भ्रूण हस्तांतरण तकनीक- है क्या?

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भ्रूण हस्तांतरण तकनीक या भ्रूण प्रत्यारोपण विधि और या अंग्रेजी में embryo transfer technology (ETT/ ईटीटी) एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा अपनी नस्ल की उत्त्कृष्ट मादा (embryo donor/ भ्रूण दाता) गाय में से भ्रूण को एकत्र किया जाता है, श्रेणीबद्ध किया जाता है और फिर निम्न आनुवंशिक योग्यता वाली पालक (recipient/ surrogate) गाय के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। ध्यान देने वाली बात है कि प्राकृतिक तौर पर, ज्यादातर समय में गौ-वंश प्रजाति में एक ओव्यूलेशन होता है, परन्तु  ईटीटी (ETT) में, उत्त्कृष्ट भ्रूण दाता को एक से अधिक डिंब का उत्पादन कराने के लिए हार्मोन  का ट्रीटमेंट (hormone treatment) किया जाता है ।  ऐसी दाता गाय को  मदकाल (estrus/ heat) के दौरान बेहतर गुणवत्ता वाले वीर्य (semen) द्वारा गर्भाधान (insemination) कराया जाता है ताकि दाता में एक से ज्यादा भ्रूण बने और अस्थायी गर्भवती (temporary pregnant) हो जाए । गर्भाधान के सातवें दिन इन भ्रूणों को डोनर से वैज्ञानिक विधि द्वारा एकत्रित किया जाता है और गुणवत्ता की जाँच-परक उपरांत एक भ्रूण को एक पालक गाय (recipient/ surrogate) के गर्भाशय में स्थानांतरित (transfer/ ट्रांसफर) कर गर्भावस्था की स्थापना की जाती है।

तकनीत के मुख्य उद्देश्य

  • उत्कृष्ट पशु से भ्रूण को इकट्ठा करना
  • उत्तम पशु को प्राकृतिक प्रजनन दर की तुलना में तेजी से आनुवंशिक दर पर प्रचारित करना
  • लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण हेतु
  • भविष्य के उपयोग के लिए भ्रूण बैंक का विकास करना
  • नर और मादा दोनों के सुपीरियर क्लास जर्मप्लाज्म (superior germplasm) को एक साथ अगली पीढ़ी में हस्तांतरित करना (दूसरी ओर कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination/ AI/ एआई) में केवल नर पशु के गुण ही संतान को दिए जा सकते हैं)।

भ्रूण हस्तांतरण तकनीक- है क्या?

भ्रूण तबादला प्रौद्योगिकी (ETT) में निम्नलिखित महत्वपूर्ण क्रिया शामिल हैं

  1. डोनर का चयन: डोनर वह उत्तम गाय है जिससे भ्रूण एकत्र किया जाता है। इस डोनर या दाता के पास अपने समकालीनों की तुलना में बेहतर फेनोटाइपिक (phenotypic) और जीनोटाइपिक (genotypic) वर्ण होना चाहिए। आमतौर पर, डेयरी उद्योग के लिए दाता का चयन उसकी दूध उत्पादन क्षमता के आधार पर किया जाता है। शरीर की स्थिति स्कोर (body condition score – BCS) के स्केल 1-5 में से 3-3.5 के शारीरिक स्कोर (BCS) वाली दाता का चयन करना बेहतर है। पसंदीदा तौर पर ऐसी मादा का एक प्रसव हो गया हो, अथवा सामान्य प्रजनन जननांग और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) की प्रत्यक्षता  या पटेंसी (patency) होनी चाहिए। अच्छे सुपरस्टिम्युलेटरी (superstimulatory) प्रतिक्रिया के साथ  ज्यादा भ्रूण  देनी वाली दाता का चयन करना अति महत्वपूर्ण है और इसके लिए  अल्ट्रासोनोग्राफी (ultrosonography) का उपयोग करना एक बेहतर सकारात्मक विकल्प है। कुछ दाता से प्राप्त भ्रूण माइक्रोस्कोप (microscope) के तहत समान गुणवत्ता दिखाने वाले दूसरे भ्रूण की तुलना में बेहतर गर्भाधान कारी सिद्ध होते है। इसलिए, इष्टतम सुपरस्टिमुलरी प्रतिक्रिया और बेहतर गर्भाधान दर वाली दाताओं के चयन के लिए कुछ जैव-मार्करों (bio-markers) की पहचान करने की आवश्यकता है।
  2. प्राप्तकर्ता का चयन: निम्न आनुवंशिक योग्यता वाली गाय जिसमें गर्भावस्था की स्थापना के लिए भ्रूण को स्थानांतरित किया जाता है, प्राप्तकर्ता (recipient) या सरोगेट (surrogate) के रूप में कार्य करती है। प्राप्तकर्ता 3-3.5 के बीसीएस, स्वस्थ जननांग के साथ, उप-प्रजनन (sub-fertile) या repeater के इतिहास के बिना, नियमित रूप से चक्रीयता (मदकाल) और गर्भाशय ग्रीवा की पटेंसी (cervical patency) वाली होनी चाहिए। दाता और प्राप्तकर्ता दोनों गायों को विशेष रूप से टीबी, जेडी, ब्रूसेलोसिस, आईबीआर-आईपीवी जैसी बीमारी से मुक्त होना चाहिए। इन गायै को नकारात्मक ऊर्जा संतुलन (नेगेटिव एनर्जी balance) में नहीं होना चाहिए।
  3. दाता का सुपरस्टिम्यूलेशन: अंडाशय (ovary) के ऊपर एक से अधिक परिपक्व डिंब (oocyte) प्राप्त करना सुपरस्टीमुलेशन है और इन कई डिंब के ओव्यूलेशन (ovulation) को प्राप्त करने को सुपरवुलेशन या मल्टीपल ओव्यूलेशन कहा जाता है। यह भ्रूण हस्तांतरण (MOET) का सबसे अप्रत्याशित कार्य है जिसके कई ज्ञात और अज्ञात कारण है। सुपरस्टिम्यूलेशन कराने हेतु एक्सोजेनस गोनैडोट्रॉपिंस विशेष रूप से फॉलिक्युलर स्टिमुलेटरी हार्मोन (Follicle Stimulating Hormone / FSH – एफएसएच) का उपयोग किया जाता है। बेहतर सुपरस्टिमुलुलेटरी प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए एफएसएच-हार्मोनल प्रोटोकॉल को मदकाल के १०-१२ वें दिन के बीच शुरू कर ४-५ दिन तक लगाया जाता है। एफएसएच हॉर्मोन की पांचवीं-छठी खुराक के साथ, पशु को अन्य पीजीएफ 2α नामक हॉर्मोन लगाकर कई डिंब का ओव्यूलेशन (superovulation) कराया जाता है।
  4. दाता के कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination /AI- एआई): दाता पशु के मद या एस्ट्रस को सुपर-एस्ट्रस कहा जाता है। सुपर-एस्ट्रस में आने उपरांत दाता को 24 घंटे के अंतराल पर दो बार दोहरी खुराक के साथ श्रेष्ठ श्रेणी के सांड़ से उत्पन वीर्य द्वारा कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है।
  5. दाता और प्राप्तकर्ताओं / सरोगेट (surrogate) के हीट/ एस्ट्रस (estrus) का सिंक्रनाइज़ेशन / समकालीकरण (synchronization): ईटीटी के माध्यम से प्राप्तकर्ताओं में बेहतर गर्भावस्था दर प्राप्त करने के लिए, दाता और प्राप्तकर्ता के बीच गर्मी के सिंक्रनाइज़ेशन को अनुकूलित करना अनिवार्य है। 12 घंटे से अधिक समय तक गर्मी की अतुल्यकालिकता / असमानता / विषमता (asynchrony) गर्भाधान दर में गिरावट लाती है। प्रत्येक दाता के ताजा भ्रूण हस्तांतरण (fresh embryo transfer) के लिए लगभग 15 प्राप्तकर्ताओं को सिंक्रनाइज़ेशन के लिए संचालित किया जाता है। एस्ट्रस सिंक्रनाइज़ेशन की 60% दक्षता/ कुशलता को मानते हुए, 15 में से 9 प्राप्तकर्ता गर्मी में आ सकती हैं और 9 से 6 सिंक्रनाइज़ किए गए प्राप्तकर्ताओं को भ्रूण हस्तांतरण के लिए अंतिम रूप दिया जा सकता है अथवा 40-50% तक गर्भधारण कर सकती है।
  6. दाता से भ्रूण का संग्रह: सुपर-एस्ट्रस के दौरान कृत्रिम गर्भाधान से गाय में 7वे और भैंस में 5.5 वे दिन भ्रूण को गैर-सर्जिकल तरीके से संग्रह किया जाता है। गैर-सर्जिकल संग्रह खुली या बंद विधि द्वारा किया जा सकता है। भ्रूण का संग्रह गर्भाशय की दोनों दिशा को अलग-अलग फ्लश / धोकर किया जाता है। तकनिकी तौर पर बेहतर सुपरोवुलेटरी प्रतिक्रिया अंडाशय वाली गर्भाशय (uterine side) को पहले फ्लश किया जाता है। भ्रूण फ्लशिंग (embryo flushing) एक खास तरल केमिकल – ड्यूलबेको फॉस्फेट बफर सलाइन (DBPS) में कुछ अन्य दवाई मिला कर शुद्ध तरीके से की जाती है। इस्तेमाल किया जाने वाला माध्यम एक खास पीएच (pH 7.2-7.4) और ऑस्मोलारिटी (osmolarity 270-300 mOsmol) पर तैयार किया जाता है। गर्भाशय से फ्लश आउट मीडिया को एक खास छन्नीनुमा फ़िल्टर (EmCon filter) में एकत्र किया जाता है जो फ़िल्टर में भ्रूण को केंद्रित करता है।
  7. भ्रूण की खोज, ग्रेडिंग और लोडिंग या फ्रीजिंग: फ़िल्टर (Emcon) की सामग्री को पेट्री-डिश (petri-dish) में डालने उपरांत माइक्रोस्कोप (microscope) से भ्रूण की खोज की जाती है। खोजे गए भ्रूण को ज़ोना पेलुसीडा और ब्लास्टोमेरेस की गुणवत्ता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। आकार, समोच्च, नियमित रूप से ज़ोना; आकार, भ्रूण का व्यास; आकार में एकरूपता, ब्लास्टोमेर की संरचना, भ्रूण वर्गीकरण के लिए प्रमुख मानदंड हैं। ट्रांसफ़रेबल ग्रेड के भ्रूण या तो सिंक्रनाइज़ प्राप्तकर्ता (synchronized recipient) में ताजा हस्तांतरण (fresh transfer) किये जाते हैं या फिर भविष्य में उपयोग के लिए क्रायो-संरक्षित (cryo-preserved) होते हैं। भ्रूण का क्रायो-संरक्षण धीमी गति की ठंड या विट्रिफिकेशन (vitrification) द्वारा किया जाता है।
  8. भ्रूण का स्थानांतरण: भ्रूण का गैर-सर्जिकल हस्तांतरण प्राप्तकर्ता गाय में एस्ट्रस के 7 वें दिन किया जाता है। स्थानांतरण के दौरान, ट्रांसफ़रेबल भ्रूण को ईटी यंत्र (embryo transfer / ET gun) द्वारा गर्भाशय के पूर्ववर्ती छोर की ओर रखा जाता है, जो अंडाशय के किनारे पर होता है जिसमें कॉर्पस ल्यूटियम (corpus luteum) नामक कोशिका होती है। जमा-कर पिग्लाये हुए भ्रूण के स्थानांतरण में ताजा स्थानांतरित भ्रूण की तुलना में 10-20% कम गर्भावस्था होती है।
  9. गर्भावस्था का मूल्यांकन: हस्तांतरण के बाद पशु का वापस गर्मी में न लौटना प्राप्तकर्ता में गर्भावस्था की स्थापना की संभावना को अंकित करता है। इसके अलावा, हस्तांतरण के लगभग 40 दिन पश्चात अल्ट्रासोनोग्राफी द्वारा गर्भावस्था की पुष्टि की जा सकती है। ईटीटी के माध्यम से गर्भावस्था की दर- दाता, प्राप्तकर्ता, उनके एस्ट्रस समकालिकता, भ्रूण की गुणवत्ता, स्थानांतरण का मौसम, विशेषज्ञता शामिल है आदि पर निर्भर करती है। इनमें से कुछ पैरामीटर अनियंत्रित हैं, लेकिन अनुकूलित कौशल के साथ आदर्श स्थिति में, ETT के माध्यम से 35-45% की गर्भावस्था प्राप्त की जा सकती है।
और देखें :  कृत्रिम गर्भाधान: पशुपालको के लिए एक वरदान

सरकार के द्वारा गायों में भ्रूण हस्तांतरण तकनीक (embryo transfer technology; ETT/ ईटीटी) का मुफ्त या सब्सिडी में अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण किया जा रहा है जिससे कि पशु पालक इस तकनीक के महत्त्व को समझ सकें तथा अधिक दूध उत्पादन करने वाले पशुओ की नस्ल को प्राप्त कर सकें एवं इस तकनीक से ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित हो सके।

और देखें :  देश में 20 भ्रूण प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्‍थापना की जा रही है: श्री राधा मोहन सिंह

भ्रूण हस्तांतरण तकनीक- है क्या?

इस लेख का उद्देश्य- पशु पालक किसानो को भ्रूण हस्तांतरण तकनीक के बारे मे जानकारी प्राप्त कराना एवं इस विधि से लाभान्वित कराना है।

और देखें :  पशुओं में पूयगर्भाशयता (पायोमेट्रा): कारण एवं निवारण

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