पशुओं की बीमारियाँ

मादा पशुओं में बांझपन कारण एवं बचाव

पशुओं में बच्चा ना पैदा होना या कम बच्चे पैदा होना ही बांझपन कहलाता है यानी प्रजनन शक्ति का ह्रास होना ही बांझपन कहलाता है। सामान्यत: प्रजनन अंगों में कोई बाधा या रूकावट होने से बांझपन की स्थिति पैदा हो जाती है। >>>

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भारत के डेयरी व्यवसाय में मादा लिंग वर्गीकृत वीर्य के उपयोग से प्रजनन क्रान्ति

गर्भाधान, चाहे वह प्राकृतिक हो या कृत्रिम, जीवित जीवों के बीच प्रजनन की विशेषता है। डेयरी पशुओं की लाभप्रदता आनुवंशिक रूप से उच्च उत्पादक मादा बछड़ियों के उत्पादन पर निर्भर करती है। >>>

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उन्नतशील पशुपालन हेतु कुछ मुख्य दिशा निर्देश

दुग्ध व्यवसाय के लिए यह अति आवश्यक है की अति उत्तम नस्ल के पशुओं का उपयोग डेयरी व्यवसाय हेतु किया जाए जिससे कि जितना दुग्ध है उसका उत्पादन काफी हद तक बढे, क्योंकि हमारे प्रदेश में पशु केवल 700 से 1000 लीटर प्रति बयांत दूध देते हैं तथा जो संकर नस्ल के पशु हैं उनसे दुग्ध उत्पादन तीन से चार गुना अधिक प्राप्त होता है। >>>

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दुधारू पशुओं में भ्रूण स्थानांतरण/ प्रत्यारोपण- नस्ल सुधार की एक नवोन्मेषी उत्तम तकनीक

भ्रूण स्थानांतरण पशु प्रजनन की एक नवीन तकनीक है जिससे उत्कृष्ट श्रेणी के दुधारू पशु एवं उच्च कोटि के सांड का नस्ल सुधार के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़ता है। >>>

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गाय एवं भैंस में ऋतु चक्र/ मदकाल के लक्षणों, की समुचित जानकारी द्वारा सफल गर्भाधान

डेरी व्यवसाय में सफल प्रजनन व्यवस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है। पशुशाला में उपस्थित वयस्क पशुओं में से अधिकाधिक संख्या  समयानुसार गर्भित होकर सामान्य एवं , स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है तभी दुग्ध उत्पादन का क्रम निरंतर चल सकता है तथा पशुपालक डेयरी व्यवसाय से नियमित आमदनी प्राप्त कर सकता है। >>>

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भारत की स्वदेशी गाय की प्रजातियों का व्यावसायिक उपयोग

देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी स्वदेशी व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे हैं यह स्वदेशी व्यवसाय न केवल आपको स्वतंत्र बनाते हैं बल्कि देश की प्रगति में भी योगदान करते हैं। >>>

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पशुओं में उत्पादन वृद्धि के लिए कृत्रिम गर्भाधान

नर प्रजनन कोशिका (शुक्राणु) को कृत्रिम तरीके से मादा पशु के जननांगो मे प्रत्यारोपित करना कृत्रिम गर्भाधान कहलाता है। >>>

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बांझ / अनुउर्वर गायों को दूध देने योग्य बनाने की वैज्ञानिक तकनीक

अनेक वैज्ञानिक शोध से यह ज्ञात हुआ है कि पशुओं के बिना बच्चा दिए उनसे दूध लिया जा सकता है और यह इस समस्या का समाधान हो सकता है। यह उपचार उन गायों में कामयाब है जो कि कम से कम एक बार बच्चा दे चुकी हो जिससे उनका अयन पूरी तरह से विकसित हो। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

थनैला रोग एवं इससे बचाव

थनैला रोग के कारण पशुओं के दुग्ध उत्पादन तथा दुग्ध वसा में कमी आ जाती है साथ ही साथ पशुओं को अनुउत्पादक भी बना देता है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव डेरी उद्योग पर पड़ रहा है। >>>

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भारतीय एवं यूरोपियन गायों में तुलनात्मक अंतर

आज की गाय एक जंगली प्राणी के रूप में मानव निर्माण के करोड़ों वर्ष पूर्व प्रकृति में विकसित हुई है। भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाने वाली देशी गाय और यूरोप की जर्सी, हॉलस्टीन इत्यादि, गायों का मूल 1.5 लाख साल पहले एक ही था >>>

डेरी पालन

डेयरी व्यवसाय का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन

डेयरी व्यवसाय की सफलता मुख्यता दुधारू पशुओं पर निर्भर करती है। इसलिए दुधारू पशुओं का रखरखाव उनका निवास स्थान, खानपान एवं स्वास्थ्य प्रबंधन समुचित होना चाहिए >>>

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अमृततुल्य दूध: ए1 और ए2 दूध के मिथक और तथ्य

ए1 और ए2 दूध क्या है? ए1 बीटा-कैसिन दूध में 67वें स्थान पर हिस्टडीन एमीनो एसिड होता है जबकि ए2 दूध में उस स्थान में प्रोलिन होता है। इन्ही दोनों अणुओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति के कारण विश्व व्यापी तर्क-वितर्क चल रहा है। >>>

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महिला सशक्तिकरण के लिए सामाजिक सहभागिता अत्यंत आवश्यक

समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार होती है। देश के सशक्तिकरण व उन्नति के लिए गांव, समाज एवं प्रदेश का विकास आवश्यक है। गांव के विकास के लिए समुदाय व समाज व परिवार का संतुलित विकास आवश्यक है। >>>

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गाय की स्वदेशी नस्लों के संरक्षण, संवर्धन एवं सतत विकास का सशक्त माध्यम बन सकती हैं गौशालाए

गौ माता मातृशक्ति की साक्षात प्रतिमा है। जिस दिन विश्व में गायें नहीं रहेंगी उस >>>