पशुपालन एवं डेयरी विभाग हरियाणा द्वारा संचालित पशुपालक हितैषी योजनाएं

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दशकों से पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग, हरियाणा ने पशुपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाभ पहुचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू किया है। समाज व राष्ट्र की सामाजिक व आर्थिक स्थिती सुधारने के साथ-साथ पशुधन भी जन कल्याण के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज हरियाणा में दूध की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 1142 ग्राम प्रति दिन है जबकि यह राष्ट्रीय स्तर पर केवल 394 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन है। हरियाणा सरकार ने पशु पालकों की भलाई व उन्नत अवसरों का सृजन करने के लिए पशुपालन विभाग के माध्यम से विभिन्न योजनाएं चलाई हुई हैं।

1966 में पंजाब से अलग होने के बाद जहाँ हरियाणा राज्य में केवल 314 पशु चिकित्सा संस्थान थे तो आज यह संख्या 942 राजकीय पशु अस्पताल व 1809 राजकीय पशु औषधालय है। इस प्रकार लगभग तीन-चार गाँवों पर एक पशु चिकित्सा संस्थान पशुपालकों की भलाई के लिए उपलब्ध हैं। इस समय हरियाणा में 4 पॉलीक्लीनिक और लगभग हर जिले में एक रोग निदान प्रयोगशाला हैं। कई जिलों में कई चलता-फिरता अस्पताल भी हैं। इन संस्थाओं के माध्यम से विश्व विख्यात पशुधन के लिए पशु चिकित्सा एवं प्रजनन की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

1. पशु स्वास्थ्य सेवाएं: राज्य का पशुधन स्वस्थ हो, इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु दो प्रकार की सेवाएं दी जाती हैं

  • रोगी पशुओं के ईलाज की सुविधा: विभाग पशु अस्पताल में निशुल्क उपचार करने के साथ-साथ गांव-गांव पशु स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन भी करता है। इन शिविरों में निशुल्क दवाईयां दी जाती हैं। पशुपालक इन शिविरों में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं और समय का लाभ उठाते हैं।
  • पशु रोगों की रोकथाम हेतु टीकाकरण: स्वस्थ पशुओं को संक्रामक/असंक्रामक घातक रोगों से बचाने के लिए मुफ्त टीकाकरण किया जाता है। विभाग निम्न बीमारियों से बचाव के टीके उत्पादित/खरीद करता है और किसानों को यह सुविधा निशुल्क प्रदान की जाती हैः
  • गलघोटू एवं मुँहखुर पका रोग का सयुंक्त टीका (एच.एस. एवं (एफ.एम.डी. वैक्सीन)
  • फड़ सूजन (बी. क्यू. वैक्सीन)
  • भेड़ों में चेचक रोग के बचाव का टीका (शीप पॉक्स वैक्सीन)
  • भेड़ों में आंतशोध रोग के बचाव का टीका (ईन्टैरोटोक्सिमिया वैक्सीन)
  • भेड़ों में पी. पी. आर. वैक्सीन
  • सूकर में स्वाईन फीवर वैक्सीन
  • ब्रुसेलोसिस

2. पशु प्रजनन सुविधाएँ

लगातार पशुधन की नस्ल सुधारने के लिए उन्नत नस्ल के झोटों/साण्डों के वीर्य (सीमन) को हिमीकृत करके कृत्रिम गर्भादान सुविधाएँ पशुपालकों को दी जाती हैं। कृत्रिम गर्भाधान की यह सुविधा पशु पालकों को पशु चिकित्सा संस्थान पर 30 ₹ और घर द्वार पर 100 ₹ में रियायती दर पर प्रदान की जाती है। इसके साथ ही पशुपालकों को केवल बछड़ी पैदा होने वाला कृत्रिम गर्भाधान भी 200 ₹ की रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाता है।

3. सघन मुर्राह विकास योजना

विश्व प्रसिद्ध मुर्राह भैंस को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा सघन मुर्राह विकास योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत पशुपालकों को उत्तम दुधारू मुर्राह भैंस पालने के लिये प्रोत्साहित करने के लिये प्रोत्साहन स्वरूप राशि प्रदान की जाती है। इस योजना के अनुसार 18 से 22 किलोग्राम, 22 से 25 किलोग्राम और 25 किलोग्राम से अधिक प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन करने वाली मुर्राह भैंस पालकों को क्रमशः 15000, 20000 और 30000 ₹ प्रोत्साहन राशि स्वरूप प्रदान किये जाते हैं।

4. स्वदेशी गौसंरक्षण और विकास (गौसंवर्धन) योजना

क्षेत्रीय जलवायु कारकों के आधार पर किसी भी नस्ल का अस्तित्व विशेष महत्त्व रखता है। अतः, देशी गौवंश को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग, हरियाणा द्वारा स्वदेशी गौसंरक्षण और विकास (गौसंवर्धन) योजना का महत्त्व और भी बढ़ जाता है ताकि जलवायु विशेष में सदियों से रह रहे गौवंश को बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण होने वाले संभावित जोखिम से दूर रखा जा सके। इस योजना के अनुसार देशी गौवंश पालकों को निम्नानुसार प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।

गाय की नस्ल

उच्च दुग्ध उत्पादन की स्लैब

प्रोत्साहन राशि ()

हरियाना गाय 8 से 10 किलोग्राम 10,000/-
  >10 से 12 किलोग्राम 15,000/-
  12 किलोग्राम से ऊपर 20,000/-
साहीवाल गाय 10 से 12 किलोग्राम 10,000/-
  >12 से 15 किलोग्राम 15,000/-
  15 किलोग्राम से ऊपर 20,000/-
बेलाही गाय 5 से 8 किलोग्राम 5,000/-
  >8 से 10 किलोग्राम 10,000/-
  10 किलोग्राम से ऊपर 15,000/-

हरियाणा राज्य में गौसंवर्धन योजना के क्रियायवन्न के बाद पशुपालकों में स्वदेशी नस्ल खासतौर पर हरियाना एवं साहीवाल की गायें पालने में रूचि बढ़ी है। इसी प्रकार शिवालिक तलहटी के खेत-खलिहानों में विचरण करने वाली बेलाही नस्ल के पशुपालकों को भी लाभ मिलने लगा है। भविष्य में आशा की जाती है कि हरियाणा राज्य देशी गौवंश के सरंक्षण एवं विकास और भविष्य में स्वदेशी जर्मप्लाज्म के संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभायेगा।

5. डेयरी विकास संबंधी योजनाएं

राज्य के बेरोजगार ग्रामीण युवकों को स्वयं रोजगार की स्थापना हेतु दुधारू पशुओं की 3 से 50 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई खोलने हेतु विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस स्कीम के अंतर्गत शिक्षित, ग्रामीण/शहरी बेरोजगार युवक/युवतियां पात्र हैं। डेयरी इकाई स्थापित करने पर दुधारू पशुओं के बीमा पर 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। फिर भी, यदि राज्य में कोई भी बीमा योजना कार्यान्वित होगी तो पांच दुधारू पशुओं तक योजना का लाभ दिया जाता है लेकिन पांच से अधिक पशुओं की बीमा राशि पर 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। प्रत्येक डेयरी इकाई की स्थापना पर बैंक द्वारा दिये गये ऋण के ब्याज पर सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। इस योजना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

  • बेरोजगार ग्रामीण/शहरी युवक-युवतियों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाना।
  • दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दूग्ध उत्पादन बढ़ाना।
  • उद्यमियों के परिवारों की आमदनी बढ़ाना।
  • समाज के कमजोर वर्ग की आर्थिक स्थिती सुधारना।
और देखें :  कम समय के गर्भ परीक्षण (Early Pregnancy Diagnosis) हेतु विधियां

योजना के अनुसार भैंसों, देशी गायों (हरियाना, साहीवाल, बेलाही, लाल सिंधी, थारपारकर और गिर) और संकर नस्ल की गायों की निम्नलिखित डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए बैंकों से वित्तिय सहायता प्रदान करवाई जाती हैः

  • 3/5 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई
  • 3/5 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई (देशी गायें)
  • 10 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई
  • 10 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई (देशी गायें)
  • 20 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई
  • 20 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई (देशी गायें)
  • 50 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई

योजना के अनुसार खरीदे जाने वाले दुधारू पशुओं की कीमत इस प्रकार हैः

दुधारू पशुओं का प्रकार

दुग्ध उत्पादन (लीटर प्रतिदिन)

प्रति पशु अधिकतम स्वीकार्य कीमत (₹)

संकर नस्ल की गाय (हॉलस्टीन फ्रीजियन) 12 से 15 70000
16 से 20 85000
20 लीटर से अधिक 90000
मुर्राह भैंस 13 से 15 85000
15 से 20 95000
20 लीटर से अधिक 100000
देशी गाय

(साहीवाल)

8 से 12 65000
12 से 15 80000
15 लीटर से अधिक 90000
देशी गाय

(हरियाना/बेलाही)

8 से 10 42000
10 से 12 50000
12 लीटर से अधिक 60000

उपरोक्त के अतिरिक्त 20 से 50 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने वाले पशुपालकों को दूध प्रसंस्करण इकाई और डेयरी यूनिट के लिए शेड पर वित्तिय सहायता प्रदान करवाई जाती है।

6. सूकर पालन योजना

सूकर पालन, भारत में बहुत से लोगों की आमदनी का अच्छा स्त्रोत रहा है, इसलिए सूअर पालन व्यसायिक दृष्टि से भारतीय लोगों के लिए कृषि से जुड़े व्यवसायों में अच्छा एवं लाभदायक विचारों में से एक हो सकता है। सूकर का माँस पौष्टिक एवं स्वादिष्ट माँसों में से एक है। इसमें वसा एवं ऊर्जा ज्यादा होती है और जल की मात्रा कम होती है। सूकर पालन छोटे एवं भूमिहीन किसानों, बेरोजगार या अशिक्षित युवा लोगों और महिलाओं के लिए एक अच्छा आमदनी का स्त्रोत हो सकता है। वर्तमान वर्ष में रोजगार को बढ़ावा देने और मांस की आपूर्ति को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य में 10 सूकरियों 1 नर सूकर का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अंतर्गत, सरकार द्वारा सूकरों की खरीद के बाद इकाई की स्थापना पर इकाई लागत पर 25 प्रतिशत की अनुदान राशि सीधे बैंक/ऋण खाते में प्रदान की जाती है। इकाई स्थापित करने पर सूकरों के बीमा पर 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। फिर भी, यदि राज्य में कोई भी बीमा योजना कार्यान्वित होगी तो योजना का लाभ दिया जाता है।

7. भेड़/बकरी पालन योजना

पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में स्व-रोजगार सृजन की एक विशाल क्षमता मौजूद है। आमतौर भेड़/बकरी पालन भूमिहीन परिवारों द्वारा किया जाता रहा है लेकिन इस क्षेत्र में भी पर्याप्त रोजगार (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष) सृजन की विशाल क्षमता मौजूद है। स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ, बेरोजगार व्यक्तियों को भेड़ और बकरी की (20 मादा और 1 नर) इकाइयों की स्थापना के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत, सरकार द्वारा भेड़/बकरी की खरीद के बाद इकाई की स्थापना पर इकाई लागत पर 25 प्रतिशत की अनुदान राशि सीधे बैंक/ऋण खाते में प्रदान की जाती है। इकाई स्थापित करने पर भेड़/बकरी के बीमा पर 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। फिर भी, यदि राज्य में कोई भी बीमा योजना कार्यान्वित होगी तो योजना का लाभ दिया जाता है।

जैसा कि विधित है कि शरीर सरंचना में प्रोटीन की मुख्य भूमिका है जिसे सूकर, भेड़ और बकरी के मांस से सस्ते में पाया जा सकता है। यदि भारत में केवल 50 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष मांस की खपत बढ़ने से लगभग 30000 व्यक्तियों के रोजगार मिलने की संभावना भी बढ़ती है। अतः स्वरोजगार के साथ-साथ इनके पालने से शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन रूपी आहार की भी पूर्ति होती है।

8. बैकयार्ड पोल्ट्री इकाई योजना

हालांकि, बेसिक एनिमल हसबैंड्री स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति अण्डे की उपलब्धता का अनुमान प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 74 है। लेकिन, राष्ट्रीय पोषण संस्थान की सिफारिश के अनुसार, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष अण्डे की आवश्यकता 183 अण्डे है (MOFAHD 2019)। भारत में लगभग 3.35 किलोग्राम कुक्कुट माँस प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष जबकि अन्य राष्ट्रों में यह 10-11 किलोग्राम है। ब्राजील, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, चीन और इण्डोनेशिया जैसे राष्ट्रों में तो यह क्रमशः 45, 43, 34, 31, 10.5 एवं 6.5 किलोग्राम है। कुक्कटों से उत्पादित अण्डा और मांस भी प्रोटीन का अच्छा और सस्ता साधन होने के साथ-साथ स्वरोजगार का अच्छा स्त्रोत है। यदि प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत एक अण्डा भी बढ़े तो भी 25000 व्यक्तियों को रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। कुक्कुट पालन में स्वरोजगार की विशाल संभावना को देखते हुए हरियाणा राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रह परिवारों और अनुसूचित जाति के परिवारों के लिए योजना के अनुसार 8 से 10 दिन के चूजे पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा प्रदान किये जाते हैं।

9. अनुसूचित जातियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए योजनाएं

पशुधन की जनगणना 2019 के अनुसार, 16.62 लाख परिवार राज्य में एक या अन्य प्रकार के पशुधन का पालन कर रहे हैं, जिनमें से अनुसूचित जाति के परिवारों के पशुधन की लगभग 20 प्रतिशत आबादी है जिनके पास आमतौर पर संसाधनों की कमी है। हरियाणा राज्य के कुल पशुधन में से, अनुसूचित जाति के परिवारों में निम्न आनुवंशिक योग्यता के बावजूद पशुधन का 21 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति के परिवार पशुपालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और यह इन परिवारों का प्रमुख व्यवसाय है।

विशेष मौलिक परियोजना योजनाओं के तहत, जो अनुसूचित जाति के परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करेगा, इन परिवारों को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए पशुपालन इकाईयों की स्थापना की करने का प्रावधान इस प्राकर हैः

  1. मिनी डेयरी इकाई (2 या 3 दूधारू गाय/भैंस)
  2. सूकर पालन इकाई (5 मादा और 1 नर)
  3. भेड़/बकरी पालन इकाई (20 मादा और 1 नर)

मिनी डेयरी और सूकर पालन के अंतर्गत खरीदे गये पशुओं पर 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। एक इकाई को बैंक/वित्तीय संस्थानों से ऋण के माध्यम से और/या स्व-योगदान, यदि उपलब्ध हो, लाभार्थी के साथ वित्तपोषित किया जा सकता है। इस गतिविधि के लिए स्व-योगदान में पहले से ही उपलब्ध नगदी, पशुधन, शेड (केवल सूअर पालन इकाइयों के लिए लागू) और श्रम घटक (केवल सूअर पालन इकाई के लिए शेड की मरम्मत/निर्माण के लिए लागू) शामिल हो सकते हैं, जिनका मूल्य/लागत अनुसूचित जाति परिवार के लाभार्थी का हिस्सा गिना जाएगा। यह सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते/ऋण खाते में प्रदान की जाएगी। भेड़/बकरी पालन इकाई के लिए लाभार्थी को 20 मादा एवं 1 नर प्रदान किया जाता है। भेड़/बकरी शैड बनाने या मरम्मत करने का खर्च स्वयं लाभार्थी को वहन करना होगा। इस योजनाओं के अनुसार लाभार्थी के पशुओं का बीमा 100 प्रति निशुल्क होगा।

विशेष: हरियाणा राज्य में अनुसूचित जातियों के परिवारों के लिए उपलब्ध विशेष योजनाओं के अतिरिक्त ‘कुक्कुट पालन योजना’ का लाभ भी दिया जाता है।

10. पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु बीमा योजना

हरियाणा राज्य सहित भारतवर्ष के अधिकांश पशुपालकों के पास 2 से 5 पशु होते हैं। किसी भी रोग के काकरण पशु की मृत्यु होने की स्थिति में उन्हें आर्थि हानि होने के साथ-साथ धनहानि भी सहन करनी पड़ती है। अतः हरियाणा राज्य में पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देशय से पंडित दीन दयाल उपाध्याय बीमा योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत पशुपालकों के दुधारू पशुओं, भेड़/बकरी इकाई, सूकर इकाई, भारवाही पशुओं एवं ऊँटों का बीमा किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत पशुपालक अपने पांच बड़े अथवा 50 छोटे (1 बड़ा पशु 10 भेड़/बकरी/सूकर) पशुओं का बीमा 1.49 प्रतिशत प्रीमियम दर पर करवा सकते हैं। सामान्यतः इस योजना के अनुसार बड़े/दुधारू पशु का 100 ₹, भेड़/बकरी/सूकर का 25 ₹ प्रति पशु की दर से बीमा किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से ऊपर, गरीबी रेखा से नीचे और अनुसूचित जाति के परिवारों के अभिजात पशुओं का बीमा क्रमशः 500, 250 ₹ और निःशुल्क किया जाता है।

11. पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड

भारत में हरियाणा राज्य पहला ऐसा राज्य है जिसने पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर वर्ष 2019 से पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड बनाने की पहल की है जिसके अंतर्गत पशुपालकों को बहुत ही कम ब्याज दर पर आवश्यकतानुसार बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाये जाने का प्रावधान है। इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों को आत्मनिर्भर एवं प्रगतिशील बनाना है जिससे उनकी राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका और भी ज्यादा बढ़ेगी। पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से राज्य में पशुपालन व्यवसाय में वृद्धि होगी और कृषि और पशुपालन व्यवसाय को विकसित देशों की तरह ही आधुनिक बनाये जाने की अपार संभावना है।

पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक हरियाणा राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए और उसके पास पशुधन भी होना आवश्यक है। इस योजना का लाभ गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, मुर्गी पालने वाले सभी पशुपालक ले सकते हैं। इस योजना का लाभ पशुओं की संख्या के आधार पर ही लिया जा सकता है।

पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत पशुपालक तीन लाख ₹ तक का ऋण ले सकता है जिसमें से वह 1,60,000 ₹ तक का ऋण बिना किसी वस्तु के गिरवी रखे बिना (अर्थात जमानत के बिना) ही ले सकता है लेकिन इससे अधिक एक रूपया भी होने पर उसे बैंक को अचल संपति या अन्य वस्तु को प्रतिभूति सुरक्षा के रूप में प्रदान करनी होती है।

इस योजना के अंतर्गत सभी बैंकों द्वारा पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड धारक को सालाना 7 प्रतिशत साधारण ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है। इस 7 प्रतिशत ब्याज दर में से समय पर भुगतान करते रहने की स्थिति में सरकार की ओर से 3 प्रतिशत ब्याज दर का अनुदान (अधिकतम 3,00,000 ₹ तक की ऋण राशि पर) दिया जाता है। अर्थात इस योजना के अनुसार पशुपालक केवल 4 प्रतिशत ब्याज दर पर ही ऋण ले सकता है। इसके अतिरिक्त पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड धारक द्वारा 3,00,000 ₹ से अधिक ऋण राशि पर 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज दर पर लिया जा सकता है।

पशुपालक अपनी आवश्यकतानुसार समय-समय पर ऋण की राशि निकलवा सकता है और सुविधानुसार समय पर जमा भी करवा सकता है। इसमें केवल यह याद रखना है कि पहली बार राशि निकलवाने या खर्च करने के एक वर्ष की समय अवधि के अन्दर किसी भी एक दिन एक बार पूरी राशि जमा करवानी आवश्यक होती है, ताकि वर्ष में एक बार लिये गये ऋण की राशि शून्य हो जाये। ऋण की राशि वर्ष में पूरी नहीं भरने की स्थिति में उस पशुपालक को ब्याज दर पर छूट नहीं मिल पायेगी और डिफाल्ट के दिनों में 12 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करना पड़ेगा और जब तक वह इस राशि का भुगतान नहीं कर पायेगा, तब तक वह अपनी क्रेडिट लिमिट के अनुसार अगली राशि को नहीं निकाल पायेगा। इस राशि का भुगतान करने के बाद ही वह दोबारा आगामी एक वर्ष के लिए ऋण लेने का हकदार होगा। इस योजना के अनुसार पशुओं की विभिन्न श्रेणियां बनाई गई हैं जिनके अनुसार ही पशुपालक को प्रत्येक महीने वित्तीय अवधि के हिसाब से ऋण दिये जाने का प्रावधान है। प्रति पशु के हिसाब से वित्तीय पैमाना इस प्रकार है:

क्र.सं.

वार्षिक आधार पर प्रति पशु आवर्ती व्यय के प्रमुख घटक/मद गाय (विदेशी/ संकर / देसी) प्रतिदिन दूध भैंस भेड़ (20+1) यूनिट बकरी (20+1) यूनिट सुअर (4+1) यूनिट अण्डा देने वाली मुर्गी (72 सप्ताह का जीवन काल) ब्रॉयलर मुर्गी (2 माह का जीवन काल)
8 लीटर तक

8 लीटर से अधिक

1. पशुधन और मुर्गी पालन के लिए आवर्ती व्यय (फीड, श्रम, पानी, चिकित्सा आदि)(रू. में) 74812 86310 109490 4719 4350 16337 720 161
2. वित्तीय कार्यकाल 6 माह 6 माह 7 माह 1 वर्ष 1 वर्ष 1 वर्ष 1 वर्ष 3  माह
3. प्रति पशु या पक्षी का वित्तीय पैमाना 37406 43155 63869 4719 4350 16337 720 161
4. पुनर्भुगतान की अवधि 1 वर्ष 1 वर्ष 1 वर्ष 1 वर्ष 1 वर्ष 1 वर्ष 1 वर्ष 3 माह

इस योजना के अंतर्गत वित्तीय पैमाने के आधार पर पशुपालक को ऋण 6 बराबर प्रतिमाह किस्तों में दिये जाने का प्रावधान है, अर्थात पशुपालक अपनी गाय के पालन-पोषण हेतु प्रति माह 6234 (37406/6 = 6234) ₹ अपने पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण के रूप में निकाल सकता है। इस तरह 6 माह में प्राप्त कुल राशि 37406 ₹ अब उसे एक वर्ष के अंतराल के अंतर्गत 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित लौटानी होगी। भैंस एवं ब्रायलर मुर्गी पालन के लिए यह राशि क्रमशः 7 और 3 बराबर किस्तों में देने का प्रावधान रखा गया है। यहां ध्यान देने वाली यह बात है कि पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड धारक का एक वर्ष राशि लौटाने का समय अंतराल उसी दिन से शुरू होगा, जिस दिन वह पहली किस्त प्राप्त करेगा। पशुपालक को पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए निम्नलिखित दस्तावजों की आवश्यकता होगी:

  • पासपोर्ट साइज स्वयं की दो नवीनतम फोटो
  • आवेदक द्वारा स्वयं सत्यापित आधार कार्ड, पेन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड की छाया प्रतियां
  • मोबाइल नंबर
  • भूमि संबंधी रिकार्ड

सरल हरियाणा पोर्टल

बेरोजगार व्यक्ति जो हरियाणा सरकार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं के अंतर्गत लाभ लेना चाहते हैं वह सरल हरियाणा की वेबसाइट पोर्टल http://saralharyana.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदक स्वयं या फिर कॉमन सर्विस सैंटर, अटल सेवा केन्द्र, ई-दिशा केन्द्र के माध्यम से भी अपना आवेदन जमा कर सकते हैं। आवेदन के दौरान आवेदकों को निम्नलिखित दस्तावेजों को भी अपलोड करना होगा।

  • मतदाता पहचान पत्र/ड्राइविंग लाइसैंस/राशन कार्ड की प्रति
  • आधार कार्ड की कापी
  • बैंक पास बुक की कापी
  • पैन कार्ड की प्रति (यदि उपलब्ध हो)
  • रद्द किये गये बैंक चेक की प्रति

अधिक जानकारी के लिये नजदीकी पशु चिकित्सालय से सम्पर्क करें।

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1 Comment

  1. For I have applied for Mini Dairy Unit of 3 Milch Animals under the Scheme for Providing Employment Opportunities for Scheduled Castes in Haryana
    As per scheme, unit can be financed by self-contribution, if available with the beneficiary. In my application I have mentioned that the amount of loan required from the bank is Rs. 0.
    But AH& D department sent the application to Bank for loan. Bank is not ready to give loan.
    In this cycle eligible candidates are not getting benefits.

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