जितना हो सके सीखिए, हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए, काम करते जायेंगे तो संसाधन की पूर्ति भी होते रहेगी। ह्यूमन कैपेसिटी बिल्डिंग होते रहनी चाहिए तभी प्रगति होगी उक्त बाते भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के राष्ट्रीय कृषि उच्चत्तर शिक्षा परियोजना के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. आर. बी. शर्मा ने कहा।
डॉ. शर्मा बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना और राष्ट्रीय कृषि उच्चत्तर शिक्षा परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पशुधन उत्पादन तकनीक पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में बतौर गेस्ट ऑफ़ ऑनर बोल रहे थे, उन्होंने आगे कहा की विश्वविद्यालय के विकास को देखकर काफी प्रसन्नता हुई है, नए और आधुनिक उपकरण से विद्यार्थियों को काफी लाभ मिला रहा है, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के राष्ट्रीय कृषि उच्चत्तर शिक्षा परियोजना के तहत नवीनतम कार्यों का निर्वहन करने में विश्वविद्यालय सफल रही है, समय-समय पर पशुपालन, मत्स्यपालन और कृषि से सम्बंधित अन्य क्षेत्रों से जुड़े प्रशिक्षण, व्याख्यान, संगोष्ठी इत्यादि से विद्यार्थी और शिक्षक लाभान्वित हो रहे है जिसका लाभ आगे चलकर समाज को भी मिलेगा। उन्होंने आगे कहा की राष्ट्रीय कृषि उच्चत्तर शिक्षा परियोजना का उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को कृषि और कृषि सम्बंधित क्षेत्रों के प्रति आकर्षित करना है, ताकि वे इस क्षेत्रों में जुड़कर अपना कैरियर बनाये। उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय छात्रों और विद्यार्थियों को परियोजना के तहत विदेश भेजे ताकि उन्हें इस क्षेत्र में हो रहे नए शोध, तकनीकी विकास और अन्य नवीनतम उन्नति की जानकारी प्राप्त कर सके, साथ ही प्रैक्टिकल हैंड्स ऑन ट्रेनिंग्स अतिआवश्यक है।
कार्यक्रम के शुरुआत में निदेशक अनुसन्धान डॉ रविंद्र कुमार ने सभी का स्वागत किया, उन्होंने विगत वर्ष में राष्ट्रीय कृषि उच्चत्तर शिक्षा परियोजना के तहत हुए प्रशिक्षण, संगोष्ठी, और राष्ट्रीय संस्थानों के साथ हुए समझौता ज्ञापन का रिपोर्ट पेश किया। उन्होंने बताया की वर्तमान में बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के तीन सहायक प्राध्यापक एडवांस ट्रेनिंग के लिए यूनाइटेड स्टेट्स और नूज़ीलैण्ड भेजे गए है, जिनमें एनिमल नुट्रिशन विभाग के डॉ. पंकज कुमार और डॉ कौशलेन्द्र कुमार और पब्लिक हेल्थ विभाग के डॉ. पुरुषोत्तम कौशिक शामिल है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा की कई संस्थानों के साथ मिलकर किसी एक उद्देश्य और रुपरेखा के साथ काम करना बहुत लाभप्रद होता है, जिसके विभिन्न आयाम होते है साथ ही विचारों और ज्ञानों का आदान-प्रदान होता है जिससे हम खुद में क्वालिटी वर्क करने की क्षमता को विकसित करते है। उन्होंने कहा की राष्ट्रीय कृषि उच्चत्तर शिक्षा परियोजना के मदद से विश्वविद्यालय में कई सकारात्मक बदलाव आये है, और मुझे ख़ुशी है की हमारे छात्र नए चीजों, उपकरणों, तकनीक को जानने में, सीखने में विशेष रूचि दिखा रहे है। उन्होंने विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लास रूम के निर्माण के बारे में भी बताया और कहा की सिर्फ स्मार्ट क्लास रूम बनाने मात्र से कुछ नहीं होगा हमें खुद में स्मार्टनेस लाने की जरुरत है।
प्रशिक्षक के तौर पर गुरु अंगददेव वेटरनरी और एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना से आये लाइवस्टॉक प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी विभाग के हेड प्रोफेसर डॉ मनीष चैटली ने लाइवस्टॉक प्रोडक्ट्स पर उद्यमिता विकास पर व्याख्यान दिया, उन्होंने दूध, मीट और अंडा से व्यापर और उनसे किस प्रकार बेहतर आय कमाया जा सकता है इसपर बाते की। राष्ट्रीय डेयरी अनुसन्धान संस्थान, करनाल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एके सिंह ने दुग्ध उत्पादन में हाल के दिनों में आए आधुनिक तकनीकी बदलाव और लाभ पर अपना व्याख्यान पेश किया। इस अवसर पर एक्सपर्ट्स द्वारा विद्यार्थियों को हैंड्स ऑन ट्रेनिंग भी कराया गया जिसमे विशेषज्ञों द्वारा अंडा और मीट को उपयोग कर अभिनव उत्पाद बनाने की तकनीक सिखायी गयी। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के. प्रसाद द्वारा किया गया, कार्यक्रम में डीआरआई-सह-डीन पीजी डॉ वीर सिंह, डॉ रमन त्रिवेदी, कार्यक्रम की संयोजक डॉ. सुषमा, डॉ. गार्गी महापात्रा, डॉ. रोहित जयसवाल सहित बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय और संजय गाँधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।
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