मधुमेह सामान्य रूप से कुत्तों में अधिक पाया जाता है, लेकिन आजकल बिल्लियों में भी यह बीमारी पाई जाने लगी है। पैकेट पशु आहार इसके लिए अधिक जिम्मेवार है। पालतू पशुओं में मधुमेह का प्रमुख लक्षण यह है कि प्रारंभिक स्तर पर पशु अधिक पानी पीते हैं और पेशाब कम करते हैं। वे अधिक खाना खाते हैं लेकिन उनका वजन घटता जाता है इस बीमारी के बढ़ते ही पशु में उबकाई का आना,कमजोरी का बढ़ जाना, नाखूनों का गिरना, स्वास् से बदबू का आना,शरीर में द्रव्य पदार्थ की कमी होना, आलसी होना और कभी कभी बेहोश हो जाना आम बात है। प्रयोगशाला के परीक्षण से पता चलता है कि ऐसे रोगी पशु में रक्त शर्करा की मात्रा अधिक होती है तथा उनके पेशाब ने भी शर्करा और एसीटोन पाया जाता है। रोगी पशु के बार बार पेशाब करने में उनके शरीर से पोषण तथा विटामिन्स और मिनरल्स भी बाहर निकल जाता है। शारीरिक शर्करा को वह पचा नहीं पाता इसलिए अधिक खाना खाने के बावजूद भी वह कुपोषण का शिकार हो जाया करता है।
मधुमेह पैक्रिया ग्रंथी के श्राव के असंतुलन होने के कारण होता है। मधुमेह के साथ साथ और कई बीमारियों का शिकार भी पशु हो जाया करता है। उनमें प्रमुख है आंखो का कैट्रेक्ट,लिवर और किडनी का रोग,हृदय और रक्तवाहिनी नाडि़यों का रोग मोटापा आंख के रेटिना में सूजन का आना,दाद-दिनाय का होना मूत्र नली का संक्रमण त्वचा का संक्रमण आदि। इन बीमारियों को मधुमेह के रोगी पशु को उपयुक्त पोषण देकर और रक्त शर्करा को कम कर रोका जा सकता है।
सम्पूर्ण पशु चिकित्सा विधियों से इलाज कराने के बाद बाहर से इंसुलिन लेने की या तो आवश्यकता नहीं पड़ती या बहुत कम उसे लेने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए पशु को आहार के साथ उपयुक्त मात्रा में पोषण दें पशु को तनावपूर्ण वातावरण से मुक्त रखें। नियम से समय पर पशु को प्रतिदिन खाना दे और उसे व्यायाम कराए पशु को संपूर्ण चिकित्सा पर धीरे धीरे निर्भर होने दें पशु को अगर इंसुलिन दिया जाता रहा है तो उसे याकायाक बंद ना करें।
पालतू पशु को घर का बना प्राकृतिक पशु आहार थे और उसके साथ उपयुक्त मात्रा में पोषण भी दें। पशु को एक चौथाई कप वनस्पति का तेल और एक चौथाई कप कॉड लिवर आयल ही प्रतिदिन दें और उसके साथ उपयुक्त मात्रा में विटामिन ई दें। अन्न में चावल,गेहूं,जौ व पकाकर और सब्जियों मे हरे बीन,हरा सरसों का साग, अलफाफा, धनिया,प्याज और लहसुन दे। अन्न पकाकर और साग सब्जियों को कच्चा ही खिलाएं। गाजर,खीरा अंकुरित अन्न भी कच्चा ही दे। रोगी पशु को कभी चिनी या संरक्षित आहार न दें।
मधुमेह के रोगी पशुओं के लिए क्रोमियम,जिंक और मैग्नीज खनीज द्रव्य देना आवश्यक है क्योंकि यह रक्त शर्करा को संतुलित करता है। कुत्तों में फैटी एसिड और मैग्नीशियम भी दे सकते हैं।
विटामिन बी 10 से 20 एमजी देने से बाहर से इंसुलिन लेने की आवश्यकता में कमी लाता है या इसके स्थान पर मल्टी विटामिन गोली कम पोटेंसी का प्रयोग करें। इसके साथ बी-6 देने से वह रक्तवाहिनी नाड़ियों के रोग को दूर करता है। विटामिन ई की दोगुनी मात्रा,विटामिन सी 500 से 3000 एमजी और तरल लेसिथिन आधा चम्मच प्रतिदिन दे। कच्चा कलेजी देना मधुमेह पशु के लिए अच्छा होता है।
पशुओं में मधुमेह के होम्योपैथी चिकित्सा में “सीजिगम” नामक दवा का उपयोग किया जाता है। अगर पशु मोटा,आलसी और कमजोर है तो उसे “कारवो एनीमालीस” या “कारवो वेज” दीजिए। अगर पशु की त्वचा अधिक सूखी हो तो उसे ‘सेना” “सीजीगीयम’ के साथ दीजिए। अगर पशु में मधुमेह के साथ त्वचा रोग हो, हड्डियों कमजोर हो द्रव्य की कमी हो तो यूरेनियम नीटीकम दीजिए।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
Be the first to comment