सर्दियों में पशुओं का समुचित प्रबंधन

4.8
(450)

सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाना अत्यावश्यक है। यदि पशु को ठंडी हवा व धुंध/ कोहरा से बचाव का समुचित प्रबंध ना हो तो पशु बीमार पड़ जाते हैं जिससे उनके उत्पादन में तो गिरावट आती ही है साथ ही साथ पशु न्यूमोनिया जैसे रोगों के कारण मृत्यु को भी प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वह अपने पशुओं का सर्दी के मौसम में विशेष ध्यान रखें तथा उन्हें सर्दी से बचाने के निम्नलिखित उपाय करें:

  1. पशुशाला के दरवाजे खिड़कियां वह अन्य खुले स्थान पर रात के समय बोरी, त्रिपाल व टाट को टांगना चाहिए जिससे पशुओं को सीधी ठंडी हवा से बचाया जा सके।
  2. रात के समय पर पशुशाला के फर्श पर पराली या भूसा को बिछाए जिससे फर्श से सीधी ठंड पशुओं को न लगे।
  3. पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए जिससे पशुओं का मूत्र बहकर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे।
  4. पशुओं को दिन के समय धूप में छोड़ें इससे पशुशाला का फर्श अथवा जमीन सूख जाएगा तथा पशु को गर्माहट भी मिलेगी।
  5. पशु को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाएं जो अधिक ठंडा ना हो।
  6. नवजात बच्चों वह बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरी या तिरपाल से ढक दें तथा सुबह धूप निकलने पर हटा दें।
  7. पशुओं को हरे चारे विशेषकर बरसीम के साथ तूड़ी अथवा भूसा मिलाकर खिलाएं। रात के समय में पशुओं को सूखा चारा आहार के रूप में उपलब्ध कराएं।

Buffalo Farm

समुचित आहार व्यवस्था

पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार संतुलित आहार खिलाना चाहिए। पशुओं को हरा चारा समुचित मात्रा में उपलब्ध कराएं तथा 25 से 50  ग्राम खनिज मिश्रण एवं नमक भी चारे के साथ अवश्य देना चाहिए।

पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा

पशुओं को समय-समय पर रोग निरोधक टीके लगवाएं। बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें तथा किसी अच्छे पशु चिकित्सक द्वारा इलाज कराएं। पशुओं को आंतरिक परजीवीयों से बचाने के लिए समय-समय पर पशु चिकित्सक की सलाह पर क्रमी नाशक औषधि देनी चाहिए। बाहरी परजीवीओं जैसे मच्छर, मक्खी, जुएं, किलनी अर्थात कलीली आदि की रोकथाम के लिए पशुशाला की सफाई के साथ-साथ पशु चिकित्सक के परामर्श पर एंटीसेप्टिक, एंटीमाइक्रोबॉयल दवाइयों का छिड़काव करें।

पशुशाला की सफाई व्यवस्था

स्वास्थ्य प्रद दुग्ध उत्पादन हेतु पशु एक आधारभूत आवश्यक इकाई है। यदि आपका पशु स्वस्थ होगा तो दूध का उत्पादन भी अधिक होगा तथा उसमें पर सूजन लोगों के जीवाणु अथवा विषाणु होने की संभावना भी अत्यंत न्यून होगी। इसके लिए पशुपालकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य की जांच नियमित रूप से पशु चिकित्सक द्वारा कराते रहें। अक्सर दुधारू पशुओं में थनैला रोग की संभावना अधिक रहती है अतः उन्हें इस रोग से बचाने के लिए उनकी आवास व्यवस्था एवं प्रबंधन पर समुचित ध्यान दें। दूध निकालते समय पशु के दूध की कुछ बूंदों के परीक्षण से थनैला रोग की पहचान की जा सकती है। यदि दूध में रक्त मवाद या थ थक्के इत्यादि हो तो पशु को थनैला रोग हो सकता है। थनैला रोग से ग्रस्त पशु को अन्य पशुओं से अलग कर योग्य पशु चिकित्सक से उपचार कराएं एवं पशु के ठीक होने तक उसके दूध का प्रयोग ना करें। दारू पशु का स्वास्थ्य अच्छा होने के साथ-साथ उसका स्वच्छ होना भी नितांत आवश्यक है। दूध में अक्सर पशु के शरीर से मिट्टी गोबर व बालों के गिरने की संभावना बनी रहती है। इसके लिए पशुपालक भाइयों को दूध धोने से पहले अपने पशु की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए। इसके लिए यह दुधारू पशु गाय हैं तो नियमित रूप से खरहरा करें ताकि मृत बाल व अन्य गंदगी शरीर से बाहर निकल जाए। इसके पश्चात दूध धोने से पूर्व गीले कपड़े से साफ कर देना चाहिए। दूध धोने के समय पशु के  थनो एवं आयन को कीटाणु नाशक गोल जैसे पोटेशियम परमैंगनेट1:1000 के घोल से धोकर किसी साफ कपड़े से अच्छी तरह से सुखा लें। दूध देने के उपरांत भी थन को भलीभांति कीटाणु नाशक गोल से भीगे कपड़े से पूछ देना चाहिए ताकि थनों में लगी दूध की बूंदे साफ हो जाए जिससे पशुओं में थनैला रोग होने की संभावना कम हो जाएगी।

और देखें :  पशुओं में जल का महत्व

अतः पशुपालकों को पशु घर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गोबर व अन्य ठोस पदार्थ पशुशाला से दिन में कम से कम 2 बार हटाने चाहिए तथा सप्ताह में कम से कम एक बार फिनाइल के घोल से पशु आवास के फर्श की और दीवालों की सफाई करनी चाहिए।

और देखें :  डेयरी व्यवसाय के वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन द्वारा दुग्ध उत्पादन में आशातीत वृद्धि करें

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.8 ⭐ (450 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*