कृत्रिम गर्भाधान हमेशा अण्डक्षरण के कम से कम 10 -12 घण्टे पूर्व करना सफल निषेचन हेतु अति आवश्यक है। देशी गाय एवं भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का सर्वाधित उपयुक्त समय ऋतु काल के प्रारम्भ होने के बाद 6 – 18 घण्टे के मध्य होता है। अर्थात् पशु यदि सुबह गर्मी में दिखलाई देता है तो शाम को। यदि शाम को गर्मी में दिखलाई देता है तो अगले दिन सुबह कृत्रिम गर्भाधान करने का उपयुक्त समय होता है। जिन संकर गायों में गर्मी की अवस्था दो दिन रहती है। उनमें दूसरे दिन एवं जिनमें 3 दिन गर्मी की अवस्था रहती है उनमें दूसरे दिन शाम एवं तीसरे दिन प्रातः कृत्रिम गर्भाधान का उचित समय होता है।
सामान्यतः पशुपालक जब पशु में गर्मी के लक्षण देखता है तब कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को सूचित करता है। सफल कृत्रिम गर्भाधान हेतु उच्च गुणवत्ता को वीर्य, वीर्य का समुचित रख-रखाव, पशु का स्वस्थ जनन तंत्र, सामान्य स्वच्छता एवं उचित उच्च उर्वरता दर हेतु परम आवश्यक है। इन सब कारकों में उचित समय पर कृत्रिम गर्भाधान अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व ध्यान देने योग्य मुख्य तथ्य
- यदि किसी ओसर का कृत्रिम गर्भाधान करना है तो उसका शरीर भार प्रथम बार कृत्रिम गर्भाधान करने से समय 240 – 250 किग्रा से कम नहीं होना चाहिए।
- पशु के जनन अंगों से किसी भी प्रकार का असामान्य श्राव नहीं होना चाहिए।
- पशु रिपीट ब्रीडर/संक्रमण युक्त नहीं होना चाहिए। ऐसे पशुओं को सम्पूर्ण उपचार करने के पश्चात् ही कृत्रिम गर्भाधान करना चाहिए।
- कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व गुदा परीक्षण द्वारा सम्यक गर्भ जांच करना अति आवश्यक है।
- कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व पशु की सही ऋतु की पहचान हेतु सम्यक परीक्षण करना भी नितान्त आवश्यक है।
- सामान्य प्रसव के उपरान्त कम से कम 2 महीने एवं असामान्य प्रसव यथा जेर रूकना, गर्भश्राव, कठिन प्रसव के उपरान्त कम से कम 3 महीने पश्चात् ही कृत्रिम गर्भाधान करना चाहिए।
- उपयोग होने वाले वीर्य के प्रकार को पहले से ही निश्चित कर लेना चाहिए।
- कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व पशु को कैटल क्रस/पेड में बांधकर नियन्त्रित कर लेना चाहिए।
उपरोक्त बिन्दुओं पर यदि कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व ध्यान नहीं दिया जाता है तो वीर्य के खराब होने अथवा पशु को ब्याने के दौरान परेशानियों की संभावना बढ़ जाती है।
कृत्रिम गर्भाधान की अधिकतम् सफलता हेतु मुख्य सुझाव
- ऋतु के मध्य काल सेे अन्तिम काल के बीच कृत्रिम गर्भाधान करना चाहिए।
- पशुओं में गर्मी अधिकांशतः शाम 6 बजे से प्रातः 6 बजे के मध्य होती है।
- कृत्रिम गर्भाधान के समय शान्त वातावरण हो एवं पशु को तनाव मुक्त रखें।
- बच्चा देने के बाद 2 से 3 माह के अन्दर पशु को पुनः गर्भित करायें।
- कृत्रिम गर्भाधान के तुरन्त बाद पशु को मत दौड़ाए।
- कृत्रिम गर्भाधान करने के पहले एवं बाद में पशु को छाया में रखें।
- हरे चारे के साथ सन्तुलित आहार दें।
- आवास हवादार, छायादार व भूमि समतल हो।
- समय-समय पर संक्रामक रोगों से बचाव हेतु आयल एडजुवेंट टीका लगवायें।
कृत्रिम गर्भाधान की सफलता का आधार
- पूर्ण प्रशिक्षित व योग्य कृत्रिम गर्भाधान कार्यकत्र्ता।
- कृत्रिम गर्भाधान, उपकरण, वीर्य आदि की पर्याप्त उपलब्धता।
- मादा पशु के ऋतु काल ;व्मेजतने ब्लबसमद्ध का पूर्ण ज्ञान व सूचना जो इन्सेमिनेटर को दी जानी है, वह समय से दी जाये।
- पशु पालक को पशु का पूर्ण ध्यान देना व स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना।
- पशु का प्रजनन स्वास्थ्य उन्नत होना अर्थात् पशु में प्रजनन योग्य भार (प्रौढ़ावस्था का 60 – 70 प्रतिशत भार)।
- पशु की आहार व्यवस्था समुचित हो।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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