किसी भी डेयरी का भविष्य नवजात की देखरेख तथा उसके सुनियोजित प्रबंधन पर निर्भर करता है, जहां कि अच्छी किस्म के पशु खरीदने की बजाय तैयार किए जा सकते है। नवजात बछड़े के अच्छे स्वास्थ्य तथा बेहतर वृद्धि को आश्वस्त करने के लिए एक अच्छे प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
शुरूआती देखभाल
जन्म के ठीक बाद बछड़े के नाक और मुॅह से कफ अथवा श्लेष्मा इत्यादि को साफ करें।
- आमतौर पर गाय बछड़े को जन्म देते ही उसे जीभ से चाटने लगती है। इससे बछड़े के शरीर को सूखने में आसानी होती है और श्वसन और रक्त संचार सुचारू होता है। गाय के बछड़े को न चाटने पर एवं ठण्डी जलवायु की स्थिति में बछड़े के शरीर को सूखे कपड़े या टाट से पोछकर सुखाए। हाथ से छाती को दबाकर और छोड़कर श्वसन प्रदान करे।
- नाभ नाल में शरीर से 2.5 सेमी. की दूरी पर गॅाठ बांध देनी चाहिए और बांधे हुए स्थान से 1 सेमी. नीचे से काटकर टिंक्चर आयोडीन और बोरिक एसिड अथवा कोई अन्य एंटीसेप्टिक लगाना चाहिए।
- बाड़े के गीले बिछौने को हटाकर, बिल्कुल साफ और सूख रखना चाहिए।
- गाय के थन और जननाग्र को पोटेशियम.परमेगनेट या सोडियम हाइपोक्लोराइड के घोल द्वारा अच्छी तरह साफ कर सुखाएं।
- बछड़े को माँ का पहला दूध अर्थात् खीस का पान दें।
- बछड़ा आमतौर पर 1 घन्टे में खड़े होकर दूध पीने की कोशिश करने लगता है। यदि ऐसा न हो तो कमजोर बछड़े की मदद करें।
- बछड़े के वंशज का ब्यौरा रखना चाहिए।
बछड़े का भोजन
माँ का पहला दूध अर्थात् खीस नवजात बछड़े को दिया जाने वाला सबसे पहला और जरूरी आहार है। खीस का निर्माण माँ के द्वारा बछड़े के जन्म से 3 से 7 दिन बाद तक किया जाता है और यह बछड़े के लिये पोषण और तरल पदार्थ का प्राथमिक स्त्रोत होता है। यह बछड़े को आवश्यक प्रतिपिंड भी उपलब्ध कराता है, जो उसे संक्रामक रोगों और पोषण संबंधी कमियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करता है। जन्म के बाद खीस के अतिरिक्त बछड़े को 3 से 4 सप्ताह तक माँ के दूध की आवश्यकता होती है। उसके बाद बछड़ा वनस्पति से प्राप्त मॅाड और शर्करा को पचाने मे सक्षम हो जाता है।
पानी का महत्व
ध्यान रखें हर वक्त साफ और ताजा पानी उपलब्ध रहे। बछड़ों को पानी अलग-अलग बर्तनों मे रखें।
खिलाने की व्यवस्था
- बछड़े को पूरी तरह दूध पर पालना।
- मक्खन निकाला हुआ दूध देना।
- दूध के अलावा दही का पानी, छाछ, दलिया इत्यादि देना।
- काफ स्टार्टर देना।
- पोषक गाय का दूध पिलाना।
पूरी तरह दूध पर पालना
50 किलो औसत शारीरिक वजन के साथ तीन महीने की उम्र तक के नवजात बछड़े की पोषण आवश्यकता इस प्रकार है।
- सूखा पदार्थ (DM): 1.43 कि.ग्रा.
- पचाने योग्य कुल पोषक पदार्थ (TDN): 1.60 कि.ग्रा.
- प्रोटीन: 315 ग्राम
टीडीएन की आवश्यकता डीएम से अधिक होती है। क्योंकि भोजन में वसा का उच्च उत्पाद होना चाहिए। 15 दिनों बाद बछड़ा घास चरना शुरू कर देता है। जिसकी मात्रा आधा किलो प्रतिदिन होती है।
मिश्रित आहार
जौ, गेहूँ, ज्वार जैसे अनाजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक मिश्रित आहार में 80% ऊर्जा और 22% प्रोटीन होता है।
नवजात बछड़े के लिए रेशेदार पदार्थ
अच्छे किस्म के तनायुक्त पत्तेदार पौधे छोटे बछड़े के लिए रेशे का अच्छा स्त्रोत है। धूप लगाई गई घास खिलानी चाहिए।
काफ स्टार्टर पर पालना
इसमें बछड़े को पूर्ण दुग्ध के साथ स्टार्टर दिया जाता है। उन्हें सूखा काफ स्टार्टर और सूखी घास दी जाती है। 7 से 10 सप्ताह की उम्र में बछड़े का दूध छुड़वा दिया जाता है।
दूध छुड़वाना
बछड़े का दूध छुड़वाना डेयरी फार्मिंग व्यवस्था के लिए अपनाया गया प्रबन्धन कार्य है।
- अपनाई गई प्रबन्धन व्यवस्था के आधार पर जन्म के समय, 3 सप्ताह बाद, 8 से 12 सप्ताह के दौरान अथवा 24 सप्ताह मे दूध छुड़वाया जा सकता है। जिन बछ़ड़ों को सॅाड के रूप में तैयार करना है। उन्हें 6 महीने की उम्र तक दूध पीने के लिये माँ के साथ छोड़ा जाता है।
- संगठित फार्म में, जहां बड़ी संख्या में बछड़ों का पालन किया जाता है। जन्म के कुछ समय बाद दूध छुड़ाना लाभदायक होता है।
दूध छुड़वाने के बाद
दूध छुड़वाने के बाद 3 महीने तक काफ स्टार्टर की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जानी चाहिए। सूखी घास देना चाहिये। बछड़े के वजन के 3% तक उच्च नमी वाले आहार जैसे साइलेज, हरा चारा और चराई के रूप में घास खिलानी चाहिए।
बछड़े की वृद्धि
पहले 3 महीनों के दौरान बछड़े का आहार महत्वपूर्ण होता है।
- इस चरण में बछड़े का खानपान अगर सही न हो तो मृत्यु दर में 25 से 30% की वृद्धि होती है।
- गर्भवती गाय को गर्भावस्था के अंतिम 2-3 महीनों के दौरान अच्छे किस्म का चारा और दाना दिया जाना चाहिए।
- नियमित रूप से कृत्रिमनाशक दवाई देना चाहिए।
बछड़े के रहने का महत्व
बछड़ों को अलग बाड़े में तब तक रखा जाना चाहिए जब तक कि उनका दूध न छुड़वा दिया जाए। अलग बाड़ा एक-दूसरे को चाटने से रोकता है और इस तरह बछड़ों को रोगों के प्रसार की सम्भावना कम होती है। बछड़े के बाड़े को साफ-सुथरा और अच्छी तरह से हवादार होना चाहिए।
बछड़े के रहने के स्थान पर अच्छा बिछौना होना चाहिए ताकि आराम से और सूखी अवस्था में रह सके। लकड़े के बुरादे अथवा पुआल का इस्तेमाल अधिक किया जाता है। पूर्व की ओर खुलने वाले बाड़े को सुबह के सूरज की गर्मी प्राप्त होती है और दिन के गर्म समयों में छाया मिलती है।
बछड़े को स्वस्थ रखना
नवजात बछड़ों को बीमारियों से बचाकर रखना उनकी आरंभिक वृृद्धि के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है और इससे उनकी मृत्यु दर कम होती है और साथ ही बीमारी से बचाव बीमारी के इलाज की तुलना में कम खर्च में किया जा सकता है। बछड़े का नियमित निरीक्षण करें, उन्हें ठीक तरह से खिलाएं और उनके रहने की जगह और परिवेश को स्वच्छ रखें।
अतः उपरोक्त वर्णित पहलूओं का ध्यान रख पशुपालक नवाजत बछड़े से स्वस्थ पशुधन प्राप्त कर सकते है तथा देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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