पशुओं की बीमारियाँ

ब्याने के बाद हीमोग्लोबिनुरिया/ लाल पानी/ लहूमूतना एक खतरनाक बीमारी

स्वस्थ व अधिक दूध देने वाली गायों एवं भैंसों मे हिमोग्लोबिनुरिया एक प्रमुख रोग है जिसे हाइपोफॉसफेटीमिया भी कहते हैं। यह एक उपापचयी रोग है जिसमें रक्त का हीमोग्लोबिन अधिक टूट जाने व नष्ट होने से वह >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में अनुउत्पादकता एवं कम उत्पादकता के कारण एवं निवारण

पशुओं में अनु उत्पादकता एवं कम उत्पादकता के लिए निम्नलिखित कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं: – संरचनात्मक विकार रोगों के कारण उत्पन्न विकार हार्मोनल विकार पोषण से संबंधित विकार आकस्मिक >>>

पशुओं की बीमारियाँ

भैसों में सफ़ेद दाग (ल्यूकोडर्मा)

पशुधन का भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान हैं जिनमे भैंसों का एक विशेष स्थान है। विश्व के सम्पूर्ण भैंसों की संख्या का आधा हिस्सा भारत में पाई जाती हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में एसपाईरेट्री/ ड्रेंचिंग न्यूमोनिया: कारण एवं निवारण

अपने देश भारत में पशुओं की छोटी बड़ी बीमारियों में पशु पालकों द्वारा बांस की नाल, रबड़ की नली, लकड़ी या कांच की बोतल इत्यादि के द्वारा देसी दवाइयां पिलाना एक आम बात है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कवक जनित थनैला के कारण एवं निवारण

थनैला रोग मुख्य रूप से जीवाणु जनित होता है परंतु भारत में  कभी-कभी गाय एवं भैंस मैं कवक के द्वारा भी थनैला रोग हो जाता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली पशुजन्य/ जूनोटिक बीमारियों से बचाव हेतु “जैव सुरक्षा उपाय”

एवियन इनफ्लुएंजा/ बर्ड फ्लू स्वाइन फ्लू एवं रेबीज इत्यादि विभिन्न ऐसे संक्रामक रोग है जो कि पशुओं से मनुष्यों में फैलते हैं इस प्रकार से पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों को पशु जन्य रोग या जूनोटिक रोग कहते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

थनैला रोग के कारण, लक्षण एवं बचाव

थनैला दुधारू गाय, भैंस एवं बकरी के अयन की एक मुख्य संक्रामक बीमारी है। जिन देशों में डेरी व्यवसाय बहुत उन्नतशील होता है वहां इस रोग से अधिक हानि होती है। >>>

पशुपालन

पशुओं की विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण के सामान्य सिद्धांत

पशु समूह से बीमार पशु को अलग रखकर उसकी चिकित्सा एवं देखभाल करनी चाहिए। इन बीमार पशुओं के लिए अलग से परिचर हो तो अधिक उत्तम होगा अन्यथा की स्थिति में पहले स्वस्थ पशुओं की देखभाल करने के पश्चात बीमार पशु की देखभाल करनी चाहिए। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में ट्रिपेनोसोमेएसिस/सर्रा के लक्षण, उपचार एवं बचाव

यह लगभग सभी पशुओं में पाया जाने वाला अति गंभीर संक्रामक रोग है। जो ट्रिपैनोसोमा इवेनसाई नामक प्रोटोजोआ के कारण फैलता है। इस रोग में रोगी को तीव्र बुखार, रक्ताल्पता अर्थात एनीमिया व पशु शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

एकटिनोमाइकोसिस/ लंपी जबड़ा/ रे फंगस बीमारी

यह मुख्य रूप से गाय व सूअरों अब तो एवं कुत्तों में जीवाणु  जनित रोग है इसके अतिरिक्त  मनुष्यों में भी पाया जाने वाला संक्रामक रोग है। जंगली पशु तथा भेड़ इससे बहुत कम प्रभावित होते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में बाह्य परजीवी रोगों का उपचार एवं रोकथाम

भारत देश दुग्ध उत्पादन में विगत कई वर्षों से विश्व में प्रथम स्थान पर है परंतु हमारे देश में प्रति पशु उत्पादकता अत्याधिक न्यून है। किसी भी पशु की उत्पादकता को कायम रखने के लिए उसका स्वस्थ होना अपरिहार्य है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के पाचन तंत्र संबंधी रोग

बदले हुए मौसम में चारे तथा अन्य घासों की उपलब्धि एवं उनके प्रकार पर अपच का होना निर्भर है । यदि अधिक अम्लीय या अधिक क्षारीय गुण वाले चारे खिलाये जाए तो अपच हो जाता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशु रोगों के घरेलु उपचार

जन एवं पशु स्वास्थ्य और रोगाणुरोधी पर्यायवरण को ध्यान में रखते हुए, यहाँ पर कुछ घरेलु नुस्खे दिये जा रहे हैं जिनका उपयोग पशुओं में शोथ, शोफ, बुखार होने पर किया जा सकता है ताकि बेवजह पशुओं को एंटीबायोटिक्स, दर्दनिवारक दवाओं के प्रकोप से बचाया सके। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

बांझपन की समस्या/ पशुओं के ना ठहरने के कारण व उपाय

पशुपालकों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है पशु का रिपीट होना या ग्याभन ना होना। अगर एक बार पशु ग्याभन नहीं होता मतलब 21 दिन बाद ही वो ग्याभन होगा और बियाने का वक्त और लम्बा हो जाएगा और दूध तभी मिलेगा जब पशु बच्चा देगी। >>>