अतिसार (दस्त) स्वयं एक बीमारी न होकर अन्य बीमारियों का लक्षण है, जिसमें पशु बार-बार पतला गोबर करता है, निर्बल होता जाता है तथा पशु के शरीर में पानी व प्रमुख तत्वों की कमी हो जाती है।
कारण
इस रोग के अनेक कारण हैं। विभिन्न जीवाणु तथा विशाणु का संक्रमण जैसे पोंकनी, गलाघोंटू, पाचन तन्त्र में रहने वाले परजीवियों की संख्या में बृद्धि इस अवस्था के प्रमुख कारण हैं। शरीर में कई तत्वों की कमी से भी दस्त उत्पन्न होता है। इसमें ताम्बें, सेलीनियम की कमी प्रमुख उदाहरण हैं। विभिन्न विषाक्ताओं में भी पेचिस देख जा सकता है। खाने में अनयिमितता अथवा एकाएक परिवर्तन भोजन में दाने या हरा चारा की अत्यधिक मात्रा तथा दूशित आहार जैसे सड़े-गले, वासी एवं विशैले पदार्थ खाने से यह रोग हो जाता है। नवजात बछड़ों में ज्यादा दूध पिलाने से भी दस्त होता है। लगातार ऐन्टीबायोटिक खिलाने से पाचनतंत्र के सामान्य जीवाणु नश्ट हो जाते हैं जिससे अपच होा है और दस्त शुरू हो जाते हैं।
लक्षण
रोग के प्रारम्भ में पशु को कब्ज, की षिकायत होती है। वह सुस्त रहने लगता है तथा आहार लेना कम कर देता है। बाद में पशु पानी की तरह पतला गोबर करने लगता है। शरीर से लगातार पानी निकलने से शरीर में पानी एवं प्रमुख तत्वों की कमी हो जाती है। पशु कमजोर होता रहता है तथा कुछ समय उपरान्त शरीर की हड्डियां दिखने लगती है। खून की कमी हो जाती है। प्यास अधिक लगती है। पशु की त्वचा से चमक चली जाती है तथा आंखे अन्दर धंस जाती है। गोबर से दुर्गन्ध आती है तथा पशु अधिक मात्रा में गोबर करता है। पशु की पिछली टांगें तथा पूंछ गोबर से सनी रहती है। दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है।
उपचार
इस रोग के अनेक कारण होने की वजह से इसका सी निदान काफी कठिन होता हैं अतः इसके उपचार में भी कठिनाई आती है। गोबर की जांच के उपरान्त ही उपचार शुरू करना चाहिए।
यदि पेट में कीड़े हों तो, कीड़े की पहचान कर उस कीड़े के लिए उपयोगी दवाई देनी चाहिए। कीड़े की दवाई देने के 3 दिन पहले से यकृत को मजबूत करने की दवाई देनी चाहिए। यदि किसी संक्रामक रोग का संदेह हो तो ऐन्टीबायोटिक देनी चाहिए। इसे दिन में दो बार 3-5 दिन तक देनी चाहिए।
सभी रोगी पशुओं में नस द्वारा द्रब्य थिरेपी देने चाहिए। साथ ही में बाजार में उपलब्ध गोबर बाँधने में उपयोगी गोलियां अथवा पाउडर जैसे की नेवलान, बैकनार को देना चाहिए।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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