कृषि मंत्रणा परियोजना के अंतर्गत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना (बिहार) में दो दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजना किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी देते हुए बताया की कृषि मंत्रणा परियोजना भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है जिसमे आम जन के लिए पशुओं के स्वास्थ्य, आहार एवं पशु–कृषि संबंधित बीमारियों की विस्तृत जानकारी हिन्दी, बंगला आदि क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध करायी जा रही है, जो कि उनके लिए लाभदायक है।
संबंधित परियोजना का संचालन सीडैक नोएडा, सीडैक कोलकाता, बिहार पशु विज्ञान विवि पटना एवं बिरसा कृषि विवि रांची के द्वारा किया जा रहा है। संस्थान द्वारा कृषकों को बताया गया कि कृषि एवं पशुपालन से संबंधित किसी भी तरह की समस्याओं की जानकारी संबंधित संगणक आधुनिक एप्लिकेशन के द्वारा प्राप्त कर सकेंगे। यह प्रणाली 24 घंटे कार्य करेगी। कार्यशाला में बिहार पशु विज्ञान विवि पटना द्वारा किसानोपयोगी सेवाओं, बहुभाषी पोर्टल, यू–ट्यूब चैनल, मौसम से संबंधित एप्लिकेशन आदि से अवगत कराया गया। इस दौरान किसानों ने पदाधिकारियों को अपनी–अपनी समस्याओं से अवगत कराया।
इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों द्वारा पशु चिकित्सा एवं पशुपालन के समस्याओं के समाधान हेतु नवीनतम ज्ञान एवं सूचना तकनीक के अनुप्रयोग की जानकारी प्राप्त की। कार्यशाला में पशुओं के आपातकालीन प्रबंधन हेतु अर्ली वार्निंग सिस्टम तथा अन्य सूचना संकेतों का अभ्यास किया। विश्वविद्यालय के आई० टी० कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी श्री सत्या कुमार ने किसानों केा एंड्रॉयड फोन के माध्यम से सी–डैक नोएडा एवं कोलकाता द्वारा विकसित एप के माध्यम से पशुपालन एवं कृषि संबंधित प्रश्नोत्तरी तथा मानव ध्वनि रिकार्डिंगस का अभ्यास कराया।
कृषि मंत्रणा परियोजना के प्रभारी डॉ. पंकज कुमार ने बताया की यह भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी शोध परियोजना है। जिसके प्रथम चरण में सी–डैक नोएडॉ के सहयोग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मल्टी मॉडल डायलॉग हेतु एप के निर्माण का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है, तथा द्वितीय चरण में इसका परीक्षण विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के ध्वनि पहचान द्वारा किया जा रहा है। तथा इसके सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। कार्यशाला में किसानों ने बताया कि यह उनके लिए लाभकारी होगा। निदेशक शोध डॉ. रविन्द्र कुमार ने बताया की इस योजना से सुदूरवर्ती क्षेत्रों के पशुपालकों एवं युवाओं को काफी लाभ होगा तथा उनका पशु चिकित्सा एवं परामर्श पर होने वाला व्यय एवं समय दोनो की बचत होगी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ, डॉ. सरोज कुमार, डॉ. पुष्पेन्द्र कुमार सिहं, डॉ. बिपीन कुमार सिहं तथा परियोजना के वाई.पी डॉ. प्रभात शंकर ने अपने विचार रखे।
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