पशुओं में एसपाईरेट्री/ ड्रेंचिंग न्यूमोनिया: कारण एवं निवारण

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अपने देश भारत में पशुओं की छोटी बड़ी बीमारियों में पशु पालकों द्वारा बांस की नाल, रबड़ की नली, लकड़ी या कांच की बोतल इत्यादि के द्वारा देसी दवाइयां पिलाना एक आम बात है। वैज्ञानिक तरीके से सही विधि से ड्रेनचिग नहीं करने पर औषधि के घोल का कुछ भाग ग्रास नली द्वारा पेट में जाने के, स्थान पर सांस नली द्वारा फेफड़ों में चला जाता है जिससे निमोनिया होना एक आम बात है। समय पर उपचार न मिलने पर कभी-कभी पशु की मृत्यु हो जाती है।

कारण

  1. लापरवाही व ग़लत तरीके से ड्रेचिंग करना।
  2. ग्रास नली मैं कोई फोड़ा फूट जाने पर मवाद फेफड़ों में चली जाती है जैसे पायोमिक न्यूमोनिया (स्ट्रेंगलस)
  3. लैरिंक्स फैरिंक्स एवं इसोफागस का लकवा हो जाने पर मुंह में आया आहार का कम या अधिक भाग फेफड़ों में चला जाता है।
  4. आहार को निगलने की प्रक्रिया में अवरोध हो जाना ऐसा प्राया वेगस नर्व की पैरालिसिस में होता है।
  5. गलत तरीके से स्टमक ट्यूब या प्रोबैंग डालना।
  6. कुछ रोगों में ड्रेंचिग निमोनिया होता हैं- इंसेफलाइटिस मिल्क फीवर अर्थात हाइपोर्कैल्सीमिया, सामान्य निश्चेतक से बाहर आना।
  7. भेड़ बकरियों को दवा के घोल में डिप करते समय नाक में घोल चले जाना।
  8. घोड़े और गोवंश मैं उल्टियां-, गाय भैंस या घोड़ों में कभी-कभी उल्टी होने से उसका कुछ भाग फेफड़ों में जा सकता है।

ड्रेचिंग कैसे करें

  1. दवा पिलाते समय पशु के सिर को अधिक ऊंचा नहीं रखें।
  2. दवा से भरी हुई बोतल या बांस की नाल को मुंह के आगे से डालने की बजाय साइड से डाले।
  3. जीभ को पकड़ कर बाहर नहीं निकाले बल्कि इसको अंदर स्वतंत्र रखें ताकि औषधि पिलाते समय जीभ औषधि, को अंदर निगल सके और यदि इसे पकड़कर बाहर निकाल दिया तो काफी औषधि की मात्रा बाहर गिरेगी और पेट में जाने के बजाए फेफड़ों में चली जाएगी।
  4. औषधि के घोल को, अचानक मुंह के अंदर खाली नहीं करें बल्कि पशु को निगलते रहने के साथ धीरे धीरे डालें।
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लक्षण

डरेचिंग का इतिहास, पशु चिकित्सक द्वारा प्राय: पशुपालक द्वारा पूछने पर यह बताया जाता है कि इससे पहले प्राथमिक चिकित्सा में उसके द्वारा हल्दी, तेल, राई, छाछ एवं देसी जड़ी बूटियों आदि के घोल को पिलाया गया था। कई बार पशु के जबड़े व होठों के पास स्पष्ट रूप से तेल, हल्दी आदि लगी हुई दिखाई पड़ती है। इसके लक्षण कितने गंभीर होते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे ड्रेंचिंग में, कैसी औषधि पिलाई गई है तथा कितनी मात्रा में घोल स्वसन तंत्र में गया है। यदि पिलाई गई घोल की दवा अधिक जलन वाली है तथा पानी में अधिक घुलनशील है तो इसका असर गंभीर होता है। यदि गलत तरीके से औषधि पिलाने में काफी अधिक मात्रा में तरल पदार्थ अचानक स्वसन तंत्र में चला जाता है तो इससे पशु की मृत्यु भी हो सकती है। पशु बेचैन हो जाता है और खांसी होती है इसमें निमोनिया में पाए जाने वाले लगभग सभी लक्षण नजर आते हैं। नाक के द्वारा स्राव इस प्रकार की निमोनिया में अवश्य होता है जबकि सामान्य निमोनिया में नाक का शराव होना आवश्यक नहीं है। इस निमोनिया में शरीर का तापमान घट जाता है जबकि सामान्य निमोनिया में शरीर का तापमान बढ़ जाता है। श्वसन दर एवं नाड़ी की गति बढ़ जाती है तथा सांस लेने में तकलीफ होती है। गैंग्रीनस निमोनिया में सांस में मीठी, सड़ी हुई बदबू आती है। आस्कलटेशन, मैं मोइस्ट रेल या बबलिंग की आवाज आती है। इस रोग का कार्यकाल 2 से 6 दिन तक होता है लेकिन यह फेफड़ों में जा चुके तरल पदार्थ की मात्रा एवं गुणवत्ता पर निर्भर करता है। डेरचिंग निमोनिया में मृत्यु दर काफी अधिक होती है और इससे ग्रसित अधिकांश पशुओं की मृत्यु हो जाती है।

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सामान्य उपचार

  1. यदि गलत तरीके से ड्रेंचिंग की गई है, और पशु की हालत गंभीर है तो उसे तुरंत एड्रीनेलिन का इंजेक्शन दें, यह ब्रांकोडायलेटर का काम करता है इसकी मात्र 4 से 8 मिलीलीटर इंट्रावेनस अथवा इंट्रा मस्कुलर विधि से बड़े पशुओं में देते हैं।
  2. एंटीमाइक्रोबॉयल औषधियों में सल्फाडिमीडीन सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
  3. इंजेक्शन सल्फाडीमिडीन ३३.३% इंट्रावेनस विधि से देते हैं।
  4. बड़े पशु में पहले दिन 100 मिलीलीटर उसके पश्चात 75ml 5 से 7 दिन तक देते हैं।
  5. इंजेक्शन ऑक्सीटेटरासाइक्लिन जो कि एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम प्रतिजैविक औषधि है का उपयोग 3 दिन तक करते हैं।
  6. मेडिकेटेड इनहेलेशन: यह स्वसन तंत्र में इकट्ठा हुए तरल पदार्थ को कम करता है।
  7. छाती की मालिश: छोटे पशुओं में इसका अधिक असर होता है जोकि रेस्पिरेट्री स्टिम्युलेंट का काम करता है।
  8. कफ एलक्चुअरी: यदि इसमें पोटेशियम आयोडाइड मिला कर दें तो बेहतर परिणाम होंगे। यह स्वसन तंत्र से तरल पदार्थ को अवशोषित करता है।
  9. इसके अतिरिक्त पशु का अच्छा रखरखाव करें।

संदर्भ

  1. वेटरनरी क्लिनिकल मेडिसिन द्वारा अमलेदु चक्रवर्ती
  2. द मरक वेटरनरी मैनुअल

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

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