पशुपालन

हरी खाद का उपयोग से फसल की उत्पादकता में बढोतरी

हमारे देश में मृदा उवर्रता एवं उत्पादकता बढाने में हरी खाद का उपयोग प्राचीनकाल से चला आ रहा है। भूमि पर लगातार फसल उत्पादन के कारण मिट्टी में नेत्रजन एवं कार्बनिक पदार्थ की कमी बनी रहती है साथ ही >>>

बदलते मौसम में सोयाबीन की खेती
पशुपोषण

बदलते मौसम में सोयाबीन की खेती

सोयाबीन दलहन वर्ग की एक फसल है जिसका वर्गीकरण पाश्चात्य देशों में तिलहनों के अन्तर्गत किया जाता है। यह अमेरिका तथा अन्य कई देशों में वनस्पति तेल उत्पादन का एक प्रमुख स्त्रोत है। भारत में पहले इसे एक >>>

पशुपालन समाचार

संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास के लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र संघ की देखरेख एवं संरक्षण में 25 सितंबर 2015 को विश्व के 193 देशों में मानव के अच्छे भविष्य एवं सतत विकास के लिए विभिन्न लक्ष्यों का निर्धारण किया जिन्हें सामान्य भाषा में SDG (Sustainable Development goals) या संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘सतत विकास के लक्ष्य’ के नाम से जाना जाता है। >>>

पशुपालन

पर्यायवरण एवं मानव हितैषी फसल अवशेषों का औद्योगिक एवं भू-उर्वरकता प्रबंधन

आधुनिक समय में मौसम की मार को देखते हुए खेत को जल्दी खाली करने के लिए दबाव बना रहता है। ऐसे में कंबाईन हारवेस्टर का उपयोग फसल को काटने में किया जाता है जिससे फसल में दाने तो अलग कर लिये जाते हैं लेकिन खेत में फसल के अवशेष बच जाते हैं जिनका किसान के लिए निष्पादन करना बहुत मुश्किल हो जाता है। >>>

कृषि

फसल अवशेष न जलाने के लाभ: अतिरिक्त धनोपार्जन

फसल पकने के बाद इसकी कटाई की जाती है व दानों को अलग कर लिया जाता है। दानों को अलग करने के बाद बचे हुए अवशेषों को कृषि अवशेष कहा जाता है। >>>

पशुपालन

फसल अवशेष जलाना: मानवता और पर्यावरण के लिए खतरा

फसल अवशेषों को हर रोज जलाया जा रहा है लेकिन वर्ष में दो बार, रब एवं खरीफ की फसल कटाई के बाद यह मुख्य रूप से देखने को मिलता है। दिन हो या रात फसल कटाई के बाद, बचे हुए अवशेषों में आग लगाना सामान्य घटना है। >>>

कृषि

वैज्ञानिक ढंग से चना की खेती

इस देश में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में चना सबसे पुरानी और महत्त्वपूर्ण फसल है। चने का प्रयोग मुख्य रूप से दाल और रोटी के लिए किया जाता है। चने को पीस कर तैयार किए हुए बेसन से विभिन्न प्रकार की स्वादिष्ट मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं। >>>