सरकार ने माना कि देशी और विदेशी गाय की नस्लों के दूध में कोई अंतर नहीं है

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सरकार ने माना कि देशी और विदेशी गाय की नस्लों के दूध में कोई अंतर नहीं है। 9 मार्च को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, डॉ. संजीव कुमार बालियान ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि “आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गायों की विदेशी नस्लों और स्वदेशी गोपशु के दूध की गुणवत्ता के बीच अंतर के बारे में कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है”। मंत्री वाईएसआर कांग्रेस के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और भाजपा सांसद वीरेंद्र कुमार द्वारा स्वदेशी पशु नस्लों के एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

राज्य मंत्री, डॉ. संजीव कुमार बालियान का जवाब भारत में एक लंबे समय से चले आ रहे मिथक का खंडन करता है। देशी गायों के दूध के बारे में तमाम तरह के दावे किये जाते रहे हैं कि देशी गायों का दूध विदेशी गायो से अच्छा होता है। कुछ लोग इसको A1 और A2 दूध का उदाहरण देकर भी इस दावे को वैज्ञानिक रूप देने की कोशिश करते हैं।

सरकार ने माना कि देशी और विदेशी गाय की नस्लों के दूध में कोई अंतर नहीं है

A1 और A2 दूध क्या है?

A1 बीटा-कैसिन दूध में 67वें स्थान पर हिस्टडीन एमीनो एसिड होता है जबकि A2 दूध में उस स्थान में प्रोलिन होता है। इन्ही दोनों अणुओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति के कारण विश्व व्यापी तर्क-वितर्क चल रहा है। वैज्ञानिकों के एक समूह का कहना है कि A1 दूध स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, लेकिन अन्य कहते हैं कि इसका स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं है, जिनके अनुसार A1 दूध को लेने से कोई नुकसान नहीं होता है, और ये किसी भी प्रकार की शरीर में हानि नहीं पहुंचाता है। इसलिए सही तरह से ये कहना गलत होगा कि A1 दूध नुकसान दायक है। ऐसा पूर्ण रूप से अभी तक साबित नहीं हो सका है, इसके लिए और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है। अगर हम दूध की उपलब्धता और खपत की बात करें, तो भारत सहित पूरी दुनिया में आजकल ज्यादातर A1 दूध को ही पीया जा रहा है, A2 दूध की उपलब्धता कम होती है।

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क्या यह सच है कि देशी गाय A2 टाइप की और विदेशी गाय A1 टाइप की होती हैं?

ये सच है कि हिंदुस्तानी देशी गायों में A2 की संभावना 98% से अधिक होती है। लेकिन ये सच नहीं है कि सभी विदेशी गायें A1 टाइप की होती है। सर्वेक्षणों में यह पता चला है कि A1 और A2 गायें किसी विशेष नस्ल से सम्बंधित ना होकर क्षेत्र विशेष से सम्बंधित होती हैं। जैसे उत्तरी अमेरिका और उत्तरी यूरोप में HF गायों में A1 पाए जाने की संभावना 90% से अधिक है वहीँ दूसरी तरफ जर्मन HF गायों में A2 की संभावना 97% से अधिक है। अमेरिका और यूरोप की दूसरी ब्रीड जैसे Guernsey में A2 की संभावना 98% से अधिक होती है, लगभग देशी गायों जितनी। वहीँ एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि, भैंस, बकरी, ऊंट तथा याक का दूध 100% A2 टाइप का होता है।

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सरकार के इस जवाब से उन दावों को खंडन होता है जो भारतीय नस्ल की गायों के दूध को विदेशी नस्ल के गायों के दूध से बेहतर बताते थे क्योंकि सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारतीय नस्ल की गायों के दूध और विदेशी नस्ल के गायों के दूध की गुणवत्ता के बीच अंतर के बारे में कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि अगर आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के पास विदेशी नस्ल की गायों और देशी गायों के दूध की गुणवत्ता में अंतर के बारे में कोई निर्णायक जानकारी उपलब्ध नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं कि विदेशी गायों और देशी गायों के दूध की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है, बल्कि वैज्ञानिकों के लिए मौका है कि रिसर्च के माध्यम से इस विषय पर पूर्ण तथ्य रखे जा सके।

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