पशुपोषण

पशुओं के लिए आहार संतुलन कार्यक्रम द्वारा पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना

सामान्यत: पशुओं को दिए जाने वाले आहार में एक या एक से अधिक स्थानीय रूप से उपलब्ध सांद्र मिश्रण या कंसंट्रेट, पशु खाद्य पदार्थ, घास एवं सूखा चारा होता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होने वाला अफारा एवं उससे बचाव

अफारा या पेट फूलने या फुगारे की समस्या रोमांथी पशु जैसे कि गाय, भैंस, बकरी, भेड़ इत्यादि में आजकल प्रायः देखने में आती है। रोमांथी पशु या जुगाली करने वाले पशुओं का पेट चार भागों में विभाजित होता है, 1. रूमन 2. रेटिकुलम 3. ओमेसम 4.अबोमेसम। >>>

पशुपालन समाचार

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने “कामधेनु दीपावली अभियान” मनाने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) ने इस साल दीपावली त्योहार के अवसर पर “कामधेनु दीपावली अभियान” मनाने का अभियान शुरू किया है। >>>

पशुपालन

बांझ / अनुउर्वर गायों को दूध देने योग्य बनाने की वैज्ञानिक तकनीक

अनेक वैज्ञानिक शोध से यह ज्ञात हुआ है कि पशुओं के बिना बच्चा दिए उनसे दूध लिया जा सकता है और यह इस समस्या का समाधान हो सकता है। यह उपचार उन गायों में कामयाब है जो कि कम से कम एक बार बच्चा दे चुकी हो जिससे उनका अयन पूरी तरह से विकसित हो। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

थनैला रोग एवं इससे बचाव

थनैला रोग के कारण पशुओं के दुग्ध उत्पादन तथा दुग्ध वसा में कमी आ जाती है साथ ही साथ पशुओं को अनुउत्पादक भी बना देता है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव डेरी उद्योग पर पड़ रहा है। >>>

पशुपालन

भारतीय एवं यूरोपियन गायों में तुलनात्मक अंतर

आज की गाय एक जंगली प्राणी के रूप में मानव निर्माण के करोड़ों वर्ष पूर्व प्रकृति में विकसित हुई है। भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाने वाली देशी गाय और यूरोप की जर्सी, हॉलस्टीन इत्यादि, गायों का मूल 1.5 लाख साल पहले एक ही था >>>

डेरी पालन

डेयरी व्यवसाय का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन

डेयरी व्यवसाय की सफलता मुख्यता दुधारू पशुओं पर निर्भर करती है। इसलिए दुधारू पशुओं का रखरखाव उनका निवास स्थान, खानपान एवं स्वास्थ्य प्रबंधन समुचित होना चाहिए >>>

डेरी पालन

अमृततुल्य दूध: ए1 और ए2 दूध के मिथक और तथ्य

ए1 और ए2 दूध क्या है? ए1 बीटा-कैसिन दूध में 67वें स्थान पर हिस्टडीन एमीनो एसिड होता है जबकि ए2 दूध में उस स्थान में प्रोलिन होता है। इन्ही दोनों अणुओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति के कारण विश्व व्यापी तर्क-वितर्क चल रहा है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुपालक भी समझें पशुओं के मौलिक स्वास्थ्य निरीक्षण का महत्व

स्वस्थ पशुधन, पशुपालक की खुशहाली का प्रतीक है। सभी पशुपालक चाहते हैं कि उनका पशुधन स्वस्थ रहे ताकि उनका पशुधन निरोगी रहे और रोगों पर खर्च होने वाले धन को कम किया जा सके। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय भैसों में रिपीट ब्रीड़ींग की समस्या: कारण व निवारण

भारतीय कृषकों की आय के प्रमुख स्रोत खेती व पशु उत्पाद, मुख्यतः दुग्ध है। अतः पर्याप्त आय हेतु उच्च खेती के साथ रोग मुक्त पशुधन भी आवश्यक है। गोपशुओं की दुग्ध अत्पादकता व अन्ततः कृषक आय प्रभावित होने पर दुग्ध उत्पादकता व अन्ततः कृषक आय प्रभावित होती है। >>>

डेरी पालन

गाय की स्वदेशी नस्लों के संरक्षण, संवर्धन एवं सतत विकास का सशक्त माध्यम बन सकती हैं गौशालाए

गौ माता मातृशक्ति की साक्षात प्रतिमा है। जिस दिन विश्व में गायें नहीं रहेंगी उस >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओं में बढ़ती बांझपन की समस्या एवं उसका समुचित प्रबंधन

दुधारू पशु हमारे गांव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है वे वास्तव में गांव की तरक्की की कुंजी है। पशुपालक भाइयों के लिए पशुधन से बड़ा कोई धन नहीं होता है। पशुपालन पशुपालकों की आमदनी और रोजगार का विश्वस्त माध्यम है। >>>

पशुपालन

पशुओं की देखभाल में बरते जाने वाली विशेष सावधानियां (वर्षा ऋतु में)

बरसात के मौसम में हमें अपने पशुओ का खास/विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मौसम में एक तरफ जहाँ हमें तथा हमारे पशुओ को गर्मी से राहत मिलती है, वही दूसरी तरफ इस मौसम में पशुओ के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम मे वातावरण में अधिक आर्द्रता तथा तापमान में उतार चढ़ाव के कारण पशुओ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। >>>