बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना के सोसाइटी फॉर फार्म एंड कंपेनियन एनिमल (एस.पी.एफ.सीए) का “फोस्टरिंग वन हेल्थ फॉर फ़ूड सेफ्टी एंड सिक्यूरिटी थ्रू सस्टेनेबल एनिमल हसबेंडरी एंड एक्वाकल्चर प्रैक्टिस” विषयक दो दिवसीय प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन आज बामेती सभागार में हुआ। सम्मलेन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि, माननीय मंत्री पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार मोहम्मद अफाक आलम, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर एन सरवन कुमार, सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह, निदेशक पशुपालन विजय प्रकाश मीणा, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ, जे.के. प्रसाद, निदेशक बामेती अभांशु जैन सोसाइटी के महासचिव, डॉ. राकेश कुमार और आयोजन सचिव डॉ. कौशल कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
कार्यक्रम का शुरुआत सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ कौशल कुमार, विभागाध्यक्ष व्याधि विज्ञान विभाग बिहार वेटरनरी कॉलेज पटना ने अतिथियों व अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत कर किया। उन्होंने इस दो दिवसीय सम्मेलन के बारे में लोगों को परिचय देते हुए बताया की सम्मेलन के प्रथम दिन 4 टेक्निकल सेशन आयोजित किए गए हैं जिनमें एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस; जूनोटिक डिसीसिस एंड पब्लिक हेल्थ; इमर्जिंग एंड रीइमर्जिंग डिजीज,देयर प्रीवेंटिव कंट्रोल और फूड सेफ्टी एंड सिक्योरिटी शामिल है। सम्मेलन के दूसरे दिन डॉ रामेश्वर सिंह बेस्ट ओरेशन अवॉर्ड सेशन का आयोजन किया गया है साथ ही वन हेल्थ अप्रोच एंड प्रैक्टिसेज पर एक तकनीकी सत्र होंगे। सोसायटी के एग्जीक्यूटिव कमिटी का इलेक्शन पोस्टर सेशन; कृषि,उद्योग और अकादमिक गोष्ठी, सोसाइटी के एनुअल जनरल बॉडी मीटिंग के पश्चात पुरस्कार वितरण समारोह के साथ इस सम्मेलन का समापन शुक्रवार को होगा।
माननीय मंत्री का अभिभाषण
इस अवसर पर मुख्य अतिथि मंत्री पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार मो० अफाक आलम ने कहा की जल्द ही हमारा राज्य पशु उत्पादों के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा। राज्य में दूध, मांस, अंडा तथा मुर्गीउत्पदान में काफी बढ़ोतरी हुईं है साथ ही मत्स्य पालन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है।
पशुओं के लम्पी स्किन डिजीज पर उन्होंने कहा की कोरोना कि तरह पुरे देश में ‘लम्पी बीमारी’ का संक्रमण पशुओं में फैल रहा है, लिहाज़ा किसान चिंतित है लेकिन पशुपालन विभाग, बिहार सरकार ने इस बीमारी के रोकथाम के लिए सतर्कता अभियान चलाया है, जिसका असर साफ़ दिख रहा है।
समेल्लन के विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा की विगत कई वर्षों से हमारे देश में मानव स्वास्थ्य को काफी महत्व दिया जा रहा है। वस्तुतः किसी व्यक्ति का स्वाथ्य कई बातों पर निर्भर करता है जिसमें मानव, पशु और पर्यावरण की अहम् भूमिका होती है। शोध के अनुसार, मनुष्यों को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोगों में से 65% से अधिक रोगों की उत्पत्ति के मुख्य स्रोत जानवर हैं। जानवरों का स्वास्थ्य और पर्यावरण भी मानव स्वास्थ्य का निर्धारण करते हैं। जूनोटिक रोगों की घटना और उभरते जोखिम को कम करने के लिए वन हेल्थ दृष्टिकोण को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। वन हेल्थ के मुद्दे पर पशु चिकित्सकों की भूमिका अहम् है, क्योंकि पशु ‘वन हेल्थ’ का अभिन्न अंग हैं। पशु स्वास्थ्य सेवाओं के सफल क्रियान्वयन से पशुधन का विकास कर ग्रामीण भारत को और समृद्ध किया जा सकता है।
सचिव डॉ. एन सरवन कुमार का अभिभाषण
इस अवसर पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव डॉ. एन. सरवन कुमार ने कहा की ऐसे आयोजन का होते रहना बहुत जरुरी है जिसमे किसान उद्यमी और विश्वविद्यालय के लोगों का समागम हो जिससे इन क्षेत्रों में हो रहे बदलाव और नीति निर्धारण पर स्वस्थ संवाद हो। उन्होंने आगे कहा की देश ने कोरोना जैसी महामारी को देखा है परन्तु अब तक जगे नहीं है, हमें जागना होगा और अपने परिवेश, पर्यावरण और धरती को हर मायने में स्वस्थ बनाने पर पुरजोर कार्य करना होगा। उन्होंने वन हेल्थ बोलते हुए कहा की यह ऐसा क्षेत्र है जिसपर बहुत काम करने की जरुरत है, हम केवल उन बीमारियों पर ध्यान देते है जो पशु से मनुष्यों को संक्रमित करता है परन्तु मनुष्य से पशुओं के संक्रमण पर हमारा ध्यान नहीं है। वन हेल्थ को सुदृढ़ करने के लिए स्वास्थ विभाग, पर्यावरण विभाग, कृषि और पशुपालन को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने आगे कहा की कई ऐसी बीमारिया जन्म ले रही है जो विशेषज्ञों के समझ से परे है, जिसे समझा जाना अति आवश्यक है वर्ण हम सिर्फ पशुओं को दोष देते जायेंगे।
उन्होंने असमय बारिश, सुखाड़ और जलवायु परिवर्तन का मानव जीवन में हो रहे दुष्प्रभाव पर भी अपनी बातें रखी और कहा की पर्यावरण में परिवर्तन नए बीमारियों को जन्म दे रहा है और नयी चुनौतियां पैदा कर रहा है। वन हेल्थ को प्रभावी बनाने में पशुचिकित्सकों को प्रो-एक्टिव मोड में काम करना होगा।
कुलपति का अभिभाषण
कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा की इस सोसाइटी का गठन पेट एनिमल को ध्यान में रखते हुए किया गया है, पेट लवर्स, ब्रीडर्स, पेट्स की इकॉनमी और बिज़नेस में हुई इज़ाफ़ा को देखते हुए कम्पैनियन एनिमल के लिए एक प्लेटफॉर्म का होना आवश्यक था, इनके विकास और समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से बनी यह सोसाइटी पेट्स के बेहतरी के लिए कार्य करेगी। उन्होंने कहा की वन हेल्थ पर वर्षो से अनेकों प्लेटफॉर्म्स पर बात होते आ रही है मगर अब तक इसे एक ठोस मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है। उन्होंने वन हेल्थ के परिपेक्ष्य में फ़ूड सेफ्टी और सिक्योरिटी पर भी अपनी बातें रखी।
डीन बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय का अभिभाषण
इस अवसर पर बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के डीन डॉ. जे.के. प्रसाद ने कहा की मनुष्य, पशु, पर्यावरण सब एक कड़ी में बंधे हुए हैं इसलिए इन सभी के समुचित स्वास्थ्य पर काम होना चाहिए। उन्होंने खाद्य सुरक्षा पर बोलते हुए कहा की हमारे देश में खाद्य की कमी नहीं है परन्तु असंख्य आबादी आज भी खान-पान से वंचित है, इसका सबसे बड़ा कारण खाद्य का सरक्षण न होना है, और खाद्य का संरक्षण न से फ़ूड वेस्टेज की समस्या है और लोग भूखे रह जाते है। उन्होंने आगे कहा की फ़ूड सेफ्टी और सिक्योरिटी में आर्गेनिक फार्मिक का बहुत बड़ा योगदान होगा, बिहार के पडोसी राज्य इस ओर बेहतर कार्य कर रहे है, बिहार इस क्षेत्र में बेहतर कर सकता है इसके लिए मार्केट डेवेलोप करने की जरुरत है।
इस अवसर पर सोसाइटी की और से निदेशक आवासीय निर्देश-सह- अधिष्ठाता स्नातकोत्तर शिक्षा डॉ. वीर सिंह को नेशनल फेलो से सम्मानित किया गया साथ ही डॉ. अंजय, सहायक प्राध्यापक, वेटरनरी पब्लिक हेल्थ विभाग को डॉ. सी.एम सिंह बेस्ट रीसर्चर अवार्ड से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन सोसाइटी के महासचिव, डॉ. राकेश कुमार ने किया।
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