पशुओं में होनें वाले रूमन अम्लीयता रोग एवं उससे बचाव
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होनें वाले रूमन अम्लीयता रोग एवं उससे बचाव

रूमन अम्लीयता यह रोमन्थी पशुओं का वह रोग है जो कि उन पदार्थो के अधिक मात्रा में खाने से होता है जिसमें बहुत ज्यादा कार्बोहाइड्रेट सर्करा पाया जाता है। यह स्थिति मुख्यतः किसी किसी त्योहार या समारोह >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ में जैव उत्तेजना एक प्रजनन क्षमता बढ़ाने का प्राकृतिक माध्यम

एक दुग्ध व्यवसाय की आर्थिक सफलता पशुओ के उत्पादक और प्रजनन प्रदर्शन से निर्धारित होती है। लैंगिक परिपक्कता, विलंबितयौन परिपक्वता, कम गर्भधारण दर >>>

पशुओं की बीमारियाँ

ममीभूत गर्भ (मरा व सूखा हुआ बच्चा) दुधारू पशुओं में गर्भावस्था की एक विषम समस्या

ममीफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा गर्भाशय में बच्चा मर कर सूख जाता है तथा इसे ममीभूत गर्भ कहते हैं। ऐसा प्रायः गायों में अधिक होता है। इसमें बच्चा गर्भावस्था के पूरे समय तक जीवित नहीं रह पाता >>>

हरा अजोला दुधारू पशुओं के लिए एक वरदान
पशुपोषण

हरा अजोला दुधारू पशुओं के लिए एक वरदान

परिचय भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ अधिकतर जनसंख्या खेती आधारित व्यवसाय करती है। मिश्रित खेती के रूप में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते है। परन्तु पशुओं को साल भर हरा चारा नहीं मिल पाता है। इस >>>

पशुपालन

डेयरी पशुओं में शुष्क काल प्रबंधन का महत्व

ब्यॉंत के 60 दिन पूर्व का समय शुष्क काल अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है इसमें पशु खुद को अगले दुग्ध उत्पादन के लिए तैयार करता है। दुग्ध काल के विपरीत शुष्क काल के अंतर्गत दीर्घ प्रकाश अवधि का प्रभाव एकदम >>>

पशुपालन

पशुपालन में व्यापक मिथक एवं तथ्य

भारतीय समाज में अंधविश्वास बहुत आम है, और गांवों में इस तरह की प्रथाएं अशिक्षा, सामान्य समझ और वैज्ञानिक जागरूकता की कमी के कारण अधिक प्रचलित हैं। पशुपालन में सदियों पुरानी मिथ्याएँ मौजूद हैं, जो >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियां

पशुओं के अंतिम तीन महीने तथा प्रसव काल की अवधि जोखिम भरी होती है, इसलिए पशुपालकों को पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियों की जानकारी होना अति आवश्यक है ताकि संभावित जोखिमों को टाला >>>

पशुओं में गर्भपात के प्रमुख कारण एवं निवारण
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में गर्भपात के प्रमुख कारण एवं निवारण

पशुओं में गर्भपात की समस्या पशुपालकों की अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी नकारात्मक प्रभाव डालती है जैसे- भविष्य की पीढ़ी की हानि, 2 बच्चों के जन्म के मध्य अधिक समय >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय एवं भैंस में मसृणित गर्भ की पहचान एवं उपचार

गाय एवं भैंसों में अधिकांशत गर्भावस्था के 4 से 6 महीने के बाद बच्चे की मृत्यु हो जाती है तथा जीवाणु या विषाणु का संक्रमण हो जाने से बच्चे का शरीर धीरे धीरे सड़ता या पचता रहता है इसे बच्चे का मेसीर >>>

पशुओं की बीमारियाँ

ब्याने के बाद दुधारू पशुओं में होने वाली मुख्य उत्पादक बीमारियां/ चपापचई रोग

बहुधा पशु ब्याने के वक्त बिल्कुल निरोग होता है एवं ब्याने की प्रक्रिया में भी कोई मुश्किल नहीं होती परंतु रक्त में किसी खास तत्व की कमी आने से वह पशु बीमारी के लक्षण प्रकट करने लगता है। >>>

पशुपोषण

अधिक उत्पादन हेतु पशुओं को आहार एवं जल/ पानी देने के नियम

सामान्यता एक वयस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15 से 20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। फलीदार और बिना फलीदार हरे चारे को समान अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। >>>

डेरी पालन

वाणिज्यिक खेती को प्रभावित करने वाले कारक

भारत में, आज की अवधि महानगरों और बड़े शहरों के शहरी और पेरी-शहरी क्षेत्रों में वाणिज्यिक डेयरी फार्मों की बढ़ती संख्या के रूप में उभर रही है। >>>

पशुपालन

बच्चा देने के बाद मादा पशु की देखभाल

जो मादा पशु पहली बार बच्चा दे रहा है अर्थात ओसर में पहली बार बच्चा देने पर अयन में एडिमा होने से तनाव आ जाता है और दूध नहीं उतरता है। इस स्थिति में एक बार >>>

मार्च फाल्गुन माह में पशुपालन कार्यों का विवरण
पशुपालन

मार्च/ फाल्गुन माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

मार्च/ फाल्गुन पशुशाला की सफाई व पुताई करें। नर पशुओं का बधियाकरण कराएं। खेतों में चरी सूडान तथा लोबिया की बुवाई करें। गाय भैंस व बकरी का क्रय करें। मौसम में परिवर्तन से पशुओं का बचाव करें। >>>