पशुपालन

ग्रीष्म ऋतु में दुधारू पशुओं की देखभाल

भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु अधिक लम्बे समय तक रहती है तथा तापमान 45 से 47 ℃ तक पहुँच जाता है जिसके कारण पशु तनाव की स्थिति में रहते हैं। >>>

पशुपालन

नवजात पशुओं की देखभाल

पारम्परिक रूप से पशु पालन में डेयरी व्यवसाय कृषि की द्वितीयक स्वरूप के परे एक संगठित उद्योग के स्वरूप को प्राप्त है। आज किसान दुग्ध व्यवसाय को व्यापार व आर्थिक उन्नति का आधार बनाया है। इस कारण से आज >>>

पशुपालन

भैंसों में ग्रीष्मकालीन प्रबंधन

भैंसों में खराब थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम होता है और विशेष रूप से गर्मियों में अत्यधिक जलवायु परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। भैंस अपने काले शरीर के रंग के कारण मवेशियों की तुलना में >>>

Buffalo Farm
पशुपालन

ग्रीष्म ऋतु में पशुओं की समुचित देखभाल

गर्मियों में पशुओं के समुचित प्रबंध पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उत्तरी पश्चिमी भारत में गर्मियां तेज व लंबे समय तक होती है। यहां गर्मियों में वायुमंडलीय तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस से भी >>>

पशुपालन

विभिन्न ऋतु में पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन

पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से आवास प्रबंधन: पशुओं को रखने के लिए पशु घर का निर्माण इसलिए आवश्यक है जिससे उन्हें गर्मी, सर्दी तथा बरसात से बचाया जा सके। पशुशाला निर्माण के समय पशुओं के आराम तथा >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय एवं भैंस के नवजात बच्चों की मृत्यु के मुख्य कारण:

अधिकांश नवजात बच्चों की मृत्यु पाचन तंत्र की समस्याओं के कारण होती है तथा इससे कम श्वसन तंत्र की समस्याओं के कारण होती हैं। जन्म के बाद नवजात बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण पशुपालक द्वारा बच्चे को >>>

पशुओं की बीमारियाँ

बछड़ों को पेशाब रुकने अर्थात पेशाब के बंधे से कैसे बचाएं?

सर्दियों के दिनों में अक्सर बछड़ों एवं कटड़ों को पेशाब के रुकने से होने वाली परेशानी बंधे से बचाने के लिए नौसादर का प्रयोग उपयुक्त माना गया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं सर्दियों में पेशाब का रुकना >>>

पशुपालन

नवजात बछड़े एवं बछिया की देखभाल

नवजात बछड़े /बछियों में रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। खींस पिलाना मां से ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बच्चे में पहुंचाने का प्राकृतिक तरीका है। खीस नवजात >>>

Climate Change
पशुपालन

भारतीय परिदृश्य में पशुओं तथा उनकी उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव

वर्तमान परिदृश्य में बढ़ता हुआ वैश्विक तापमान एक अत्यंत ज्वलंत समस्या है जिसका प्रमुख कारण है जलवायु परिवर्तन। इस वैश्विक गर्मी का सीधा प्रभाव पशुधन स्वास्थ्य एवं उत्पादन दोनों पर ही पड़ता है। >>>

दुधारू पशुओं में ऊष्मीय तनाव का समुचित प्रबंधन
पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओं में ऊष्मीय तनाव का समुचित प्रबंधन

पशुओं के शरीर की ऊष्मा छय करने की क्षमता व प्राकृतिक क्रियाओं से शारीरिक तापमान नियंत्रित नहीं हो पाता तो उसे उष्मीय तनाव अथवा हीट स्ट्रेस कहा जाता है >>>

पशुपालन

पशुओं में उष्मीय तनाव– प्रभाव एवं बचाव

भारत में देशी पशुओं की तुलना में विदेशी पशुओं में उच्च उष्मीय तनाव का प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है। इसी प्रकार अधिक दूध देने वाले दुधारू पशु भी इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गर्मी एवं बरसात के मौसम में पशुओं में होने वाले पशु रोग एवं उनसे बचाव

गर्मी के मौसम में होने वाले पशु रोग अत्याधिक गर्मी के कारण लू लगना। गर्मी के कारण स्ट्रेस यानी व्याकुलता। पशुओं में किलनी/कलीली आदि का लगना। पशुओं के पेट में कीड़े पड़ना। पशुओं में दस्त >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय भैंस के नवजात बच्चों के अतिसार (काफ स्कॉर) का प्रबंधन

नवजात बछड़ों एवं बछियों में, होने वाले अतिसार को कोलीसेप्टिसीमिया, सेपटीसीमिक कोलीबेसिलोसिस एवं काफ स्कॉर के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी प्रबंधन की कमी के कारण उत्पन्न हुई मानी जा सकती है। >>>

पशुपालन

नवजात बछड़े का प्रबंधन

माँ का पहला दूध अर्थात् खीस नवजात बछड़े को दिया जाने वाला सबसे पहला और जरूरी आहार है। खीस का निर्माण माँ के द्वारा बछड़े के जन्म से 3 से 7 दिन बाद तक किया जाता है >>>