अजोला (Azolla) चारा- दुधारू पशुओं के लिए वरदान

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भारत के अधिकतर क्षेत्रों में साल के 6 से 8 महीने हरे चारे की किल्लत रहती है, और पशुधन को अपौष्टिक सूखा चारा ही नसीब हो पाता है।  पशुआहार के  विकल्प की खोज में एक विस्मयकारी फर्न अजोला सदाबहार चारे के रूप में डेरी व्यवसाय करने वाले किसान भाइयों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

अजोला पानी में पनपने वाला छोटे बारीक पत्तो वाली एक तैरती हुई “शैवाल” है, जिसे अंग्रेजी भाषा में “फर्न” कहा जाता है।  सामान्यत: अजोला धान के खेत या उथले पानी में उगाई जाती है, यह बहुत तेजी से बढ़ती है। धान की फसल में नील हरित काई की तरह अजोला को भी हरी खाद के रूप में उगाया जाता है और कई बार यह खेत में प्राकर्तिक रूप से भी उग जाता है। इस हरी खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। अजोला की पंखुड़ियो में एनाबिना (Anabaena) नामक नील हरित काई के जाति का एक सूक्ष्मजीव होता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है।

अजोला (Azolla) चारा- दुधारू पशुओं के लिए वरदान
अजोला सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पशु आहार है। अजोला का उपयोग न केवल दूध देने वाले पशुओं के आहार के लिए बल्कि मुर्गी पालन और मछली पालन में भी किया जा सकता हैं। अजोला की खेती एक ऐसा माध्यम है जो बिना अधिक लागत के पशुओं को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध कराता है। इसके जरिए पशुपालन से आसानी से किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। अजोला छायादार स्थानों पर घर के आसपास या बागीचे में आसानी से उगाया जा सकता है। यह प्रोटीन युक्त हरा चारा है, जो आसानी से पशु की उत्पादकता 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। इसमें अधिक मात्रा में मिनरल पाए जाने के कारण यह पशु की प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है। अजोला से न केवल पशुओं का शारिरिक विकास अच्छा होता बल्कि अजोला पशुओं के बांझपन में भी कमी लाता है। 

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दुधारू पशुओं पर किए गए प्रयोगो  से साबित होता है कि, जब पशुओं को  उनके  दैनिक आहार के साथ 1.5 से 2 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन दिया जाता है, तो  दुग्ध उत्पादन में 15-20 प्रतिशत की बड़ोतरी होती है, साथ ही फैट की मात्रा भी 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

कैसे करें अजोला चारे का उत्पादन ?
अजोला चारे का उत्पादन करना बहुत ही आसान है। सबसे पहले किसी भी छायादार स्थान पर 2 मीटर लंबा, 2 मीटर चौड़ा तथा 30 सेंटीमीटर गहरा गड्डा खोदा जाता है। waterproof बनानें के लिए इस गड्डे को प्लास्टिक शीट से cover कर देते है। सीमेंट की टंकी में भी अजोला उगाया जा सकता है। सीमेंट की टंकी में प्लास्टिक सीट विछाने की आवश्यकता नहीं हैं। इसके बाद गड्डे में 10-15 किलोग्राम मिट्टी फैला दें तथा 2 किलोग्राम गोबर और 20 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट 10 लीटर पानी में घोलकर गड्डे में डाल देना है। गड्डे में पानी का स्तर 10-12 सेंटीमीटर तक होना चाहिए। अब आधे से एक किलो अजोला कल्चर गड्डे के पानी में डाल देते हैं। अजोला बहुत तेजी से बढ़ता है और 10-15 दिन के अंदर पूरे गड्डे को भर लेता है और प्रतिदिन आधे से 1 किलो एजोला पानी के ऊपर से चारे के रूप में बाहर निकाला जा सकता है। साफ पानी से धो लेने के बाद 1.5 से 2 किलो अजोला नियमित आहार के साथ पशुओं को खिलाया जा सकता है। प्रत्येक सप्ताह 2 किलोग्राम गोबर और 20 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट पानी में मिलाकर डालने से अजोला तेजी से बढ़ता है। 6 माह के  अंतराल में, एक बार अजोला तैयार करने की टंकी या गड्डे को  पूरी तरह खाली करके तथा साफ कर नये सिरे से मिट्टी, गोबर, पानी एवं अजोला कल्चर डालना चाहिए।

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अजोला की उत्पादन लागत काफ़ी कम आती है, इसलिए यह किसानो के बीच तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है किसान न केवल अपने आसपास खाली पड़ी जमीन, बल्कि अपने घर की छतों पर भी इसका उत्पादन कर सकते है, और पूरे साल हरा चारा प्राप्त कर सकते है। इस प्रकार हरे चारे के संकट से जूझ रहे किसानो व डेयरी मालिकों के  लिए अजोला किसी वरदान से कम नहीं है।

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