उम्मीद बनकर उभरा बिहार वेटनरी कॉलेज का पशु चिकित्सालय
महात्मा गाँधी ने कहा था की ‘किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति सिर्फ इस बात से तय की जा सकती है कि वहां निरीह पशु-पक्षियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है और इसे अमल में लाकर हमारा देश युगों से महान बनता आया है और डॉ. अर्चना जैसी वेटरनरी डॉक्टर के रहते हमारा देश हमेशा महान बना रहेगा। बीते दिन बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में एक ऐसा केस आया जिसे देखकर सभी जगहों के पशुचिकित्सको ने हाथ खड़े कर लिए थे, मगर चाहे पशु हो या मनुष्य अपने प्रिय को बचाने के लिए सभी आखिरी आस तक लड़ते है और ऐसे ही जंग से लड़ते हुए बाजपट्टी, सीतामढ़ी के आशुतोष कुमार अपने लैब्राडोर प्रजाति के कुत्ते डोडो को लेकर बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के शल्य चिकित्सा एवं विकिरण विभाग की डॉ. अर्चना के पास पहुंचे।
क्या है पूरा मामला
लेवराडोर प्रजाति के कुत्ते, उम्र लगभग डेढ़ वर्ष को गोद में उठाए एक व्यक्ति डॉ. अर्चना के कक्ष में प्रवेश करते हुए कहता है मेरे कुत्ते को बचा लिजिए, इसे कैंसर है। कुत्ते के मालिक के द्वारा बताया गया कि कई सिनियर डॉक्टरों से इसका इलाज विगत दो महीनों से कराया जा रहा था। सभी डॉक्टरों ने बताया कि इस कुत्ते को कैंसर है और इसे वहीं बचाया जा सकता है। साथ ही उन्हें सलाह दिया कि यूथेनाइज के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
क्या है यूथेनाइज
इच्छामृत्यु के लिए अंग्रेज़ी शब्द यूथेनेशिया है। इसका मूल यूनानी अर्थ ‘अच्छी मृत्यु’ है। इच्छामृत्यु में कोई पशु को दर्द, असाध्य रोग और पीड़ा से मुक्त होने के लिए उन्हें दिए गए उपचार को नकार कर या उनकी मृत्यु को सक्रिय रूप से (उदाहरणार्थ जहर देकर) सुविधाजनक बनाने के लिए डॉक्टर से सहायता मांग कर स्वेच्छा से मृत्यु दिया जाता है।
वेटरनरी कॉलेज के चिकित्सकों कुत्ते को चंगा किया
डॉ. अर्चना कुमारी ने पूर्व की सारी रिपोर्ट देखि और फिर उन्होंने कमर की हड्डी एवं गर्दन की हड्डी का एक्स-रे करवाया, क्योंकि कुत्ता अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा था तथा खाना पीना छोड़ दिया था। एक्स-रे से पता चला कि उसके कमर की दोनों हड्डी अपने जगह से खिसक गई है जिसे मेडिकल टर्म में हिप डिसप्लेसिया कहते हैं साथ ही गर्दन में सपोनकीसाइटीस भी पाया गया। ब्लड रिपोर्ट में खून की कमी पाई गई। रिपोर्ट के माध्यम से डॉ. अर्चना कुमारी और उनकी टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची की कुत्ते को किसी प्रकार का कैंसर नहीं है और यह इलाज के बाद ठीक हो सकता है। हिप डिस्प्लेसिया के लिए जरुरी ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया, परन्तु उससे पहले कुत्ते के जनरल हेल्थ को दुरुस्त करने की सलाह दी गयी क्योंकि वो बहुत ज्यादा कमजोर हो चूका था, तथा कुत्ते के मालिक को धैर्य रखने को कहा गया। एक महीने के निरंतर उपचार और डॉक्टर के देख-रेख में कुत्ते के जनरल हेल्थ में बहुत सुधार हुआ और वह खाना पीना भी शुरू कर दिया गया। पुनः ब्लड टेस्ट में यह पाया गया कि वह बिल्कुल स्वस्थ है तत्पश्चात डॉ. अर्चना कुमारी ने कमर की हड्डी का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने टीम में विभाग के डॉ. राजेश कुमार एवं डॉ. रमेश तिवारी को शमिल किया एवं सफलतापूर्वक दोनों कमर की हड्डी का ऑपरेशन किया साथ ही मालिक को फिजियोथेरेपी की सलाह दी। आज डोडो पूर्णतः स्वस्थ्य है और अपने पैरों पर दौड़ रहा है।
आज समय की मांग यह है की हर वेटनरी डॉक्टर की सोच डॉ. अर्चना की तरह हो ताकि आने वाले समय में हम जानवरों के प्रति प्रेम, सहानुभूति और उनके प्रति उदारता की भावना को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा सके और उनके हक की हिफाजत कर सके।
वेटनरी कॉलेज में जब लाया गया था
ऑपरेशन के बाद
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