देश में एवियन फ्लू की स्थिति

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Updated on 24 January 2021

24 जनवरी 2021 तक 9 राज्यों (केरल, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब) में पोल्ट्री (कुक्कुट) पक्षियों में एवियन इन्फ्लुएंज़ा (बर्ड फ़्लू) की पुष्टि हुई है। जबकि 12 राज्यों (मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर तथा पंजाब) में कौव्वे, प्रवासी पक्षियों और जंगली पक्षियों में इस संक्रमण के प्रकोप की पुष्टि की गई है।


23 जनवरी, 2021 तक मुर्गियों के लिए 9 राज्यों (केरल, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब) में और कौओं/ प्रवासी/ जंगली पक्षियों के लिए 12 राज्यों (मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू व कश्मीर और पंजाब) में एविएन फ्लू (बर्ड फ्लू) के प्रकोप की पुष्टि हो गई है।


22 जनवरी, 2021 तक मुर्गियों के लिए 9 राज्यों (केरल, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब) में और कौओं/ प्रवासी/ जंगली पक्षियों के लिए 12 राज्यों (मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू व कश्मीर और पंजाब) में एविएन फ्लू (बर्ड फ्लू) के प्रकोप की पुष्टि हो गई है।


21 जनवरी, 2021 को 6 राज्यों (छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब) में मुर्गियों में एविएन फ्लू (एआई) के प्रकोप की पुष्टि हुई है। इसके अलावा 10 राज्यों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) में कौओं/ प्रवासी/ जंगली पक्षियों में भी एआई की पुष्टि हुई है।


20 जनवरी 2021 तक 6 राज्यों (केरल, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब) के पोल्ट्री (कुक्कुट) पक्षियों में जबकि 10 राज्यों (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब) में कौव्वे, प्रवासीपक्षियों तथा जंगली पक्षियों में एवियन इन्फ्लुएंज़ा (बर्ड फ़्लू) के प्रकोपकी पुष्टि की गई है।


19 जनवरी 2021 तक 5 राज्यों के पोल्ट्री (कुक्कुट) पक्षियों में जबकि 10 राज्यों में कौव्वे, प्रवासी पक्षियों तथा जंगली पक्षियों में एवियन इन्फ्लुएंज़ा (बर्ड फ़्लू) के प्रकोप की पुष्टि की गई है।


18 जनवरी, 2021 तक पांच राज्यों में मुर्गियों में और नौ राज्यों में कौओं/प्रवासी/जंगली पक्षियों में एवियन इन्फुएंजा (बर्ड फ्लू) संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके अलावा तीस हजारी नई दिल्ली में मृत बगुलों और लालकिले में मृत कौओं के नमूनों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इस बारे में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए दिल्ली सरकार को एडवाइजरी जारी की गई है।


17 जनवरी, 2021 तक महाराष्ट्र के सेंट्रल पोल्ट्री डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (सीपीडीओ (डब्ल्यूआर)), मुंबई और मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में खेड़ा रोड स्थित पोल्ट्री में एविएन फ्लू के मामलों की पुष्टि हुई है।

इसके अलावा, मध्य प्रदेश के जिलों पन्ना, सांची, रायसेन, बालाघाट के कौओं और श्योपुर (कौए, उल्लू) व मंदसौर (हंस, कबूतर); छत्तीसगढ़ के जिलों बस्तर (कौए, कबूतर) और दंतेवाड़ा (कौए) के पक्षियों; उत्तराखंड की हरिद्वार और लैंसडाउनफॉरेस्ट रेंज के कौओं के नमूनों में एविएन फ्लू की पुष्टि हो गई है।

वहीं, दिल्ली में रोहिणी से लिए गए बगुले का नमूना एविएन फ्लू के लिए पॉजिटिव पाया गया है।

महाराष्ट्र में, आरआरटी तैनात कर दी गई हैं और सीपीडीओ, मुंबई सहित सभी प्रभावित केंद्रों में मुर्गियों को मारने का क्रम जारी है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश में आरआरटी तैनात कर दी गई हैं। हरियाणा के प्रमुख केंद्रों में मुर्गियों को मारने का क्रम जारी है।

आज, राजस्थान और गुजरात से लिए गए नमूने जांच में एआई के लिए निगेटिव पाए गए।


16 जनवरी, 2021 तक महाराष्ट्र के लातूर, परभणी, नांदेड़, पुणे, सोलापुर, यवतमाल, अहमदनगर, बीड और रायगढ़ जिलों के पोल्ट्री फार्म में एविएन इन्फ्लुएंजा के मामलों की पुष्टि की गई है।

इसके अलावा, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले (कौवा); गुजरात के सूरत, नवसारी और नर्मदा जिले (कौवा); उत्तराखंड का देहरादून जिला (कौवा); उत्तर प्रदेश का कानपुर जिला (कौवा) में एविएन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि हुई है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली के नजफगढ़ में कबूतर और भूरे रंग के उल्लू और रोहिणी में बगुले में एविएन इन्फ्लूएंजा की पुष्टि हुई है।

केंद्रीय पोल्ट्री विकास संगठन मुंबई, भारत सरकार से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पोल्ट्री फॉर्म में मुर्गियों की असामान्य मृत्यु की सूचना आई हैं। जिसके बाद नमूनों को परीक्षण के लिए नामित प्रयोगशाला में भेजा गया है।


15 जनवरी, 2021 को मध्य प्रदेश (कौवों और कबूतरों) के बुरहानपुर, राजगढ़, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, मांडला, हरदा, धार, सागर और सतना जिलों में; उत्तराखंड (कौए और चील) के देहरादून जिले; दिल्ली (कौए) में रोहिणी और राजस्थान (बत्तख और काला सारस) में जयपुर चिड़ियाघर में जंगली पक्षियों में एविएन फ्लू (एआई) की पुष्टि हुई है।

इसके अलावा मध्य प्रदेश के हरदा जिले में आणंद/ भगीरथ कलोसिया और छत्तीसगढ़ के बलोद जिले के जी. एस. पोल्ट्री फार्म में एआई के मामलों की पुष्टि हुई है। इस प्रकार, देश में 11 राज्य एआई से प्रभावित हो चुके हैं।


14 जनवरी, 2021 को गुजरात के डांग जिले में कौओं में एवियनइन्फ्लूएंजा के अतिरिक्त मामलों की पुष्टि हुई। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पक्षियों को मारने का काम सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद स्वच्छता गतिविधियां पूरी कर ली गई हैं।

हरियाणा में चार पोल्ट्री फार्म्स से लिए गए नमूनों में एवियन इन्फ्लूएंजा (एच5एन8) की पुष्टि हो गई है। ये फार्म्स हैं : खतौली में महाराजा पोल्ट्री फॉर्म; बतूर मेंतारा पोल्ट्री फार्म और हरियाणा के पंचकुला जिले के मौली गांव में सिंगला पोल्ट्री फार्म।


13 जनवरी, 2021 तक, दस राज्यों में 13 जनवरी, 2021 तक एवियन इन्फ्लूएंजा के मामलों की पुष्टि की गई है। जम्मू और कश्मीर के गंदरबल जिले और झारखंड के 4 जिलों में पक्षियों की अस्वाभाविक मृत्यु के मामले सामने आए हैं।


12 जनवरी, 2021 तक, राजस्थान के झुंझुनू जिले में एचसीएल-खेतड़ी नगर में मृत कौओं में एविएन फ्लू (एच5एन8) के अतिरिक्त मामलों की पुष्टि हुई है। उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित चिड़ियाघर में मृत कौओं और हवासील तथा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में जगनोली और फतेहपुर गांव में मृत कौओं में एविएन फ्लू (एच5एन1) की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, एनआईएचएसएडी (राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान- भोपाल) से भी आज मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से लिए गए पोल्ट्री के नमूने में एविएन फ्लू (एच5एन1) की पुष्टि हो गई।

पशुपालन और डेयरी विभाग ने उपयुक्त जैव सुरक्षा सुविधाएं सुनिश्चित करते हुए राज्य स्तर पर जांच को प्रोत्साहन देने के लिए राज्यों को परीक्षण प्रोटोकॉल पर परामर्श जारी किया है। मृत पक्षियों के नमूनों के माध्यम से महाराष्ट्र में एविएन फ्लू के प्रसार की पुष्टि के बाद केन्द्र के एक दल को महाराष्ट्र और गुजरात के भ्रमण के लिए नियुक्त कर दिया गया है। यह दल इन राज्यों में एआई के प्रमुख केन्द्रों की निगरानी करेगा।

ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सहित विभिन्न मीडिया फ्लेटफॉर्म्स के माध्यम से एविएन फ्लू के बारे में जागरूकता फैलाने और हालात से निपटने के तरीके जनता के बीच साझा किए जा रहे हैं। राज्यों को पक्षियों को मारने के अभियान के लिए जरूरी पीपीई किट्स और एसेसरीज का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने की सलाह दी गई है।


देश में 11 जनवरी 2021 तक 10 राज्यों में एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू)  की पुष्टि हो गई है। आईसीएआर-एनआईएचएसएडी ने राजस्थान के टोंक, करौली, भीलवाड़ा जिलों और गुजरात के वलसाड, वडोदरा और सूरत जिलों में कौवों और प्रवासी/जंगली पक्षियों की मौत होने की पुष्टि की है। इसके अलावा, उत्तराखंड के कोटद्वार और देहरादून जिलों में भी कौवों की मौत होने की पुष्टि हुई है। नई दिल्ली में कौवों और संजय झील क्षेत्रों में बत्तखों की मौत होने की भी जानकारी मिली है।

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इसके अलावा, परभानी जिले में मुर्गियों के बर्ड फ्लू से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जबकि महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, दापोली और बीड में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है।

हरियाणा में, इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए संक्रमित पक्षियों की कुल्लिंग का काम जारी है। एक केन्द्रीय दल ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया है और यह दल उपरिकेंद्र स्थलों की निगरानी करने और महामारीविज्ञान संबंधी जांच-पड़ताल करने के लिए 11 जनवरी, 2021 को पंचकूला पहुंच रहा है।

राज्यों से जनता में जागरूकता पैदा करने और गलत जानकारी का प्रसार रोकने के लिए अनुरोध किया गया है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि जल निकायों, पक्षी बाजारों, चिड़ियाघरों, पोल्ट्री फार्मों आदि के आसपास निगरानी बढ़ाएं, पक्षियों के शवों का  उचित निपटारा करें और पोल्ट्री फार्मों में जैव-सुरक्षा को मजबूत बनाएं। इसके अलावा, कुल्लिंग परिचालनों के लिए आवश्यक पीपीई किटों और सहायक उपकरणों का भी पर्याप्त भंडारण किया जाएं।  डीएएचडी के सचिव ने राज्य पशुपालन विभागों से अनुरोध किया कि इस बीमारी की स्थिति की कड़ी निगरानी के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ प्रभावी संचार और तालमेल सुनिश्चित करें और इस बीमारी की मनुष्यों में फैलने की किसी भी संभावना को रोका जाए।


देश में 10 जनवरी 2021 तक हरियाणा के पंचकुला जिले की दो पोल्ट्री (मुर्गीपालन फार्म) से लिए गए नमूनों में एवियन इन्फ्लुएंजा के सकारात्मक होने की पुष्टि के बाद, राज्य सरकार ने 9 त्वरित कार्रवाई दलों को तैनात किया है और दोनों ही स्थानों पर नियंत्रण एवं निपटान अभियान चलाया जा रहा है। गुजरात के सूरत जिले तथा राजस्थान के सिरोही जिले में कौओं और अन्य जंगली पक्षियों के नमूनों में एवियन इन्फ्लुएंजा (एच5) की पुष्टि की गई है। इसके अलावा, कांगड़ा जिले (हिमाचल प्रदेश) से 86 कौओं तथा 2 एर्गेट्स (बगुलों) की असामान्य मौत होने की जानकारी प्राप्त मिली थी। जंगली पक्षियों की असामान्य मृत्यु के समाचार नाहन, बिलासपुर और मंडी (हिमाचल प्रदेश) से भी प्राप्त हुए है और उनके नमूने परीक्षण के लिए निर्दिष्ट प्रयोगशाला में भेजे गए हैं।

विभाग ने प्रभावित राज्यों के लिए सलाह जारी की है, ताकि इस बीमारी को और अधिक फैलने से रोका जा सके। अब तक सात राज्यों (केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश) द्वारा इस बीमारी की पुष्टि की जा चुकी है।

दिल्ली, महाराष्ट्र से प्राधिकृत प्रयोगशालाओं को भेजे गए नमूनों की जांच रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है। हालांकि छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के उन जंगली पक्षियों के किसी भी नमूने के सकारात्मक होने की पुष्टि नहीं हुई है, जिनका परीक्षण पहले किया गया था।

केरल राज्य के दोनों प्रभावित जिलों में नियंत्रण और निपटान कार्य पूरा हो गया है और केरल में पोस्ट ऑपरेशनल सर्विलांस प्रोग्राम से जुड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

देश के प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति की निगरानी के लिए गठित केंद्रीय दल प्रभावित स्थलों का दौरा कर रहे हैं। केंद्रीय टीमों में से एक दल 9 जनवरी, 2021 को केरल पहुंचा और यह टीम वर्तमान में इन सभी स्थानों की निगरानी कर रही है तथा महामारी से संबंधित वैज्ञानिक जांच की जा रही है। एक अन्य केंद्रीय दल 10 जनवरी, 2021 को हिमाचल प्रदेश पंहुचा और इसने प्रभावित क्षेत्रों में सर्वेक्षण कार्य किया।

राज्यों से जनता के बीच फ्लू के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा एवियन इन्फ्लुएंजा के बारे में गलत जानकारी के प्रचार – प्रसार से बचने का भी अनुरोध किया गया है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा गया है कि, जल स्रोतों, ज़िंदा पक्षी बाजारों, चिड़ियाघरों और पोल्ट्री फार्म्स आदि के आस-पास निगरानी बढ़ा दी जाए, शवों का उचित निपटान करने तथा मुर्ग़ी पालन केंद्रों में जैव सुरक्षा को मजबूत करने के उपाय किये जाएं।


देश में 9 जनवरी 2021 तक हरियाणा के पंचकुला जिले की दो मुर्गीपालन कंपनियों से लिए गए नमूनों में आईसीएआर-एनआईएचएसएडी द्वारा एवियन फ्लू (एआई) की पुष्टि के बाद, मध्य प्रदेश के शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, आगर, विदिशा, उत्तर प्रदेश के जूलॉजिकल पार्क, कानपुर और राजस्थान के प्रतापगढ़ व दौसा जिलों में प्रवासी पक्षियों में एवियन फ्लू के मामले दर्ज किए गए हैं। विभाग ने प्रभावित राज्यों के लिए परामर्श जारी किया है, जिससे बीमारी का प्रसार रोका जा सके। अभी तक सात राज्यों (केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश) में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है।

छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में 08 जनवरी 2021 की रात और 09 जनवरी 2021 की सुबह मुर्गियों और जंगली पक्षियों की असामान्य मृत्यु की खबरें आई हैं। राज्य ने आपात स्थिति के लिए आरआरटी दलों का गठन कर दिया है और निर्दिष्ट प्रयोगशाला को नमूने भी भेज दिए गए हैं।

इसके अलावा, संजय झील, दिल्ली से भी बत्तखों की असामान्य मृत्यु की खबरें प्राप्त हुई हैं। परीक्षण के लिए नमूने निर्दिष्ट प्रयोगशाला को भेज दिए गए हैं। महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, दापोली, परभणी और बीड जिलों से एआई की पुष्टि के लिए मृत कौओं के नमूने एनआईएचएसएडी को भेज दिए गए हैं।

इसके अलावा, केरल के दो प्रभावित जिलों में पक्षियों को मारने का अभियान पूरा हो गया है और केरल राज्य में पोस्ट ऑपरेशनल सर्विलांस प्रोग्राम से जुड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। केरल, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के प्रभावित इलाकों की निगरानी के उद्देश्य से भ्रमण के लिए केंद्रीय दल नियुक्त कर दिए गए हैं और केरल में महामारी की जांच के लिए केंद्रीय दल पहुंच गए हैं।

राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों/ प्रशासकों को भेजे पत्र में सचिव डीएएचडी ने राज्य पशुपालन विभागों से बीमारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ प्रभावी संवाद और समन्वय सुनिश्चित करने तथा इंसानों में बीमारी के प्रसार की संभावनाओं से बचने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, जल स्रोतों, पक्षी बाजारों, चिड़ियाघरों, पोल्ट्री फार्म्स आदि के आस-पास निगरानी बढ़ा दी गई है, पक्षियों के अवशेषों का उचित निस्तारण और पोल्ट्री फार्म्स में मजबूत जैव सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। राज्यों से भी एवियन फ्लू की किसी घटना को लेकर तैयार रहने का अनुरोध किया गया है और पक्षियों को मारने के अभियान के लिए पीपीई किट्स और एसेसरीज का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

मुख्य सचिवों/ प्रशासकों से अफवाहों से प्रभावित उपभोक्ताओं के लिए उचित परामर्श जारी करने की व्यवस्था करने और ऐसे पोल्ट्री या पोल्ट्री उत्पादों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अनुरोध किया गया है जो उबालने/ पकाने के बाद खाने के लिए सुरक्षित हैं। राज्यों के लिए डीएएचडी का सहयोग भी सुनिश्चित कर दिया गया है।


देश में 8 जनवरी 2021 तक हरियाणा के पंचकुला जिले में मुर्गी पालने वाले दो फार्मों में आईसीएआर-एनआईएचएसएडी से एवियन फ्लू के पॉजीटिव नमूने मिलने, गुजरात के जूनागढ़ जिले में प्रवासी पक्षियों और राजस्‍थान के सवाई माधोपुर, पाली, जैसलमेर और मोहर जिलों में कौओं में पॉजीटिव नमूने मिलने की पुष्टि होने के बाद, विभाग ने प्रभावित राज्‍यों को सुझाव दिया है कि वे एवियन फ्लू बीमारी को रोकने के लिए कार्य योजना के अनुसार काम करें। अब तक छह राज्यों (केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और गुजरात) में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। यह जानकारी प्राप्‍त हुई है कि केरल के दोनों प्रभावित जिलों में इस बीमारी से प्रभावित मुर्गियों को मारने का काम पूरा हो चुका है। संक्रमण को समाप्‍त करने की प्रक्रिया चल रही है।

और देखें :  कोविड-19 के संक्रमण काल के अंतर्गत मुर्गीपालकों हेतु महत्वपूर्ण दिशा निर्देश

एवियन फ्लू से अप्रभावित राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे पक्षियों के बीच किसी भी असामान्य मृत्यु दर पर नजर रखें और तुरंत इसकी जानकारी दें ताकि आवश्यक उपाय तेजी से किए जा सकें।

निगरानी और महामारी विज्ञान से जुड़ी जांच के लिए केरल, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के प्रभावित राज्यों का दौरा करने के लिए केन्‍द्रीय टीमों को तैनात किया गया है।

दिल्ली के हस्‍तसाल गांव के डीडीए पार्क में 16 पक्षियों की असामान्य मृत्यु भी दर्ज की गई है। एनसीटी दिल्ली के एएच विभाग ने कथित तौर पर एहतियाती कदम उठाए हैं और नमूने आईसीएआर-एनआईएचएसएडी को भेज दिए हैं और जांच रिपोर्ट का इंतजार है।

इस बीमारी के बारे में मुर्गी पालने वाले किसानों और आम जनता (अंडे और चिकन के उपभोक्ताओं) को जागरूक करना महत्वपूर्ण है। चिकन और अंडे की खपत के बारे में उपभोक्ता का विश्वास बहाल करने के लिए सचिव (एएचडी) से प्राप्‍त जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय से इस संबंध में उचित सलाह जारी करने का अनुरोध किया गया है ताकि अफवाहों से प्रभावित उपभोक्ता के विश्वास को बहाल किया जा सके। साथ ही, राज्यों से पोल्ट्री या पोल्ट्री उत्पादों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अनुरोध किया गया है जो उबलने/ खाना पकाने के बाद खपत के लिए सुरक्षित हैं, जिसके लिए केन्‍द्रीय सहयोग उपलब्ध रहेगा।


देश में 7 जनवरी 2021 तक हाल ही में केरल, हरियाणा,राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश राज्‍यों में पोल्‍ट्री, कौवों, प्रवा‍सी पक्षियों की असामान्‍य मौतों की घटनाओं के मद्देनजर एवियन इन्‍फ्लूएंजा फैलने की स्थिति को समझने और राज्‍यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को इस बीमारी के नियंत्रण, रोकथाम और प्रसार को रोकने के उपाय सुझाने के लिए सचिव, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार की ओर से राज्‍यों के साथ बैठक बुलायी गई। अब तक, केवल चार राज्‍यों (केरल, हरियाणा,राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश) में इस बीमारी के फैलने की पुष्टि हुई है। केरल के प्रभावित जिलों में पक्षियों को मारने की कार्रवाई जारी है।इस बात पर बल दिया गया है कि जलाशयों, पक्षियों के बाजारों, चिडि़या घरों, पोल्‍ट्री फार्म्‍स, आदि के आसपास निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ मृत पक्षियों के शवों का उचित निपटान करने तथा पोल्‍ट्री फार्म्‍स में जैव-सुरक्षा को मजबूत बनाना सुनिश्चित किया जाए। राज्‍यों से अनुरोध किया गया है कि वे एवियन इन्‍फ्लूएंजा की किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। राज्‍यों से पीपीई किट्स और पक्षियों को मारने की कार्रवाई के लिए आवश्‍यक सामान का पर्याप्‍त भंडार सुनिश्चित करने को भी कहा गया है।

इस बीमारी की स्थिति पर पैनी नजर बनाए रखने और मनुष्‍यों में इसके फैलने की आशंकाओं को टालने के लिए राज्‍य पशुपालन विभागों से नमूनों को एकत्र करने और उन्‍हें समय पर निर्धारित प्रयोगशालाओं (आरडीडीएल/सीडीडीएल/आईसीएआर-एनआईएचएसएडी) में जमा कराने के अलावा स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों के साथ प्रभावी सम्‍पर्क और तालमेल सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया गया है। वन क्षेत्रों और जलाशयों के आसपास पाए जाने वाले प्रवासीपक्षियों की असामान्य मौतों के बारे में तत्‍काल जानकारी देने के लिए राज्‍य वन विभाग के साथ प्रभावीसमन्वय स्‍थापित करने पर भी बल दिया गया है।

जंगली/प्रवासी पक्षियों सहित पक्षियों की असामान्‍य मौतों के लिए निगरानी को बढ़ाने तथा उसे और गहन किए जाने के लिए प्रभावित राज्‍यों को परामर्श जारी करने के अलावा विभाग ने इस बीमारी के प्रकोप के प्रबंधन, रोग नियंत्रण और इसकी रोकथाम के लिए कार्यनीति तैयार करने, तालमेल बनाने तथा राज्‍य सरकारों की सहायता करने के लिए एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष भी स्‍थापित किया है। इतना ही नहीं,दो केंद्रीय टीमों को निगरानी तथा महामारी संबंधी जांच के लिएप्रभावित राज्‍यों केरल, हरियाणा,राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश का दौरा करने के लिए तैनात किया गया है।

तैयारियों का जायजा लेने तथा प्रभावित क्षेत्रों में गहन निगरानी के बारे में सलाह देने के लिए विभाग ने आज सचिव, राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के साथ सभी राज्‍यों के स्‍वास्‍थ्‍य विभागों, पशुपालन विभागों और राज्‍य आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ भी बैठक की।

पोल्‍ट्री किसानों और आम जनता (अंडे और चिकन के उपभोक्‍ताओं) के बीच इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण है। इसलिए राज्‍यों से कहा गया है कि अफवाहों से प्रभावित उपभोक्‍ताओं की प्रतिक्रियाओं को शांत किया जाए तथा इस बारे मेंजागरूकता बढ़ायी जाए‍ कि उबालने/पकाने जैसी प्रक्रियाओं को अपनाने पर पोल्‍ट्री या पोल्‍ट्री उत्‍पाद सुरक्षित हैं।


देश में 6 जनवरी 2021 तक यह रिपोर्ट केरल के अलाप्पुझा जिले के थालावाडी दक्षिण, थाकाझी, पल्लीपड एवं करुवट्टेन और कोट्टायम जिले के नीन्दूर गांवों में एवियन इन्फ्लूएंजा के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए चलाए गए अभियानों की अद्यतन स्थिति के बारे में है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पक्षियों को मारने के लिए अलाप्पुझा जिले के उपरोक्‍त 4 एपिसेंटरों में कुल 5 आरआरटी और कोट्टायम जिले के नीन्‍दूर एपिसेंटर में 8 आरआरटी तैनात किए गए हैं।

अलाप्‍पुझा जिले के एपिसेंटरों में कुल 17,326 पक्षियों (9,066 पल्लीपड में, 8,260 करुवट्टेन में) को मारा जा चुका है और कुल मिलाकर 1,570 किलोग्राम चारे को नष्ट किया गया है। कोट्टायम जिले में एपिसेंटर में 4,229 पक्षियों को मार दिया गया है और 6.01.2021 को कुल 8 किलोग्राम चारे और 42 अंडों को नष्ट कर दिया गया।

इसके अलावा, राजस्थान में जयपुर के काले हनुमानजी फॉरेस्‍ट नाका से कौवों के कुछ नमूनों में एच5एन8 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण पाए गए हैं।तदनुसार, राज्यों को सलाह जारी की गई है ताकि पोल्ट्री तक इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सके। आज हरियाणा में 7,111 घरेलू पक्षियों, मध्य प्रदेश में 150 जंगली पक्षियों, गुजरात में 10 कौवों और हिमाचल प्रदेश में 336 प्रवासी पक्षियों में असामान्य मृत्‍यु पाई गई।

हरियाणा से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले 25 दिनों में बरवाला, पंचकूला में कुल 4,30,267 पक्षियों की मौत हुई है।जांच के लिए इनके नमूनों को निर्धारित प्रयोगशाला में भेजा गया है जिनके परिणाम आना अभी बाकी है। राज्‍य ने इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए 59 आरआरटी का गठन किया है।

देश के कुछ राज्यों में प्रवासी पक्षियों, जंगली एवं देशी कौवों और पोल्ट्री में एवियन इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू के प्रकोप के मद्देनजर नई दिल्‍ली के कृषि भवन में पशुपालन एवं डेयरी विभाग, कमरा नंबर 190 ए (दूरभाष संख्या 011-23382354) में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए तैयारी, नियंत्रण एवं रोकथाम पर कार्य योजना 2015 की परिकल्‍पना के अनुसार, प्रकोप के प्रबंधन, रोग नियंत्रण और रोकथाम के संबंध में राज्‍य सरकार के साथ समन्‍वय स्‍थापित करते हुए सुविधा प्रदान करना है।

एवियन इन्फ्लूएंजा (एआई) वायरस सदियों से दुनिया भर में मौजूद हैं और पिछली शताब्दी के दौरान चार प्रमुख प्रकोप दर्ज किए गए।भारत ने सबसे पहले 2006 में एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप को दर्ज किया था। भारत में मनुष्यों में इसके संक्रमण के मामले अब तक सामने नहीं आए हैं लेकिन यह जूनोटिक बीमारी है। फिलहाल इस बात के कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं कि दूषित पोल्ट्री उत्पादों को खाने से मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का संक्रमण फैल गया। एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए जैव सुरक्षा सिद्धांतों, व्यक्तिगत स्वच्छता एवं साफ-सफाई और कीटाणुशोधन प्रोटोकॉल के साथ-साथ खाना पकाने एवं प्रसंस्करण मानक जैसी प्रबंधन प्रथाएं प्रभावी साधन हैं।

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भारत में यह बीमारी मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों द्वारा सर्दियों के महीनों यानी सितंबर- अक्‍टूबर से फरववरी- मार्च के दौरान फैलती है। मानव हैंडलिंग (फोमाइट के माध्यम से) के जरिये इसके द्वितीयक प्रसार की आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है।

एवियन इन्फ्लुएंजा (एआई) वायरस सदियों से पूरी दुनिया में मौजूद है। पिछली शताब्‍दी में इसके चार बड़े प्रकोप दर्ज हुए हैं। भारत में एवियन इन्फ्लुएंजा का पहला प्रकोप 2006 में अधिसूचित किया गया था। भारत में मनुष्यों में अभी तक इसके संक्रमण का पता नहीं चला है, हालांकि यह बीमारी ज़ूनोटिक है। इस बात का ऐसा कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है कि प्रदूषित पोल्ट्री उत्पादों की खपत के माध्यम से एआई का वायरस मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है। जैव सुरक्षा सिद्धांतों, व्यक्तिगत स्वच्छता और साफ-सफाई तथा कीटाणुशोधन प्रोटोकॉल को शामिल करते हुए प्रबंधन प्रक्रियाओं को लागू करने के साथ-साथ खाना पकाने और प्रसंस्‍करण मानकों को अपनाना एआई वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रभावी साधन हैं।

भारत में, यह बीमारी मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों द्वारा फैलती है, जो सर्दियों के महीनों यानी सितंबर-अक्टूबर से फरवरी से मार्च तक भारत में आते हैं। इसके द्वितीयक प्रसार में मानव रखरखाव (फोमाइट्स के माध्यम से) के योगदान को भी खारिज नहीं किया जा सकता है।

एआई के वैश्विक प्रसार की चुनौती को देखते हुए भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने 2005 में एक कार्य योजना तैयार की थी, जिसे देश में एवियन इन्फ्लुएंजा की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्‍य सरकारों के मार्गदर्शन हेतु वर्ष 2006, 2012, 2015 और 2021 में संशोधित (देखें डीएएचडी वेबसाइट ) किया गया था।

वर्ष 2020 में एवियन इन्फ्लुएंजा के प्रकोप पर नियंत्रण पूरा होने के बाद पोस्ट ऑपरेशन सर्विलांस प्लान (पीओएसपी) का अनुपालन करते हुए 30 सितम्‍बर, 2020 से देश को एआई से मुक्‍त होने की घोषणा की गई थी।

सर्दियों के मौसम में इस बीमारी की रिपोर्टों के संबंध में पिछले अनुभव को देखते हुए सर्दी शुरू होने से पहले ही सभी राज्‍यों/केन्‍द्रशासित प्रदेशों को समय-समय पर सलाह जारी की गई है, ताकि आवश्यक सतर्कता बरतने, निगरानी बढ़ाने, आपूर्तियों के रणनीतिक भंडार (पीपीई किट, आदि) बनाने, आकस्मिकताओं से निपटने की तैयारी करने तथा जनता को जागरूक करने के लिए आईईसी जैसे आवश्‍यक कदम उठाये जा सकें। विभाग द्वारा राज्‍यों/केन्‍द्रशासित प्रदेशों को उपलब्‍ध कराई जाने वाली अन्‍य सहायता इस प्रकार हैं-

  • रेफरल लैब यानी आईसीएआर-एनआईएचएसएडी, भोपाल से तकनीकी सहायता
  • कुल्लिंग और क्षतिपूर्ति करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को वित्‍तीय सहायता प्रदान करना
  • एएससीएडी योजना के तहत राज्यों को वित्‍तीय सहायता प्रदान करना
  • पशु चिकित्सा कार्य बल का प्रशिक्षण
  • आरडीडीएल/सीडीडीएल को मजबूत बनाने के लिए सहायता प्रदान करना

सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को तैयारी के संबंध में पिछला परामर्श/संदेश 22.10.2020 को जारी किया गया था।

वर्तमान प्रकोप

आईसीएआर-एनआईएचएसएडी से संक्रमित नमूनों की पुष्टि के बाद, एआई का निम्नलिखित राज्यों (12 महामारी केंद्रों) में पता चला है –

  • राजस्थान (कौवा) – बारां, कोटा, झालावाड़
  • मध्य प्रदेश (कौवा) – मंदसौर, इंदौर, मालवा
  • हिमाचल प्रदेश (प्रवासी पक्षी) – कांगड़ा
  • केरल (पोल्ट्री-बतख) – कोट्टायम, अल्लपुझा (4 महामारी केन्‍द्र)

तदनुसार, 01 जनवरी 2021 को राजस्थान और मध्‍यप्रदेश राज्यों को एक-एक सलाह जारी की गई है, ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके। मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्‍यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एवियन इन्फ्लुएंजा की राष्ट्रीय कार्य योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार नियंत्रण उपाय शुरू किए गए हैं। दूसरा परामर्श 5 जनवरी, 2021 को हिमाचल प्रदेश को जारी किया गया। इसमें राज्य को पोल्‍ट्री की बीमारी को आगे बढ़ने से रोकने के लिए आवश्‍यक कदम उठाने की सलाह दी गई है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, केरल ने पहले ही महामारी केन्‍द्रों पर 05 जनवरी 2012 से नियंत्रण और रोकथाम अभियान शुरू कर दिये हैं। कुल्लिंग प्रक्रिया चल रही है।

पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने भी नई दिल्‍ली में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सकें और राज्य अधिकारियों द्वारा किए गए निवारक और नियंत्रण उपायों के आधार पर दैनिक स्थिति का पता लगाया जा सके।

एवियन इन्फ्लुएंजा के बारे में कार्य योजना के अनुसार प्रभावित राज्‍यों को इस बीमारी पर नियंत्रण और इसके प्रसार को रोकने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में सुझाव दिए गए है। इस सुझावों में पोल्ट्री फार्मों की जैव सुरक्षा को मजबूत बनाना, प्रभावित क्षेत्रों का कीटाणुशोधन करना, मृत पक्षियों के शवों का उचित निपटान, बीमारी की पुष्टि और आगे निगरानी के लिए समय पर नमूने लेना और उन्‍हें परीक्षण के लिए भेजना। संक्रमित पक्षियों से पोल्‍ट्री और मनुष्‍यों में बीमारी के प्रसार की रोकथाम के लिए सामान्य दिशा-निर्देशों के साथ-साथ निगरानी योजनाओं को सघन रूप से लागू करना शामिल है।  राज्‍यों को यह भी सलाह दी गई है कि वे पक्षियों की असामान्य मौत के बारे में रिपोर्ट के लिए वन विभाग के साथ समन्वय स्‍थापित करें। अन्य राज्यों से भी पक्षियों की असामान्य मौत के बारे में सतर्कता बरतने और आवश्यक उपाय करने के लिए तुरंत रिपोर्ट करने की सलाह दी गई है।


स्रोत: मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

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