मुर्राह नस्ल विश्व की सबसे अधिक दुग्धोत्पादन करने वाली भैंस है जिसको हरियाणा राज्य का गौरव कहा जाता है। उच्च विक्रय दाम होने के कारण मुर्राह भैंस को हरियाणा का काला सोना कहते हैं। दिल्ली के आसपास होने के कारण इसे दिल्ली नस्ल भी कहते हैं। इस नस्ल के झोटों को भारी बोझा ढोने के कार्य में उपयोग करने के कारण इसे एशिया का ट्रैक्टर भी कहते हैं। रोहतक, जींद एवं हिसार जिलों में उच्च दुग्धोत्पादन करने वाली मुर्राह भैंसों की संख्या है जिनको निर्यात किया जाता है। मुर्राह भैंसों की एक ऐसी नस्ल है जिसका विश्व में सबसे ज्यादा फैलाव हुआ है। राष्ट्रीय पशु आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो करनाल द्वारा मुर्राह नस्ल की भैंस को INDIA_BUFFALO_ 0500_MURRAH_01001 नम्बर से पंजीकृत किया गया है।
गृह स्थान (Home tract)
मुर्राह भैंस का जन्म स्थान हरियाणा का रोहतक, जींद, हिसार है। यह नस्ल पंजाब में नाभा, पटियाला एवं दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में भी पाली जाती है। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात व उत्तर प्रदेश में मुर्राह भैंस पाली जाती है। अच्छा दुग्धोत्पादन होने के कारण मुर्राह भैंस सारे भारत में फैल गई है जिसको या तो शुद्ध आनुवंशिकता के आधार पर पाला जाता है या फिर कम दुग्धोत्पादन करने वाली देशी नस्लों के उन्नयन (Grading up) के लिए उपयोग किया जाता है।
शारीरिक विशेषताएं
- शरीर का आकार (Body shape, size) : शरीर भारी व गठीला, शरीर की त्वचा अपेक्षाकृत चिकनी व मुलायम तथा अन्य भैंसों की अपेक्षा शरीर पर कम बाल, मादा पशुओं का शरीर आगे से पतला और पीछे भारी तथा चौड़ा (तिकोना)। पीठ चौड़ी तथा छोटी जो सामने की ओर ढालू और पतली होती है। शरीर की चमड़ी मुलायम होती है जिस पर अपेक्षृता कम बाल होते हैं।
- रंग (Body colour) : मुर्राह भैंस के शरीर एवं बालों का रंग गहरा काला होता है। पूँछ के बाल नीचे से सफेद या काला होता है। चेहरे एवं टांगों पर सफेद रंग के धब्बे हो सकते हैं जिनको आमतौर पर पसन्द नहीं किया जाता है।
- जीभ (Tongue) : मुर्राह नस्ल की भैंसों की जीभ का रंग काला होता है।
- सिर (Head) : मुर्राह भैंसों का सिर अपेक्षाकृत छोटा एवं हल्का होता है।
- माथा (Forehead) : मुर्राह भैंसों का सिर अपेक्षाकृत छोटा होता है।
- सींग (Horns) : मुर्राह नस्ल की भैंसों के सींग अन्य नस्ल की भैंसों से अलग छोटे एवं खुण्डेहोते हैं। सींग सिर के पीछे से ऊपर की ओर ऊठ कर कुंडलित हो कर अन्दर की ओर मुड़ जाते हैं, जिनको सामान्य बोलचाल की भाषा में खुण्डे सींग कहते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो सींगों में खुलापन आने के साथ-साथ उनका कुंडल भी बढ़ता जाता है।
- चेहरा (Face) : मुर्राह भैंसों का सिर अपेक्षाकृत लम्बा होता है।
- थूथन (Muzzle) : थुथन का रंग काला होता है।
- आँखें (Eyes) : आँखों व पलकों का रंग काला होता है। आँखों में सफेद रंग होना शुद्ध नस्ल की मुर्राह नहीं माना जाता है।
- कान (Ears) : कान आमतौर पर क्षैतिजिय (Horizontal) होते हैं।
- गर्दन (Neck) : हल्की लेकिन अपेक्षाकृत लम्बी होती है।
- गलकम्बल (Dewlap) : नहीं होता है।
- नाभि–सूत्र (Naval flap) : आमतौर पर मुर्राह भैंसों में नाभि-सूत्र नहीं होता यदि होता है तो ना के बराबर ही होता है।
- टांगे (Limbs) : पैर छोटे लेकिन मजबूत होते हैं।
- खुर (Hooves) : मुर्रा नस्ल के खुर चौड़े वाले काले या कम गहरे काले होते हैं।
- कंधे का कूबड़ (Shoulder hump) : मुर्राह भैंसों में कंधे पर कूबड़ नहीं होता है लेकिन यह भाग थोड़ा उभरा हुआ होता है।
- पूँछ (Tail) : पूँछ घुटनों (Fetlock joint) तक लम्बी व पूँछ के नीचे के काले या सफेद होते हैं लेकिन 8.0 ईंच से ज्यादा सफेद नहीं होने चाहिए।
- लेवटी व थन (Udder and teats) : अयन पूर्ण रूप से विकसित, जिस पर टेड़ी-मेड़ी दुग्ध सिराएं होती है। अयन आगे और पीछे की ओर दोनों तरफ फैला हुआ होता है। थन दूरी पर होते हैं। आगे के थनों की अपेक्षा पीछे के थन के लम्बे होते हैं।
शारीरिक नापतोल
- शारीरिक भार (Body weight) : मुर्राह नस्ल की भैंसों का औसत भार 450 किलोग्राम जबकि झोटे का 550 किलोग्राम होता है।
- शारीरिक ऊँचाई (Body height) : मुर्रा नस्ल की भैंस की औसत ऊँचाई (Withers height) 132 सेंटीमीटर जबकि झोटे की 142 सेंटीमीटर होती है।
- शारीरिक लम्बाई (Body length) : भैंस की औसत लम्बाई 3 जबकि झोटे की 149.8 सेंटीमीटर होती है।
- हृदय परिधि (Heart girth) : मुर्राह नस्ल की भैंसों में औसत हृदय परिधि 4 एवं झोटे की 220.7 सेंटीमीटर होती है।
प्रजनन गुण
पालन-पोषक की परिस्थितियों के अनुसार प्रथम ब्यांत की उम्र, गाँवों में 45 से 50 महीने एवं अच्छे फार्मों पर 36 से 40 महीने होती है। ब्यांत अन्तराल अवधि 450 से 500 दिन होती है।
दुग्ध उत्पादन (Milk production)
मुर्राह नस्ल की भैंसें आमतौर पर 10 – 12 किलोग्राम प्रति दिन दुग्धोत्पादन करती हैं लेकिन 1970 – 71 में भारत सरकार द्वारा आयोजित अखिल भारतीय दुग्ध उत्पादन प्रतियोगिता में एक चैंपियन मुर्राह भैंस से एक दिन में 31.5 किलोग्राम दुग्धोत्पादन का रिकॉर्ड किया गया है। भारत से बुलगारिया को निर्यात की गई मुर्राह भैंसों का दुग्धोत्पादन 12 किलोग्राम प्रति दिन दर्ज किया गया है जबकि भारत में ऐसी बहुत सी मुर्राह भैंसें जिनका प्रति दिन का दुग्धोत्पादन 20 किलोग्राम से भी ज्यादा है।
विशेष (Remarks)
नर ज्यादा शक्तिशाली होते है जिनका उपयोग भार ढोने में किया जाता है। हरियाणा मुर्राह नस्ल के झोटों का उपयोग स्थानीय एवं अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर कम दुग्धोत्पादन करने वाली देशी भैंसों के उन्नयन (Grading up) के लिए किया जाता है।
वर्तमान स्थिति
मुर्राह नस्ल की भैंस सबसे अच्छी दुधारू भैंस है, जिसके झोटों का उपयोग नस्ल सुधार के लिए किया जाता है। इसकी दुग्धोत्पादन की क्षमता एवं निम्न स्तर की देशी भैंसों का दुग्धोत्पादन बढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार ने नकद प्रोत्साहन राशि वितरण के लिए योजना चला रखी हैं। पशुधन गणना के अनुसार मुर्राह भैंसों की संख्या में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। मुर्राह भैंस के झोटों का उपयोग थाईलैंड, इण्डोनेशिया, फिलीपींस, मेडागास्कर एवं ब्राजील इत्यादि में निम्न स्तर की भैंसों के उन्नयन के लिए उपयोग किया जाता है।
1 Trackback / Pingback