मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में गौ-वंश संरक्षण के लिए गौ-अधिनियम बनाया जाएगा। आंगनवाड़ियों में बच्चों को अण्डे की जगह गाय का दूध दिया जाएगा। गाय के दूध, गोबर एवं गौ-मूत्र से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा दिया जाकर उन्हें देश-विदेश में लोकप्रिय किया जाएगा। गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए जनपदवार नोडल अधिकारी नामांकित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आगर जिले के सालरिया गौ-अभ्यारण्य में गोपाष्टमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधन दे रहे थे। इस अवसर पर पशुपालन मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. महेन्द्रसिंह सिसौदिया, स्वामी श्री अखिलेश्वरानंदजी, डॉ अवधेश पुरी जी महाराज, सांसद देवास-शाजापुर श्री महेन्द्र सिंह सोलंकी, सांसद राजगढ़ श्री रोड़मल नागर, विधायक सुसनेर श्री विक्रम सिंह राणा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कलाबाई गुहाटिया, अपर मुख्य सचिव श्री जे.एन. कंसोटिया, संभागायुक्त उज्जैन श्री आनंद शर्मा आदि उपस्थित थे।
गौ-केबिनेट करेगी देश-विदेश में गौ-प्रबंधन का अध्ययन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गायों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए गौ-केबिनेट गठित की गई है जो कि देश-विदेश में गौ-प्रबंधन का अध्ययन कर प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ गौ-प्रबंधन लागू करेगी, जिससे यहां गायों की अच्छी से अच्छी देखभाल हो तथा गौ-उत्पादों का व्यापक स्तर पर उत्पादन एवं विक्रय हो सके।
चारागाह विकसित किए जाएंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गौ-वंश को अधिक से अधिक चारा उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग आदि की खाली पड़ी भूमि पर चारागाह विकसित किए जाएंगे। इसके लिए पृथक नीति भी बनाई जाएगी। गोशालाओं के निर्माण के लिए शासकीय भूमि के आवंटन के नियम बनाए जाएंगे।
गोपाष्टमी के दिन ही पहली बार भगवान श्रीकृष्ण गाय चराने गए थे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमारी संस्कृति में गौमाता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है। गाय की पूजा से ही सबकी पूजा हो जाती है। प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाती है। गोपाष्टमी पर गौपूजा का विशेष महत्व है। आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण एवं बलराम पहली बार गाय चराने जंगल गए थे।
गौ-वंश को इधर-उधर नहीं भटकने देंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम अपने गौवंश को इधर-उधर नहीं भटकने देंगे। गाय को माता की तरह देखभाल हमारी नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी है। सरकार द्वारा प्रदेश में लगभग दो हजार गौशालाएं खोली जा रही हैं तथा उनके संचालन में सरकार के साथ समाज की भी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, जिससे गौ-वंश की पूरी देखभाल हो सके। गौ-वंश के उपचार के लिए प्रदेश में गौवंश संजीवनी योजना फिर से शुरू की जाएगी। पूर्ववर्तीय सरकार ने गौ-सदन बंद कर दिए थे, वे फिर से प्रारंभ किए जाएंगे।
गौ-वंश के प्रबंधन के लिए वित्त आयोग की राशि का उपयोग
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पंचायतों में गौ-वंश के प्रबंधन के लिए राज्य वित्त आयोग की राशि का उपयोग किया जाएगा। गौशालाओं में बिजली, पानी की व्यवस्था के लिए पंच-परमेश्वर की राशि इस्तेमाल की जा सकेगी। गौशालाओं के प्रबंधन के लिए जनपदवार नोडल अधिकारी नामांकित किए जा रहे हैं, जो गौशालाओं के समुचित प्रबंधन के लिए जिम्मेवार रहेंगे।
गाय का हर उत्पाद अमृत समान
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि न केवल गाय का दूध अपितु उसका गोबर एवं गौ-मूत्र भी अमृत समान हैं। गाय का दूध जहां स्वास्थ्यवर्धक होता है तथा उसमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है, वहीं गाय के गोबर से लिपाई-पुताई करने से हानिकारिक रेडिएशन रूकता है तथा सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। गाय के कंडे एवं गौ-काष्ठ के उपयोग से पर्यावरण का संरक्षण होता है। रासायनिक खाद की जगह गोबर से बनी खाद के उपयोग से न केवल जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, बल्कि फसलें पुष्ट भी होती हैं।
गौ-अभ्यारण्य को आदर्श बनाएंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान कहा कि गौ-अभ्यारण्य सालरिया को आदर्श गौ-अभ्यारण्य बनाया जाएगा। अभ्यारण्य परिसर में बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाएंगे तथा चेकडैम, स्टॉपडैम का निर्माण कराया जाएगा। परिसर में रिसर्च सेंटर प्रारंभ कराया जाएगा। गौ-उत्पादों के प्रशिक्षण के लिए केन्द्र भी खोला जाएगा।
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