पशु चिकित्सक वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय का एक अभिन्न और आवश्यक हिस्सा है,जो न केवल जानवरों के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित है बल्कि पशुजन्य रोगों की रोकथाम, उपचार, प्रबंधन और नियंत्रण जैसे विविध भूमिकाएं निभा रहा हैं।
आजीविका और अच्छे स्वास्थ्य की स्थिति के लिए दूध,मांस,अंडा,स्वास्थ्य एवं पौष्टिक भोजन और पोषण प्रदान करने में पशु चिकित्सक की अदभुत भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इन दिनों पूरे देश के पशुचिकित्सक लॉकडाउन में भी सक्रिय रूप से बीमारियों का उपचार कर रहे हैं एवं गाँव गाँव जाकर पशुओं के प्रबंधन के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं और पशु शेड को भी स्वच्छ रखने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं,एवं समय समय पर विभिन्न बीमारियों का टीकाकरण भी कर रहे हैं। वहीं कुछ पशुचिकित्सक घर बैठे टेलीमेडिसिन के माध्यम से भी पशुपालको को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, और अपनी क्लिनिक के माध्यम से शल्य चिकित्सा {बड़ी और छोटी सर्जरी} कर पशुओं का बेहतर इलाज कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गयी बेसहारा गोवंश सहयोग योजना के तहत सारे सरकारी पशु चिकित्साधिकारी लावरा गायों का उपचार एवं उनका प्रबंधन कर के अपना अहम् योगदान दे रहे एवं समय समय पर सारे सरकारी दायित्यों का भी निर्वहन कर रहे हैं हाल ही में हुए प्रदेश के पंचायत चुनाव में लगभग सभी पशु चिकित्साधिकारी की ड्यूटी सेक्टर मजिस्ट्रेट के पद में लगायी गयी थी लेकिन दुःख की बात यह हैं की चुनाव के कारण 200 पशु चिकित्साधिकारी कोरोना संक्रमण का शिकार हुए और एक दर्जन से अधिक पशु चिकित्साधिकारी कोरोना संक्रमण के कारण असामयिक मृत्यु को प्राप्त हो चुके मै उन सभी कोरोना योद्धाओ को विनम्र श्रन्दांजलि देता हूँ।
कोविड-19 लॉकडाउन के पहले चरण में पोल्ट्री उद्योग काफी प्रभावित हुआ था मांग, प्राप्ति और लाभप्रदता में तेज गिरावट के कारण इस उद्योग को बड़े नुकसान हुए सोशल मीडिया में फैली अफवाहें, पोल्ट्री बर्ड्स को वायरस के संभावित वैक्टर के रूप में जोड़ते हुए, डिमांड ड्रॉप की ओर ले गई इसके परिणामस्वरूप लॉकडाउन ने देश में पोल्ट्री सेक्टर को संकट में डाल दिया था,लेकिन इस परिस्थिति से उभरने में भी पशु चिकित्सक का अहम् योगदान रहा।
कोविड-19 में पूरे विश्व के पशु चिकित्सक सक्रिय रूप से नई प्रौद्योगिकियों को अपनाकर अपनी प्रयोगशालाओं में नैदानिक परीक्षण कर कोरोना वायरस के निदान में अपनी अहम् भूमिका निभा रहे हैं, परीक्षण करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रयोगशाला में स्तनधारी प्राइमेट, पक्षियों और जानवरों का उपयोग किया जाता है। भारत के कई पशु चिकित्सक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से भारत जैव प्रौद्योगिकी के कोवाक्सिन और अन्य कोविड19 वैक्सीन के विकास में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भूमिका निभाई हैं। टीके के उत्पादन के पहले कई प्रकार का क्लीनिकल ट्रायल और पशु मॉडल पर भी उसका परीक्षण करते हैं हाल ही में अभी 10 मई को नागपुर में 4 बंदरो में वैक्सीन का परीक्षण किया गया और पूर्णता सफल होने पर ही उसको इंसानो में उपयोग करने के लिए अनुमति दी गयी, परीक्षण के समय पशु मॉडल में लाये जाने वाले पशु की सुरक्षा, उसकी इम्युनोजेनिक क्षमता, प्रभावकारिता और टीके की प्रभावशीलता का आकलन करने की जिम्मेदारी भी एक पशु चिकित्सक की होती हैं। भारत की महिला पशु चिकित्सक के रूप में डॉ. श्रीलक्ष्मी मोहनदास जी ने स्वदेशी टीका के विकास में अपनी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
देश में कोविड-19 का टीका आने के बाद हमारे युवा पशु चिकित्सक जागरूक अभियान चला के गाँव के लोगो को टीकाकरण करवाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं ताकि कोविड महामारी की तीव्रता से निजात पाया जा सके।
लॉकडाउन और वैश्विक महामारी के इस दौर में मेरे एवं मेरे कुछ विशेषज्ञ पशुचिकित्सको की टीम द्वारा पशुपालक भाइयों के लिए एक मुहीम चलाई जा रही हैं जिसके माध्यम से टेलीमेडिसिन द्वारा सभी प्रकार के पशुओं के रोगों का निशुल्क परामर्श दिया जाता हैं अंतः आप अपने पशुओं के रोग अनुसार मेरे या मेरे विशेषज्ञ पशुचिकित्सको की टीम से संपर्क कर के लाभ उठा सकते हैं परामर्श लेने के लिए नीचे दिए गए सम्पर्क सूत्र में रोज प्रातः 10-12 बजे एवं सायं को 4-6 बजे फ़ोन कर परामर्श ले सकते हैं।
डॉ. नृपेंद्र सिंह – 9451491018
डॉ. दिनेश यादव – 7355266388 (पशु औषधि विशेषज्ञ)
डॉ. राकेश सिंह – 9452451244 (पशु प्रजनन रोग विशेषज्ञ)
डॉ. अंसुल निरंजन – 9129436218 (पशु शल्य चिकित्सक)
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