डेयरी पशुओं को किट-पतंगों और मच्छरों से बचाव के लिए तकनीक

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परिचय
वर्षा ऋतु में कीटो पतंगों की संख्या बढ़ने से मनुष्यो और पशुओं को काफी परेशानी होती है। जिससे डेयरी पशुओं का दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। मनुष्यो में अनेको प्रकार के रोग  होने की संभावना होती है। इनसे बचने के लिए अनेको प्रकार के रसायन उपयोग किये  जाते हैं परन्तु अब रसायनो का प्रभाव कम होने लगा हैं। क्योकि इनके प्रति मक्छर और  किट-पतंगे पहले से अधिक प्रतिरोधी हो चुके हैं। इसलिए इन्हें मरना या भागना कठिन हो रहा हैं। पशु-पालको और ग्रामीण इलाकों में इनसे और अधिक परेशानी होती हैं।

मच्छर यानि आपके सिर पर मंडराता बीमारियों का खतरा। बीमारियों से बचना है तो मच्छरों से बचना जरूरी है। लेकिन अगर घर में कॉइल या मॉस्कीटो लिक्विड नहीं है। तब आप क्या करेंगे ? चलिए हम बताते हैं मच्छरों से बचाव के लिए ऐसे कारगर घरेलू उपाय, जो आपकी इस समस्या को तुरंत दूर कर देंगे। यहाँ पर हम सरल घरेलु उपाय की तकनिकी का उपयोग  करके किट-पतंगों और मच्छरों से अपना और पशुओं का बचाव कर सकते हैं । इसके लिए निम्नलिखित पौधों  के पत्तियों और उनके  फूलो को एकत्र करना हैं और उन्हें सूखा लेवें अथवा सुखी हुई पत्तियों और इनके फूलो को एकत्र कर  लेवें।

मच्छर भगाने वाले औषधीय पौधे एवं रासायनिक संघटक

नीम (Azadirachta indica)
नीम एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो नीम के पेड़ से आती है। जिसके अन्य नाम अज़ादिरछा इंडिका और भारतीय बकाइन हैं। इसके कई पारंपरिक उपयोग हैं। नीम अपने कीटनाशक और कीटनाशक गुणों के लिए जाना जाता है। लोग बालों और दंत उत्पादों में भी इसका उपयोग करते हैं। नीम गैर-कीटनाशक प्रबंधन (एनपीएम) में एक महत्वपूर्ण घटक है। जो सिंथेटिक कीटनाशकों का एक प्राकृतिक विकल्प प्रदान करता है। नीम के बीजों को पाउडर  बनाकर, रात भर पानी में भिगोया जाता है और फसल पर छिड़काव किया जाता है। प्रभावी होने के लिए कम से कम हर दस दिनों में इसे बार-बार छिड़काव किया जाना चाहिए। नीम सीधे फसल पर कीड़ों को नहीं मारता है। यह एक एंटी-फीडेंट, विकर्षक और अंडे देने वाली डिटर्जेंट के रूप में कार्य करता है और इस तरह फसल को नुकसान से बचाता है। कीड़े कुछ दिनों के भीतर भूखे मर जाते हैं। नीम अंडों से कीटों की हैचिंग को भी दबा देता है। नीम आधारित उर्वरक कीटों के खिलाफ प्रभाव कारी रहा हैं। नीम केक को अक्सर उर्वरक के रूप में बेचा जाता है। नीम के तेल को एक पारिभाषिक और आर्थिक एजेंट के रूप में दीमक के हमले से बचाव के लिए उपयोग किया जाता हैं। नीम की पत्तियों में क्वेरसेटिन (फ्लेवोनोइड) और निम्बोस्टेरोल (सिटोस्टेरोल) के साथ-साथ लिमिनोइड्स (निंबिन और इसके डेरिवेटिव) पाया जाता हैं। क्वेरसेटिन (पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड) को जीवाणुरोधी और एंटिफंगल गुणों के लिए जाना जाता है। घावों और खुजली के लिए उपचारात्मक गुणों के लिए जिम्मेदार है। निम्मोकिनोलाइड और आइसोनिमोसिनोलाइड जैसे लिमोनोइड्स घर की मक्खियों (मुस्का डोमेस्टिका) को प्रभावित करते हैं। ताजा परिपक्व पत्तियों से एक गंधयुक्त चिपचिपा आवश्यक तेल निकलता है जो कवक (ट्राइकोफाइटन मेन्ताग्रोफाइट्स) के खिलाफ ऐंटिफंगल गतिविधि को प्रदर्शित करता है। सी-14, सी-24, सी-31 एल्कनेस के मिश्रण पत्तियों में पाया जाता हैं जो लार्वा को मरता हैं।

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गेंदा (Tagetes)
गेंदा या मैरीगोल्ड का वनस्पति नाम “Tagetes” है। भारत में गेंदा सबसे अधिक उगाए जाने वाले फूलों में से एक है और विभिन्न रूपों में धार्मिक और सामाजिक कार्यों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यह एक हार्डी, वार्षिक पौधा हैं और किसी भी बगीचे को खुश करने के लिए ये एक महान पौधा कहलाता हैं। टैगेट प्रजाति के विभिन्न भाग को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। जिसमें दंत, पेट, आंत, भावनात्मक और तंत्रिका संबंधी विकार, मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। इसके अलावा, इन पौधों का कृषि के क्षेत्र में उनके कवकनाशी, जीवाणुनाशक और कीटनाशक गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता  है। प्राकृतिक रूप से मैरीगोल्ड कीटनाशक का बाजार तेजी से सिंथेटिक की जगह ले रहा हैं। गेंदा का सबसे अच्छा ज्ञात प्राकृतिक कीटनाशक पाइरेथ्रिन हैं। सामान्यतया, इसमें तेल मोनोटेरेपीन हाइड्रोकार्बन (ओइमनीज, लिमोनेन, टेरपिन,) होते हैं और एसाइक्लिक मोनोटेरेपीन किटोन्स (टैगेटोन,डायहाइड्रोटेगेटोनऔर टैगेटेनोन) में सेस्क्विटेरपीने हाइड्रोकार्बन और प्राथमिक गंधक यौगिकों होते हैं।

गुलदाउदी (Chrysanthemums)
गुलदाउदी (सिनेरैरीफोलियम) से इरेथ्रम नामक कीटनाशक प्राकृतिक स्रोत के रूप में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसके फूलों को चूर्णित किया जाता है। जिसका सक्रिय रसायन पाइरेथ्रिन है, जो इसके  फूल के एस्केनेस में होते हैं पाइरेथ्रिन एस्केनेस से निकालकर ओलेरोसिन के रूप में बेचा जाता है। यह पानी या तेल में मिलाकर निलंबन के रूप में या पाउडर के रूप में उपयोग किया जाता हैं। पयरेथरिंस सभी कीड़ों के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। और मच्छरों को काटने से रोकता है। पेरेथ्रिन जैसे पाइरेथ्रिन प्राकृतिक पाइरेथ्रम पर आधारित सिंथेटिक कीटनाशक हैं। गुलदाउदी के पत्ते विनाशकारी कीटों के लिए एक प्रमुख किटनाशक दवा हैं।

तुलसी (Ocimum spp.)
तुलसी जिसे “पवित्र तुलसी” के रूप में भी जाना जाता है। तुलसी के पत्ते मच्छरों के लार्वा को प्रभावी ढंग से नष्ट कर देते हैं। जिससे मच्छरों के प्रजनन की संभावना कम हो जाती है। आप अपनी बालकनी में या अपने बगीचे में पवित्र तुलसी के पौधे लगा सकते हैं। तुलसी एक प्राकृतिक कीट से बचाने वाली औषधीय पौधा हैं। तुलसी में अनेक जैव सक्रिय रसायन पाए गए हैं। जिनमें ट्रैनिन, सैवोनिन, ग्लाइकोसाइड और एल्केलाइड्स प्रमुख हैं। अभी भी पूरी तरह से इनका विश्लेषण नहीं हो पाया है। प्रमुख सक्रिय तत्व एक प्रकार का पीला उड़नशील तेल हैं जिसकी मात्रा संगठन स्थान व समय के अनुसार बदलते रहते हैं। वैल्थ ऑफ इण्डिया’ के अनुसार इस तेल में लगभग ७१ प्रतिशत यूजीनॉल, बीस प्रतिशत यूजीनॉल मिथाइल ईथर तथा तीन प्रतिशत कार्वाकोल होता है। सामान्य श्री तुलसी में श्यामा की अपेक्षा कुछ अधिक तेल होता है तथा इस तेल का सापेक्षिक घनत्व भी कुछ अधिक होता है। तेल के अतिरिक्त पत्रों में लगभग ८३ मिलीग्राम प्रतिशत विटामिन सी एवं २.५ मिलीग्राम प्रतिशत कैरीटीन होता है। तुलसी बीजों में हरे पीले रंग का तेल लगभग १७.८ प्रतिशत की मात्रा में पाया जाता है। इसके घटक हैं कुछ सीटोस्टेरॉल, अनेकों वसा अम्ल मुख्यतः पामिटिक, स्टीयरिक, ओलिक, लिनोलक और लिनोलिक अम्ल। तेल के अलावा बीजों में श्लेष्मक (म्युसिलेज) प्रचुर मात्रा में होता है। जिसका प्रमुख घटक हैं-पेन्टोस, हेक्जा यूरोनिक अम्ल और लगभग ०.२ प्रतिशत राख होती है।

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संतरा (Citrus X sinensis)
संतरे और अन्य खट्टे फल जैसे नींबू और मुस्सम्मी के छिलकों में डी-लिमोनेन होता है। यह कई पौधों द्वारा निर्मित एक कार्बनिक यौगिक है। इसकी मजबूत गंध उस पौधे को हानिकारक कीड़े और पौधे खाने वाले जानवरों से बचाने में मदद करती है। डी-लिमोनेन को साइट्रस के छिलकों से निकाला जा सकता है। जो खाद्य और पेय पदार्थों में एक प्राकृतिक स्वाद एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एक कीटनाशक या विकर्षक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। खट्टे फलों के छिलके में लगभग 90-95% लाइमोनीन होते हैं। सुगंध के किये गुलाब का फूल, आम के पत्ते तथा संतरे या नारंगी या नीबू के छिलका मिला लेवे।

प्रयुक्त सामग्री

  1. नीम की सुखी पत्ती १०० ग्राम
  2. गेंदा का फूल और पत्ती १०० ग्राम
  3. गुलदवारी का फूल २०० ग्राम
  4. तुलसी की सुखी पत्ती या फूल और तना १०० ग्राम
  5. गुलाब का सूखा फूल ५० ग्राम
  6. संतरे या नारंगी या का नीबू का सूखा छिलका १०० ग्राम
  7. आम की सुखी पत्ती १०० ग्राम
  8. जलाने के लिए कपूर का छोटा टुकड़ा

उपयोग की विधि
ऊपर दिए सभी सामग्री को एक मिटटी या सीमेंट या लोहे के किसी पात्र मे मिलाकर रख लेवें। अब इनमे अग्नि को प्रज्वलित करे परन्तु ध्यान रखे आग को जलाने नहीं देना हैं। जब इसमें से धुँआ निकलने लगे तो इसे पशुओं के घरो में या जरुरत हो तो अपने घरो और बागानों में रख देवे। इसके बाद दरवाजा, खिड़की, पंखे और बल्ब को बंद कर देवे और धुँआ को सुलगने देवे। ५ से १० मिनट के बाद इसे निकाल कर दूसरे कमरे में रखे और १५ मिनट बाद दरवाजा खिड़की खोलकर पंखे आदि चला कर धुँआ को बहार निकाल देवे। यदि पशु खुले स्थान पर है तो इसे वही रहने दे और धुँआ होने दे। आप पाएंगे की कुछ दी समय में वहां से किट-पतंगे और मक्छर भाग जायेगे और आप आसानी से अपना कार्य कर पाएंगे साथ ही चैन से नींद ले पाएंगे। उपरोक्त सामग्री को मिक्सी में या सील पर पीस कर इसको पानी में मिलाकर पशुओं के आस-पास के स्थानों पर छिरकाव भी कर सकते है और रसायनो के हानिकारक दुष्प्रभाव से अपने और पशुओं को बचा सकते हैं।

निष्कर्ष
जीका, डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस फैलाने वाले मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशकों का उपयोग एक एकीकृत मच्छर प्रबंधन कार्यक्रम का एक हिस्सा है। मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। कीटनाशक प्रतिरोध के कारण कीटनाशक की  प्रभावकारी क्षमता में कमी हो रही हैं। कीटनाशक प्रतिरोध की वृद्धि के बारे में बढ़ती चिंताएं पशुधन और मनुष्यों के लिए नई वैक्लपिक कीटनाशक औषधियों के विकास के वारे में अधिक अनुसन्धान की आवश्यकता को प्रेरित किया है जिससे प्रतिरोध की समस्या कम से कम उत्तपन हो।

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The content of the articles are accurate and true to the best of the author’s knowledge. It is not meant to substitute for diagnosis, prognosis, treatment, prescription, or formal and individualized advice from a veterinary medical professional. Animals exhibiting signs and symptoms of distress should be seen by a veterinarian immediately.

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