19 सितम्बर 2019: लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय के डेयरी विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी महाविद्यालय में चल रही दस दिवसीय आईसीएआर द्वारा प्रायोजित ट्रेनिग का आज विधिवत समापन प्रशिक्षणार्थियों को सर्टिफिकेट प्रदान करके हुआ। इस ट्रेनिंग कोर्स का आयोजन 09 से 18 सितम्बर 2019 तक किया गया। इस 10 दिवसीय पाठ्यक्रम के दौरान भारत भर से विभिन्न राज्यों से वैज्ञानिकों को खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण में स्वच्छता की महत्वत्ता विषय पर प्रशिक्षण दिया गया।
लुवास के कुलपति डॉ. गुरदियाल सिंह इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्तमान में पशु उत्पादित पदार्थ जैसे दूध व दूध से बने पदार्थ पशुपालकों की आय का मुख्य स्त्रोत है और इन उत्पादों से अधिक लाभ अर्जित करने के लिए इन पदार्थों का उत्पादन राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुसार जरूरी है इस लिए विभिन्न खाद्य पदार्थों के उत्पादन में खाद्य सुरक्षा एवं नियन्त्रण में स्वच्छता का अभिन्न महत्व है उन्होंने आशा व्यक्त की कि देश के विभिन्न भागों से आए प्रतिभागी इस ट्रेनिंग से लाभान्वित हुए है तथा अर्जित ज्ञान को अपने-अपने क्षेत्रों में अमल में लाएंगे।
पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. शरणगौड़ा बी. पाटिल ने इस अवसर पर बताया कि पाठयक्रम में प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा व्यख्यान के साथ-साथ प्रैक्टिकल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है तथा प्रशिक्षण के दौरान उन्हें अलग-अलग इंडस्ट्रीज का दौरा भी करवाया गया जिसमें एन.आई.एफ.टी.इ.एम., याकुल्ट फैक्ट्री सोनीपत व सी.आई.आर.बी. हिसार शामिल है ताकि प्रशिक्षनार्थी वास्तविकता देख कर अपना ज्ञान वर्धन कर पायें।
इस अवसर पर पशुचिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं डेयरी साइंस कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. दिवाकर शर्मा ने अपने सम्बोधन में पाठयक्रम आयोजकों को पाठ्यक्रम की योजना और सफल आयोजन पर बधाई दी। उन्होंने बताया कि कुलपति डॉ. गुरदियाल सिंह के दिशा निर्देशन में दूध में मिलावट जैसे गहरे मुद्दे पर सभी प्रशिक्षणार्थियों के साथ विचार-विमर्श किया गया तथा उनके विचार लिए गए।
समापन समारोह के दौरान तीन प्रशिक्षनार्थी डॉ. पतंगे, डॉ. पुष्कराज सावंत व डॉ. अंजू कुमारी ने भी प्रशिक्षण के दौरान हुए अपने-अपने अनुभव को साँझा कर विचार रखे। इस अवसर पर कोर्स समन्वयक डॉ. इंदु द्वारा मंच संचालन किया गया। अंत में पाठ्यक्रम के समन्वयक डॉ. सुमित महाजन ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।
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