डॉ विनोद सिंह गुंजियाल ने एनिमल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान के प्रारूप पर विस्तृत चर्चा किया। इस अवसर पर बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के. प्रसाद, डॉ. गगन, डॉ. रविंद्र कुमार सिंह, डॉ. गजेंद्र शर्मा, डॉ. बिपिन कुमार राय, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. सरोज कुमार आदि मौजूद थे।

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