राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग के क्षेत्र में एक और नया इतिहास रचा है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहली बार भैंस की पूंछ के टुकड़े से क्लोन काफ पैदा करने में सफलता हासिल की है। 2009 से लेकर अब तक एनडीआरआई 11 क्लोन काफ पैदा कर चुका है जिनमे 7 मेल काफ व 4 फीमेल काफ शामिल हैं।क्लोनिंग में एक के बाद एक सफलता से देश में आने वाले समय में दूध उत्पादन दोगुना होने की संभावना है। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी। केंद्र सरकार द्वारा अप्रूवल मिलने के बाद यह तकनीक किसानों तक पहुंचेगी।
करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान संस्थान के निदेशक डॉ. एम एस चौहान ने बताया कि यह क्लोनिंग के क्षेत्र में एक और नई सफलता है। उनकी रिसर्च सही दिशा में आगे बढ़ रही है। डॉ. चौहान ने कहा कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में पशुपालन का अहम स्थान है। भैंस का कुल दूध उत्पादन में लगभग 50% का योगदान है और यह किसानों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा की किसानों की आय को दोगुना करने में पशुपालन एक अहम भूमिका निभा सकता है। उनके द्वारा क्लोनिंग किए गए पशुओं के सीमन से दूध उत्पादन दोगुना हो सकता है।
डॉ. चौहान ने बताया कि गणतंत्र दिवस पर पैदा होने के बाद से नर बछड़े का नाम ‘गणतंत्र’ रखा गया है, जबकि मादा बछड़े का नाम ‘कर्णिका’ (20 दिसंबर को जन्म) शहर करनाल के नाम पर रखा गया है। एनडीआरआई ने 25 से अधिक क्लोन जानवरों को उत्पन्न किया है, जिनमें से 11 अभी भी जीवित हैं। एनडीआरआई के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोज कुमार सिंह के अनुसार, गणतंत्र एक कुलीन बैल का क्लोन है, जबकि कर्णिका को एनडीआरआई की उच्च दुग्ध उत्पादन वाली भैंस की कोशिकाओं से बनाया गया था, जिसने पांचवें स्तनपान में 6,089 किलोग्राम दूध का उत्पादन किया था। बछड़ों का प्रसव नियमित रूप से किया गया और दोनों की हालत ठीक है।
डॉ .मनोज कुमार और कुमारी रिंका का कहना था कि एक क्लोन भैंस से 1 साल में 10 बच्चों का जन्म हो सकता है जो दूध क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने वाली है। यह एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है और अब हम क्लोन किए गए जानवरों की मृत्यु दर को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो 2010 में 1% से बढ़कर लगभग 6% हो गई है। उनका दावा है कि ये क्लोन किए गए जानवर उच्च गुणवत्ता वाले बैल और दूध उत्पादन की आवश्यकता को पूरा करने में सहायता करेंगे। “11 क्लोन जानवरों में से सात नर हैं, और उनमें से तीन शुक्राणु पैदा करने के लिए कार्यरत हैं”
टीम में शामिल पशु वैज्ञानिक डॉ. नरेश ने कहा कि एनडीआरआई में किए गए परीक्षण निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी को किसानों के दरवाजे तक पहुंचने में मदद करेंगे ताकि उनके पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। एनडीआरआई करनाल के निदेशक मनमोहन सिंह चौहान ने कहा, “एनडीआरआई के शोधकर्ताओं के प्रयासों से ना केवल देश में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, बल्कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले वीर्य की आवश्यकता को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
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