अगस्त/ सावन माह में पशुपालन कार्यों का विवरण
पशुपालन

अगस्त/ सावन माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

नए खरीदे गए पशुओं तथा अवशेष पशुओं में गलाघोटू एवं लंगडिया बुखार का टीका लगवाए। यकृत क्रम के हेतु कृमि नाशक औषधि पान कराएं। >>>

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पशुओं का प्रजनन कैलेंडर

ऋतु चक्र का प्रकार (Pattern of Estrus cycle) कोई भी मादा पशु वर्ष में कितनी बार ऋतु (गर्मी) में आता है इस आधार पर पशुओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। 1. मोनोईस्टस (Monoestus) >>>

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कृत्रिम गर्भाधान द्वारा वीर्य को उपयुक्त स्थान पर पहुंचाने संबंधी जानकारी

कृत्रिम गर्भाधान इस विधि में स्वस्थ नर पशु के वीर्य (semen) को कृत्रिम विधि से स्वच्छतापूर्वक एकत्रित करके यन्त्रों की सहायता से मादा जननेन्द्रियों में स्वच्छतापूर्वक ऋतु के उचित समय (Proper time >>>

नियमित ब्यात अधिक उत्पादन
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नियमित ब्यात अधिक उत्पादन

भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि व पशुपालन एक दूसरे के पूरक है। पशुपालन को लाभदायक बनाने हेतु हमारे पशुपालक भाइयों को चाहिए कि वे अपने पशुओं से अधिक आय प्राप्त करने के लिए नियमित ब्यात अधिक उत्पादन >>>

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गर्भावस्था के दौरान भैंसों की देखभाल और प्रबंधन

पशुपालन व्यवसाय में अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए भैंसों का नियमित अंतराल पर ब्याना आवश्यक है। पशुओं के स्वास्थ्य तथा संतुलित आहार का जन्म से ही समुचित ध्यान रखने से वह कम उम्र में ही गर्भाधारण >>>

कृत्रिम गर्भाधान AI
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देशी संकर गाय एवं भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का उपयुक्त समय एवं कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व ध्यान देने योग्य मुख्य बिन्दु

कृत्रिम गर्भाधान हमेशा अण्डक्षरण के कम से कम 10 -12 घण्टे पूर्व करना सफल निषेचन हेतु अति आवश्यक है। देशी गाय एवं भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का सर्वाधित उपयुक्त समय ऋतु काल के प्रारम्भ होने के बाद 6 >>>

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खरगोश पालनः आर्थिक उन्नति का आधार

खरगोश पालन प्रायः सभी जलवायु में कम लागत, साधारण आवास, सामान्य रख-रखाव तथा पालन पोषण के साथ संभव है। यह भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों के पोषण में एक महत्वपर्ण भूमिका निभाता है और एक पूरक व्यवसाय >>>

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भूमि सुपोषण से ही संभव है गौ-संवर्धन

गौ-संवर्धन करने हेतु हमारे देश मे हजारो की संख्या मे गोशालाये खोली जा चुकी है परंतु फिर भी गाय को बड़ी ही आसानी से सड़क पर आवारा पशु के रूप मे देखा जा सकता है l >>>

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नवजात बछड़े एवं बछिया की देखभाल

नवजात बछड़े /बछियों में रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। खींस पिलाना मां से ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बच्चे में पहुंचाने का प्राकृतिक तरीका है। खीस नवजात >>>

पशुओं में कीटनाशकों की विषाक्तता का दुष्प्रभाव एवं उसका निराकरण
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में कीटनाशकों की विषाक्तता का दुष्प्रभाव एवं उसका निराकरण

रासायनिक पदार्थों का मानकता के अनुरूप सही रूप में, प्रयोग नहीं करने पर मनुष्य और पशुओं, के शरीर में पहुंचकर घातक प्रभाव प्रकट करते हैं जिसके फलस्वरूप पशु की >>>

दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन
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दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन की उपयोगिता एवं विधियां

एक साथ बहुत सारे पशुओं को हार्मोन के टीके लगा कर गर्मी में लाने की विधि को इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन कहते हैं। इस विधि से श्रम और समय में कमी आती है तथा गायों भैंसों को योजनाबद्ध तरीके से कृत्रिम गर्भ >>>

जून/ जेठ माह में पशुपालन कार्यों का विवरण
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जून/ जेठ माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

जून/ जेठ: पशुओं को लू से बचाएं। पर्याप्त मात्रा में हरा चारा दें। अंत: परजीवी से बचाव हेतु औषधि पान कराएं। खरीफ के चारे मक्का लोबिया की खेत की तैयारी करें। सूखे खेत की चरी न खिलाएं अन्यथा >>>

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भारतीय दुधारू गौवंश एवं प्रमुख विशेषतायें

हिंदू धर्म में गाय को माता कहा गया है। पुराणों में धर्म को भी गौ रूप में दर्शाया गया है। भगवान श्री कृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे और इनका निवास भी गोलोक बताया गया है। हिंदू धर्म में गाय के >>>