पशु पोषण में सबसे जरूरी तत्व है पशुओं के लिए पौष्टिक एवं संतुलित आहार की व्यवस्था। हमारे देश में हरे चारे व अच्छे दाने मिश्रण की बहुत कमी है, इसलिए फसल अवशेष ही मुख्यतः आहार के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। सभी फसल अवशेषों में नाईट्रोजन व खनिज की मात्रा कम होती है। लिग्निन के कारण इन चारों में उपलब्ध कार्बोहाइड्रेट का उपयोग भी पशु नहीं कर पाते हैं फसल अवशेषों की इस कमी को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों ने विगत में बहुत प्रयास किये हैं। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान व अन्य संस्थानों के प्रयोगों से यह सिद्ध हो गया है कि सूखे चारे के साथ यूरिया, खनिज शीरा पिंड मिलाकर खिलाने से पशुओं की रख रखाव की आवश्यकता पूरी हो जाती है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने तो बड़े पैमाने पर बनाना भी शुरू कर दिया है जिसे खरीद कर अपने पशुओं को खिला सकते हैं। यूरिया, शीरा, पिंड खिलाने से फसल अवशेष व अन्य सूखे चारे को पशु अधिक खाते हैं ओर इसे पशुओं की प्रोटीन, उर्जा व खनिज की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
यूरिया, शीरा, खनिज पिंड किन जानवरों के लिए
कई अनुसंधान संस्थानों में वैज्ञानिकों के प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि बढ़ने वाले जानवरों में इस पिंड को खिलाने से उनकी वृद्धि पर कोई फर्क नही पड़ता। उल्टा आज की मंहगाई के जमाने में जहां हमें छोटे कटड़े, कटड़ियों के लिए जो महंगा दाना मिश्रण देना पड़ता है उसको हम यूरिया, शीरा, पिंड खिलाकर करीब 40 प्रतिशत तक बचा सकते हैं
दूध देने वाले पशुओं की किसान भाई अधिक देखभाल करते हैं और उनको अच्छे से अच्छा चारा व दाना मिश्रण खिलाते हैं। हमारे संस्थान व राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के प्रयोगों द्वारा ये प्रमाणित हो गया है कि दुधारू पशओं में दाना मिश्रण 25 प्रतिशत तक ये यूरिया, शीरा पिंड देकर बचाया जा सकता है। इस प्रकार महंगा दाना मिश्रण खिलाने से जो खर्च आयेगा उसको काफी हद तक कम किया जा सकता है। सूखे जानवर (जो दूध न देते हों) व बैल इत्यादि को भी किसान भाई सूखे चारे के साथ यूरिया, शीरा, खनिज पिंड खिलाकर अच्छी तरह रख सकते हैं। इस तरह ये पशु जो भविष्य में जाकर फिर दूध देंगें उनको कमजोर होने से बचाया जा सकता है।
यूरिया, शीरा, खनिज पिंड बनाने की विधि
यूरिया, शीरा, खनिज पिंड की संरचना नीचे तालिका में दी गई है। इसके एक अवयव बिनौले व मूंगफली की खल की जगह दूसरी खली भी प्रयोग की जा सकती है। पिंड को बचाने के लिए शीरे को गर्म करके उसमें यूरिया कैल्साइट पाऊडर और बेन्टोनाइट अच्छी तरह मिला लें। जब मिश्रण उबलने लगे तब खनिज मिश्रण व खली इत्यादि को डालकर 10 मिनट मिलाते रहें। इसको अब थोड़ा सा ठंडा करके उचित आकार के सांचें में डालकर ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद इसी सांचें या और बर्तन में पशु को चाटने के लिए रख दें। इस पिंड को बनाने की एक दूसरी विधि जिसमें गर्म करने की आवश्यकता नहीं होती। इस विधि में केवल केल्साइट पाऊडर की जगह चूने (कैल्शियम आक्साईड) को मिलाया जाता है। चूने के मिलाने से जो गर्मी पैदा होती है उससे सारा मिश्रण आधे तरल पदार्थ में बदल जाता है, इसको सांचें में डालकर ठंडा किया जाता है।
पिंड की संरचना
सामग्री 100 कि. मिश्रण में कितना किलो
- शीरा-45
- यूरिया-15
- खनिज मिश्रण-15
- कैल्साईट पाऊडर-4
- नमक-8
- सोडियम बैन्टोनाईट-3
- बिनौले या मूंगफली या अन्य खली-10
अतः जहाँ किसानो के पास हरे चारे की कमी है वहां सूखे चारे व फसल अवशेषों के साथ यूरिया, शीरा, खनिज पिंड खिलाना किसानों के लिए लाभदायक हो सकता है। अन्य खल जैसे की सरसों, सूरजमुखी या सोयाबीन की खल जिसमें 6-7 प्रतिशत तेल ही उपयोग में लाई जा सकती है।
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